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शनिवार, 14 दिसंबर 2024
दूगुन आमदानी का प्रमान आबा है।
गुरुवार, 12 दिसंबर 2024
हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।
हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।
जे गरीब तक से लिहिन
जे गरीब तक से लिहिन, अपने पुरबी घूंस।
देशभक्ति के सभा मा, ओखर जबर जलूस।।हेमराज हंस
सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।
गीतांश ---
सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।
अपना ता सेंतय का बिचकी।।
बीत रहीं अगहन की रातैं।
कुकर करै अदहन की बातैं।।
सुन सुन के बिदुराथी डेचकी।
सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।।
रहि - रहि के सुहराथै तरबा।
मुंदरी से बोलियाथै फ्यरबा।।
औ आपन अंगुरी चूमै सिसकी।
सुध कीन्हिस केउ आई हिचकी।।
सोमवार, 2 दिसंबर 2024
काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से
गुरुवार, 21 नवंबर 2024
मंगलवार, 19 नवंबर 2024
हमी रूप से का मतलब,
श्री सूर्यमणि शुक्ल
श्री सूर्यमणि शुक्ल
बुधवार, 13 नवंबर 2024
कब्ज़ा कीन्हे चीन।।
काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से।
काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से।
रविवार, 10 नवंबर 2024
गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा।।
शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
बाबू जी।
काहू का लिफाफा पियार है।
सोमवार, 4 नवंबर 2024
तुम बत्तीसी काढ़ दिहा औ खीस निपोरे चले गया।
तुम बत्तीसी काढ़ दिहा औ खीस निपोरे चले गया।
गील पिसान हमार देख परथन का बटोरे चले गया।।
सिसकत राति से पूछि लिहा कस लाग पलेबा खेते मा
तुम बिदुरात साँझ देखय का बड़े अँजोरे चले गया।।
गाय बिआन ता बनी पेंउसरी पै पेटपोछना नहीं रहा
पूरा दिन महतारी रोयी तुम बिन मुँह फोरे चले गया।।
जब से रोमा झारिस नफरत प्रेम का रकबा घटा खूब
खसरा माही दर्ज खैरिअत झूंटय झोरे चले गया।।
काल्ह फलनिया कहत रही या सरबार मा गाज गिरै
कउनव साध न पूर भयीं , बस गउखर जोरे चले गया।।
चित्रकूट मा दीपदान का खासा जबर जलसा भा हंस
पै तोहार नजर गदहा हेरैं ता उनखे ओरे चले गया।।
हेमराज हंस -भेड़ा मइहर
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024
अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै ।
अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै ।
खारा पानी जम के नोन बन जाथै ।।
सौ सौ प्रनाम अपना के पयसुन्नी का
असीसे से जेखे कोण सटकोण बन जाथै।
सोमवार, 28 अक्टूबर 2024
रात सजी जग मग जागत है।
रात सजी जग मग जागत है।
देस स्वस्तिक अस लागत है।।
दिया लेस के कहय अमाबस
हे ! रघुनंदन जू का स्वागत है। ।
हेमराज हंस भेड़ा
रविवार, 27 अक्टूबर 2024
नल कुबेर के हिदय मा,
नल कुबेर के हिदय मा, काहे उचय न टीस।
वा एक तो बड़मंसी लिहिस, औ मागै बकसीस।।
भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।
शनिवार, 26 अक्टूबर 2024
लाट बनमै का रहा खाम्हा बना दइस ।
लाट बनमै का रहा खाम्हा बना दइस ।
छाया कम रही ता लम्मा बना दइस।।
देस के करतूती बइठ हें हाथ सकेले
सेंत का अनाज निकम्मा बना दइस।।
का खुरपी गहन कीन्हे का मुक्तये हँसिया के
वा कबरा काही रंग के तम्मा बना दइस।।
अठमाइनव चढ़ाये मा देवी रिसान ही
पाँव छुए काम सब अम्मा बना दइस।।
घिनहा आतंक बगरा हबै कालयबन का
कइसा दुस्ट दादू का रम्भा बना दइस।।
वा बोली के बखरी मा है बहुरी बरात अस
