लेबल

शनिवार, 14 दिसंबर 2024

दूगुन आमदानी का प्रमान आबा है।

दूगुन आमदानी का प्रमान आबा है। करजा मा लदा किसान आबा है।। उनखे खातिर है मूड़े के पीरा अस इनखे निता सीधा पिसान आबा है। ।।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

लिहे किसनमा ठाढ़ है

 लिहे किसनमा ठाढ़ है, खेते कै फ़रियाद।

बिजली घाई गोल ही, मोरे बीज कै खाद।।
हेमराज हंस

संत सताबत देख के

 संत सताबत देख के,लगी हिदय मा ठेस।

केतू नामक हराम है, जालिम बांग्ला देस।।
हेमराज हंस

हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।

 हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।

दुस्ट औ कृतघ्न कै दुइ फांड़ बांकी है।।
जोकर उपाय कइ सब हीच चुके हैं
फलाने कहि रहें हें की भाँड़ बांकी है। ।

जेखर उपरउझा लिहिस

 जेखर उपरउझा लिहिस, जूझा भारत देस।

वहय सनातन का बना, सबसे बड़ा कलेस।।
हेमराज हंस

जे गरीब तक से लिहिन

 जे गरीब तक से लिहिन, अपने पुरबी घूंस।

देशभक्ति के सभा मा, ओखर जबर जलूस।।
हेमराज हंस

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।

 गीतांश --- 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी। 

अपना  ता  सेंतय  का बिचकी।।


बीत   रहीं  अगहन  की रातैं। 

कुकर  करै  अदहन की बातैं।।

सुन सुन के बिदुराथी  डेचकी। 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।।


रहि - रहि  के सुहराथै तरबा।

मुंदरी से  बोलियाथै  फ्यरबा।।

औ आपन  अंगुरी चूमै  सिसकी। 

सुध कीन्हिस केउ आई हिचकी।।  

सोमवार, 2 दिसंबर 2024

काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से

काल्ह   कउआ    बताबत    रहा    सुआ से। 
ओही मोतिआ बिन्द होइगा जग्ग के धुंआ से।।

जयन्त  भले   बड़े   बाप  केर   बेटबा  आय   
ओहू  कै  आँख  फुटि गै  कुदृष्टि  खुआ  से।। 
 
उनखे मन मा  ही खराबी की तन ख़राब है 
खजुरी  उच रही  ही मखमल के रुआ से ।। 

सिंघासन के पेरुआ सब दिन भयभीत रहे  हें 
कबौं सामना नहीं किहिन खुल के गेरुआ से।।

कहि द्या खबीस से कि वा उछिन्न ना करय 
हंस  कै  रण  चण्डी  टोर देयी  नेरुआ से  ।।
हेमराज हंस - भेदा मैहर  

गुरुवार, 21 नवंबर 2024

मंगलवार, 19 नवंबर 2024

हमी रूप से का मतलब,

 हमी  रूप  से का  मतलब, हम ता आंखर मा रीझे हन। 
बानी के मंत्र लिखे कागद, हम मस मा खूब पसीझे हन।।
तुम प्रेम पिआसी पिंगला ता , हम उदासीन भरथरी हयन 
तुम्ही  शुभ  होय  तुम्हार  प्रेम, हम ता आंसू मा भींजे हन।। 
हेमराज हंस 