कइसा अडारन हंस का ब्रह्मा बना दइस।।
हेमराज हंस भेड़ा मइहर मप्र
गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024
का बताई की कहा कहा पिरात है।
का बताई की कहां कहां पिरात है।
बैचैन हबै जिउ मन बूढ़त उतरात है।।
उनखर फरक रही ही सकारे से बायीं आँख
पलकैं लगउतीं लूसी ता काजर सुगात है।।
वाठर बनाउत तक ता उनसे नहीं बनै
लबरी बता रहे हें अमल्लक जनात है ।।
उनखे चिकोटी चींथे कै चिन्हारी बनी ही
अंतस मा उनखे प्रेम का जल प्रप्रात है।।
पाबन पुनीत प्रीत कै पूजा यतर ही हंस
तुलसी के चउरा का दिआ जस टिमटिमात है।।
हेमराज हंस
सोमवार, 14 अक्टूबर 2024
अब तो भइया जी अती होइगै।
रविवार, 13 अक्टूबर 2024
छोहगइली लये चांदनी
छोहगइली लये चांदनी, जागी सगली रात।
नदी तीर गोठत रहा, चन्दा रोहणी साथ । ।
प्रेम भरी पोखरी रही,
प्रेम भरी पोखरी रही, कोउ दिहिस घघोय।
जस बिजली के तार का, जम्फर टूटा होय।।
हेमराज हंस
पहिले लड़ीं गिलास खुब
शनिवार, 12 अक्टूबर 2024
श्री मैथिली शरण शुक्ल 'मैथिल'
श्री मैथिली शरण शुक्ल 'मैथिल'
शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024
राबन जब से बना है,
राबन जब से बना है, उनखे दल का ब्रांड।
तब से दुनिया त्रस्त ही, हलकान ब्रम्हाण्ड।।
राबन जब राजा बना, दीन्हिस बनै कानून।
जेखे टेक्स कै जर नहीं, पील्या वाखर खून।।
हेमराज हंस
शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024
तहिन रखइया लाज।
सोमवार, 30 सितंबर 2024
मइहर जिला शारद नगरी।
मैहर जिला
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मइहर जिला शारद नगरी।
जेखर कीरती जग बगरी।।
पहिलय पूजा करै नित आल्हा।
रोज चढ़ाबै फूल औ माला ।।
राम सखा जू का आश्रम पाबन।
ओइला गोलामठ पबरित मन।।
गोपाल बाग औ राम बाग मा।
पहुंचै वहै है जेखे भाग मा ।।
हनुमत कुंज भदन पुर बाले।
हें कैमोर पहार के खाले। ।
श्री सिद्ध बाबा मऊ डोंगरी ।।
मइहर जिला शारद नगरी।
श्रद्धा श्रम संगीत का संगम ।
किहन अगस्तव का स्वागत हम ।।
भै नहीं झुकेही केर समीक्षा।
जहां दिहिन अगस्त विंध्य का दीक्षा।।
बाणासुर का हिअय मनाउरा।
गाँव गाँव मा खेर का चउरा ।।
चउकी चटकउला चपना के।
हनुमत कष्ट हरैं अपना के।।
गाँव करसरा कालका काली।
दुर्गा मइया बछरा बाली ।।
जहाँ भक्ती कै कलश बनै गगरी।
मइहर जिला शारद नगरी। ।
खजुरी ताल का मंदिर भइया।
पोंड़ी धाम मा होय समइया ।।
मुकुंदपुर का इतिहास पुरातन।
जहाँ जगन्नाथ जू स्वयं सनातन।।
हुअय बना है शेर सफारी।
अपने बिंध कै बना चिन्हारी।।
पपरा मा श्री राम दूत हैं ।
रामनगर मा गिद्ध कूट हैं ।।
मार्कण्डेय कै आश्रमधानी।
बाणभट्ट का सुमिरै बानी।।
बाणसागर करै जहाँ पैपखरी।
मइहर जिला शारद नगरी।
हेमराज हंस भेड़ा
रविवार, 29 सितंबर 2024
बहिनी बिटिआ पी रहीं,
भइंसासुर का पाप है, देस मा चारिव खूंट।
बहिनी बिटिआ पी रहीं, नित अपमान का घूंट।।
शुक्रवार, 20 सितंबर 2024
पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,
बुधवार, 28 अगस्त 2024
शनिवार, 24 अगस्त 2024
हरछठ केर उपास
चुकनी मा चुकरी धरे ,भरे सतनजा भूंज।
दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।।
छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।
हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। ।
दादू केर भभिस्य हो , उज्जर संच सुपास।
अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।
मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै, जइसा परसी थाल।।
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
अपना के हाथ उघन्नी ही।
अपना के हाथ उघन्नी ही।
औ हमरे नेरे नहन्नी ही।।
गारा मा है रेतय रेता
परबस बपुरी कन्नी ही।।
बैतरनी के खातिर गइया
कूकुर का पोहकन्नी ही।।
सड़ुआइन का धोती पोलका
बहिनी निता दुअन्नी ही।।
चउमासे मा सुटुर पुटुर जिउ
घर कै टूटी धन्नी ही।।
लाल किला बोलिआय देख के
हंस के छाई पन्नी ही। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 20 अगस्त 2024
सलेंडर परा भुसहरा मा।
सलेंडर परा भुसहरा मा।
खजुलैयां
खजुलैयां कै सुभकामना, सादर राम जोहार।
नेम- प्रेम से सब रहैं , समता का तेउहार। ।
अपने रीत रिबाज का, गांव समेटे गर्व ।
पुरखन कै थाती धरे, मना रहा है पर्व ।।
खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम।
द्यखतै जिव हरिआय गा, परिपाटी का प्रेम।।
शुक्रवार, 16 अगस्त 2024
आबा मुखिया जी स्वागत है
आबा मुखिया जी स्वागत है
आबा मुखिया जी स्वागत है।
शारद मइया कै धर्म भूमि।
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।
भुइ गोलामठ औढरदानी कै ।
सम्पत तेली बलिदानी कै। ।
मुड़िया बाबा के धूनी मा
बंदन अभिनन्दन शत शत है। ।
आबा मुखिया जी स्वागत है। ।
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी।
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। ।
औ रामपुर के राधा किशना।
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। ।
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी
कै पयस्वनी निकरत है। ।
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश।
पानी लये कलकल बहै टमस। ।
जब से ठगि के गें हें कुम्भज।
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच । ।
गुरू अगस्त के निता झुका
या अटल झुकेही का ब्रत है। ।
आबा मुखिया ----------------
भे सोम दत्त साहित्यकार।
आल्हा कीन्हिनभक्तीअपार।
जे ह्यन आवा वा पावत है।
आवा मुखिया जी स्वागत है।
रविवार, 11 अगस्त 2024
जन कवि तुलसीदास
हे हुलसी नंदन तुलसी
शनिवार, 10 अगस्त 2024
शनिवार, 27 जुलाई 2024
हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से
सोमवार, 22 जुलाई 2024
लाल जी स्वामी चपना के
लाल जी स्वामी चपना के
*******************
लाल जी स्वामी चपना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
नमन करी पबरित माटी का।
सत्त सनातन परिपाटी का।।
जय कालनेमि के हतना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
कोउ चढ़ाबै फूटा रेउरी ।
कोउ नरिअर लै करै चेरउरी।।
हे ! प्रान बचइया लखना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
कोउ करै मानस भण्डारा।
गूंजय जयश्री राम का नारा।।
पूजन हबन अर्चना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
धन्य है देस के रीत प्रथा का।
कोउ बदना बदय कथा का। ।
पूर करइया सपना के।
लाल जी स्वामी चपना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
सोमवार, 8 जुलाई 2024
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है
गुरुवार, 4 जुलाई 2024
आबा है चउमास
सोमवार, 1 जुलाई 2024
लिपटिस पीपर से कहिस
ना आकरन लिहाज राम दै।
शनिवार, 29 जून 2024
भारत जीता बिश्व कप, गदगद पूरा देस
गुरुवार, 27 जून 2024
अम्मा ! हमहूं करब पढाई।
सोमवार, 24 जून 2024
MAIHAR RAJY KA ITIHAS
मैहर रियासत के राजा बृजनाथ सिंह जू देव (जन्म 1896 – मृत्यु 1968) का 16 दिसंबर 1911 में राज तिलक हुआ। वे प्रजा पालक धर्मनिष्ट न्यायवादी राजा थे। उन्ही के शासन कल में मैहर में एक तपोनिष्ट सिद्ध संत प्रातः स्मरणीय स्वामी नीलकंठ जी महराज (जिनका आश्रम अब भी ओइला में है ) भी रहते थे। उस समय मैहर के भदनपुर पहाड़ की घाटी में कल्लू डाकू का बहुत अत्याचार था ,लूटपाट हत्या जैसे जघन्य अपराध करके जन मानस को भयभीत कर रखा था। जनता त्राहि त्राहि कर रही थी। जब खबर किले तक पहुंची तो ,राजा ने जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए डाकू के ऊपर 500/ का ईनाम घोषित कर दिया। परिणाम स्वरुप बदेरा गाँव के साहसी चौबे लोगों ने उसे जिन्दा पकड़ कर राजा को सौप दिया। राजा की कचहरी में न्याय प्रकिया का पालन करते हुए अदालत ने कल्लू डाकू को फांसी की सजा सुनाई । फांसी की खबर पूरे मइहर राज्य में फ़ैल गईं। जनता उराव मनाने लगी। 16 जनबरी 1912 को विष्णुसागर में फांसी देने का समय निर्धारित। हुआ। फांसी के एक दिन पहले कल्लू डाकू की पत्नी रोते हुये प्राणदान की याचना लेकर राज दरवार गई किन्तु राजा ने उसकी याचना स्वीकार नहीं की। तब उसे किसी ने सलाह दी की वह स्वामी नीलकंठ जी के पास अपनी बिनती सुनाये। मैहर के राजा उनकी बात नहीं टालेंगे। उसने वैसा ही किया। ओइला आश्रम में महिला को सम्मान सहित जलपान भोजन कराया गया। इसके बाद स्वामी नीलकंठ महराज जी ने महिला के रुदन से द्रवित होकर उसे वचन दे दिया की कल्लू को फांसी नहीं होगी,भले उम्र कैद हो जाय। और स्वामी जी रात के 12 बजे किला पहुँच कर आपात काल बाला घण्टा बजाने लगे।घंटनाद सुनकर महाराज बृजनाथ सिंह जू किले से निकल कर ड्योढ़ी पर आकर देखा तो स्वामी जी को देख कर अवाक् रह गये। उनके चरणों में दण्डवत प्रणाम कर हाथ जोड़ के पूंछने लगे ,बोले स्वामी जी आधीरात को कौन सी समस्या आ गई। सब कुशल तो है न ? आपने किसी सेवादार को नहीं भेजा स्वयं दर्शन देने आ गए। आदेश कीजिए क्या अड़चन है। स्वामी जी ने कहा राजन बात ही कुछ ऐसी है की मुझे स्वयं आना पडा। बात ये है की आप कल जिसे फांसी देने बाले हैं ,मै उसका प्राणदान मांगने आया हूँ। आशा करता हूँ ,आप मुझे निराश नहीं करेंगे। राजा ने कहा स्वामी जी शायद आप को ज्ञात न हो वो कल्लू डाकू कितना दुर्दांत अपराधी है। पचासों हत्याएं ,सैकड़ों लूटपाट का दोषी है ,मैहर की जनता उससे त्रस्त थी ,बड़ी मुश्किल वो पकड़ में आया है। अदालत ने उसे मृत्युदंड की सजा दी है। क्या यह जानकर भी आप उसे बचाने का प्रयास करेंगे ? स्वामी जी ने कहा राजन मै चाहता हूँ की फांसी की जगह उसे उम्र कैद दे जाय। राजा ने हाथ जोड़ कर कहा ,स्वामी जी आप छमा करें ,देश की न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप उचित नहीं है। यदि वह कोई संत या ब्राह्मण होता तो विचारणीय था। किन्तु उस दुर्दांत के अपराध के अनुपात में ही सजा दी गई है। आप कोई और सेवा करने का अवसर प्रदान करें। स्वामी जी क्रोधित हो गये ,और कहा की यदि मेरी बात नहीं मानी गयी तो मै तुम्हारे राज्य का अन्न जल नहीं ग्रहण करूँ गा। इतना कह कर अपने आश्रम आ गये। सुबह १० बजे कल्लू डाकू को फांसी दे दी गई। स्वामी जी मैहर त्यागकर उंचेहरा राज्य की सीमा में गणेश घाटी में रहने लगे।नागौद के राजा साहेब ने वहां रामपुर पाठा मेंआश्रम बनबा दिया। स्वामी नीलकंठ जी वही रहकर तप करंने लगे।
रविवार, 23 जून 2024
उइं का भला उसासी द्याहैं।
गुरुवार, 20 जून 2024
कवि रवि शंकर चौबे
पीपरबाह से देस तक, गूंज रहा साहित्य।
कोट बधाई जनम कै, रविशंकर आदित्य।।
सहज सरल निरछल हिदय, जय हो बानी पूत।
देस बिदेस प्रदेस मा, जस खुब मिलै अकूत।।
जब मंचन मा बंटत है, सब्दन केर गड़ास।
खिलखिलात बांटत फिरैं, रबिशंकर जी हास। ।
हंस
मंगलवार, 18 जून 2024
जब से य मन मोहित होइगा,
गुरुवार, 13 जून 2024
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
कहूं गिर गै चिन्हारी नहात बिरिआ।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
बिसरि गयन अपना वा प्रेम का।
जइसन बिस्वा मित्र - मेनका ।।
हमीं आजव लगी अपना पिरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
पहिले सोची अपना मन मा।
मृग मारय आयन तै बन मा।।
पानी पिअंय गयन तै झिरिआ।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
अपना भयन तै हमसे मोहित।
साक्षी हैं रिषि कण्व पुरोहित।।
जब डारि के जयमाला बन्यन तिरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
सुन के सकुन्तला कै बतिया।
धड़कय लाग दुस्यंत कै छतिया।।
तबै नैनन से ढुरकय लगी गुरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
हेमराज हंस
बन बिरबा का धरम से, पुरखा गे तें जोड़।
बन बिरबा का धरम से, पुरखा गे तें जोड़।
ता पखंड के नाव से , हम सब दीन्हयन छोड़। ।
हम सब दीन्हयन छोड़, बरा औ पीपर पूजब।
नास्तिक बन के सिख्यन सरग मा होरा भूजब।।
तड़प रहें हे मनई जीव पसु पंछी किरबा।
चला लउट पुन चली पूजय काही बन बिरबा।।
हेमराज हंस
बुधवार, 12 जून 2024
वा एक पुड़िया कुरकुरा मा रगाय गा।
मंगलवार, 11 जून 2024
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
निगबर लइ डारिन पटबारी।
आपन खसरा बताइन घर मा।
कब्ज़ा कर लइन बीडी शर्मा।।
वासर भइंस लिहिस बइठान
उइ अब मार रहें सिस कारी।
कुच्छ न ---------------------
यम पी मा चला न खटाखट्ट ।
होइगे निगबर सफाचट्ट।।
उनहिन का भा चित्त पट्ट।
इनखर चली न लम्मरदारी।
कुच्छ न ----------------
अइसा बजा जुझारू बाजा।
पुनि के निपट गें दिग्गी राजा।।
बिंध मालबा औ निमाड़ तक
परे उतान हमय दरबारी।
कुच्छ न ----------------
गहकी बागैं बिल्लिआन।
कहाँ ही मुहाब्बत केर दुकान। ।
शटर बंद जनता कइ दीन्हिस
पुन पलुहाई पुन पुचकारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
हेमराज हंस
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन।
जिनही सुने से मिट जाथी तन मन कै थकन।।
दुनहु जन का बधाई शुभ कामना ही
बिन्ध्य के कंठ हार बंदन औ अभिनंदन।।
सोमवार, 10 जून 2024
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान ।
जिनखे हाथे मा पहुँच, सम्मानित सम्मान।
पयसुन्नी अस सब्द का, जे पूजय दिनरात।
कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।
गीत ग़ज़ल कै आरती , दोहा कविता छंद।
आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।
शब्द ब्रह्म का रुप है, वर्ण धरै जब भेष।
मइहर मा एक संत हैं, पंडित रामनरेश।।
लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य।
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।।
गुरुवार, 6 जून 2024
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
नाचय लागें चोर उचक्का।।
कहूं पायगें गें एकठे टोरबा
लगें सबूत देखामय छक्का। ।
जे हें फेल उइ हे उराव मा
भा जे पास वा हक्का बक्का।।
अजिआउरे का थाका पाइन
थरह रहें थइली मा मक्का।।
उनखी बातैं आला टप्पू
सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।
देखि रहें जे कबरे सपना
हंस खुली उनहूँ का जक्का। ।
हेमराज हंस
*****************************
टोरबा = बालक
अजिआउरे = दादी का मायका
थाका = निःसंतान की संपत्ति
थरह = पौधशाला
आला टप्पू = बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे,
कबरे = रंगीन
जक्का = विवेकशून्य स्थिति,
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।
भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।।
रविवार, 2 जून 2024
मानो मोहनिया घाट
शनिवार, 1 जून 2024
लोकरत्न कक्का
रीमा मा कक्का हमय , जग जीबन है नाव ।
उनखे झंडा के तरी, सब्द का सीतल छाँव।।
सब्द का सीतल छाँव मान सब लेखनी काही।
चाह अडारन होय, चाह अनमोल सिपाही।।
लोकरत्न कक्का लगैं ,अमल्लक रतन छटीमा।
आजु हमय सहनाव अस कक्का जी औ रीमा।।
शुक्रवार, 31 मई 2024
सरसुती मइय्या होय सहांई। ।
शाबास बिटिया हार्दिक बधाई।
सम्मान मिलै खुब बंटय मिठाई।।
दूनव कुल का नाउ चलय
सरसुती मइय्या होय सहांई। ।
शीर्षक अपना अखबार के।।
हम देखइया दरबार के।
शीर्षक अपना अखबार के।।
गूंजय देस भरे मा बानी
कबिता के रस धार के ।।
श्री मैथिल जी व्यास
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| जिनखे कण्ठे मा हबइ शारद जी का बास।। |
गुरुवार, 30 मई 2024
चिटका फोरत चली गय
छठ सातैं की भमरी देखा
छठ सातैं की भमरी देखा।
तोहसे या न थम्हरी देखा।।
एक बाल्टी पानी खातिर
उचत भरे कै जमरी देखा।।
सउंज उतार रही तुलसी कै
या गंधइली ममरी देखा। ।
पसगइयत मा परगा पादन
चिलकत चरमुठ चमरी देखा।।
कांखय लगिहा चुनुन दार मा
कामड़ेरा औ कमरी देखा।।
हंस अबरदा जब तक वाखर
रोये गीध के ना मरी देखा।।
हेमराज हंस
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ममरी= तुलसी जैसे दिखने बाली झाड़ी
पसगइयत=आसपास
परगा पादन= तिकड़मी दंदी फन्दी
चिलकत=चमकती हुई
चरमुट= स्वस्थ्य एवं शक्तिवान, शरीर हृष्ट पुष्ट,
चुनुन दार = शीघ्र
अबरदा= आयु
सोमवार, 27 मई 2024
होइगै सड़क जब तात राम दै ।
होइगै सड़क जब तात राम दै ।
जराथें तरबा लात राम दै।।
को को ओखे ऊपर हींठा
वा नहि पूंछय जात राम दै।।
रिन काढ़त मा खूब सराहिन
देत मा टूट गा भात राम दै। ।
खूब किहिन सोहबत अटकी मा
अब नहि पूंछय बात राम दै । ।
चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का
जब कोउ आमय नात राम दै। ।
सचेत रहा हितुअन से हंस
जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।
हेमराज हंस
शनिवार, 25 मई 2024
जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।
जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।
उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।
अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ
घर घर मा पूजा होथी बसामान मामा कै।।
उइ कहा थे दोस्ती का हाथ बढ़ा ल्या
करतूति नहीं बिसरय हमीं पुलबामा कै।।
धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे
बांच बांच कबिता इकबाल अल्लामा कै। ।
सीला सपोटी खुब किहिन इतिहासकार हंस
खोजाबर कै पोलपट्टी खुलगै कारनामा कै।।
हेमराज हंस
बुधवार, 22 मई 2024
उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।
साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।
साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।
उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।
कान बहय लागी जो सुन ल्या हा फुर
हेन जात बाले जातै का पउल रहे हें।।
आपुस मां कइसा माहुर घोराथी इरखा
भुक्त भोगी आपन "हरदउल" रहे हें।।
प्रथ्बी औ जयचन्द कै मुखागर ही किसा
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
कल्हव रहें देस मा उइ आजव हेमैं 'हंस'
जे बिषइले उरा बाले डील डउल रहे हें।।
हेमराज हंस
मंगलवार, 21 मई 2024
उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।
उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।।
अपना उनखे साहुत से सेंतै डेरइत थे
रंगे सिआर आहीं हुआ हुआ खेला थें।।
अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है
पपड़िआन नरबा नाइ दुआ खेला थें।।
परीबा का पूजय कै तयारी ही हंस
आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।।
हेमराज हंस
राजमार्ग मा चल रहें ,
राजमार्ग मा चल रहें , बड़े बेढंगे यान।
चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।।
हेमराज हंस
सोमवार, 20 मई 2024
तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।
खाता बचा है करंसी चली गै।
मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।
जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा
तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।
*लोकगीत *
दार महँगी है खा ल्या सजन सुसका। दार महँगी ।
भाव सुनत मा लागय गरे ठुसका।। दार महँगी ।।
किधनव बनाउब पानी पातर।
एक दुइ दिन का दइ के आंतर।।
लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार महँगी ।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
गुजर करब खा लपटा मीजा।
दार बनी जब अइहैं जीजा।।
करंय का मजूरी कहूं खसका। । दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
कइसा चलय अटाला घर का।
अइसा पाली पोसी लरिका ।।
जइसा सीता मइया लउकुस का। दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर
चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान
चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान।
सब्द सक्ति जब तक नहीं, तब तक नही प्रमान।।
रविवार, 19 मई 2024
अहिबाती का बिधबा पेंसन,
बाप के फोटो मा थूँकी।
हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर भरी हमिन हूंकी।
हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।।
नित परभाती औ सँझबाती, करत देस का पूजीथे
द्रश्टिदोख मा उदवबत्ती अपना का लागय लूकी।।
हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे
हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा जबान चूकी ।।
जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय भाव सदा
हम ओहू का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।
जेखर उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस
उइ भंडारा का जानैं जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।
हेमराज हंस
शुक्रवार, 17 मई 2024
वहै है शक के घेरे मा
अपना का आशीष
जेखे मूड़े मा रहय, अपना का आशीष ।
वा बन जाय कनेर से , गमकत सुमन शिरीष। ।
गुरुवार, 16 मई 2024
लगथै उनखर उतरिगा जादू।
KAVI SAMMELAN REWA

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बघेली दारू बन्द बिहार मा लागू कड़क अदेश। भर धांधर जो पिअय खै आबा मध्य प्रदेश। । आबा मध्य प्रदेश हियां ता खुली ही हउली। पानी कै ही ...
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राम जू कै सजी हिबै राजधानी। मारै हिलोर सरजू का पानी। । छूटि गा इतिहासन का करखा। या सुभ सुदिन का तरसिगें पुरखा। । राम जी के...


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