श्री सूर्यमणि शुक्ल

  श्री सूर्यमणि शुक्ल

अपने इस बोली बानी जिसे पहले ,रेवा ,यानी नर्मदा के उद्गम के आस पास विकसित होने के कारण ,रिमही, कहा जाता था और बाद में बघेली कहा गया उस में तमाम कवियों का परिचय और उनकी कविताओ को प्रस्तुत करते मुझे लगभग दो माह होने को है। आज 50 वे कवि और उनकी कविता दे रहा हूं।
तमाम कवियों की कविताओ में आये मुहाबरे ,अलग अलग क्षेत्रो के कहन में आये आंशिक बदलाव आदि का भी मुझे खुद इससे ब्यापक अनुभव हुआ है ।
क्यों कि मैने प्रायः हर कवि की कविता को कई कई बार पढ़ कर खुद टाइप की है। अब मेरा यह स्तम्भ लगभग 5 दिन बाद पूरा हो जाय गा । क्यों कि कविताओ का स्रोत छीजता जा रहा है।
आज मैं जिस जेष्ठ कवि से आप की भेट करा रहा हूं वे श्री सूर्यमणि शुक्ल है। शिक्षक पद से सेवा निबृत्त श्री शुक्ल का जन्म रीवा जिले के नईगढ़ी तहसील के बेलबा गाव में हुआ था।
उनकी दोतीन पुस्तके प्रकाशाधीन है जिनमे एक बघेली काब्य संकलन ,,चाई माई,, भी है। श्री शुक्ल के सवैया छन्द बड़े ही सरस् है। आइये आप को भी उनकी मधुरता का रसास्वादन कराते है।उनके यह छन्द किसान, सरपंच , बिटिया एवम सुंदरता आदि शीर्षक से है।
किसान
राग नही कुछु साग नही,
घिउ दूध नही बस काम के बेला,
साझि सकार न जानि परै,
बस जनि रहे जस जुझ्झ बघेला।।
घाम म चाभ सिझी सगली,
लसियांन हि पूर गुड़े कस भेला।
हाइ किसान नधी पहटी ,
के तरी ढकिले जइसे कातिक ढेला।।
सरपंच
बॉदर हाथ परी तरवारि ,
उतारि के मूड दरे धइ देइही।
जे कल पे दरिया न मिली,
उ फूलउरी मिले उरझेट के खइही।।
घाम म बैठ बगार रहे ,
कुरसी म धसे अउघइनि जइही।
फाइलि के मूडसउरेंन मा,
उलटाइ के सील म औठ लगइही।।
बिटिया
बिटिया त बनी घर के लक्षमी,
परिवार क पाल उ बंस बढ़ाई।
घर कै सगली घोसियारी करी,
भिनसारे से जागी सबै क जगाई।।
अपने जिउ का न मरै कबहू ,
लड़िका मनसेरू क देत खबाई।
जेकरे घर मा बिटिया न रही,
गुड़ पानी दुआरे त केउ न पाई।।
सुंदरता
राहि रहै कउनो निकही ,
बिन रेगी गये नहि सुन्दरि लागे।
रूप कै राशि हवै दुलही,
पति साथ बिना मरजाद के लागे।।
गाँव घरे केर सुख्ख इहै,
महिमान के आये कुढ़ी खुब लागे,
सील सकोच बिना उपकार,
बडो मनई खूब छोटि क लागे।।
पदम् श्री बाबूलाल दाहिया जी की फेसबुक वाल से साभार

बुधवार, 13 नवंबर 2024

कब्ज़ा कीन्हे चीन।।

 बाल दिबस कै हार्दिक सुभकामना 
============================
हमही ता  अइसा लगै, बाल दिबस का सीन। 
जस  हमरे  कैलाश मा, कब्ज़ा  कीन्हे  चीन।।  
***************************
पन्नी बीनत बीत गै, ज्याखर उमिर किसोर। 
ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।। 
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
जे कबहूं  जानिस  नही,  पोथी  अउर   सलेंट। 
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।। 
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
जहाँ  ब्यबस्था  खाय गै, पंजीरी  औ खीर। 
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।। 
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
दरबारी   जेही  कहै, बोटहाई   मा  नात। 
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।। 
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
हबै   कुपोसित  देस   मा, जेखर  ल्यादा    घींच। 
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।। 
******************************
हेमराज हंस -- भेड़ा मैहर 

काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से।

 काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से।

ओही मोतिआ बिन्द होइगा जग्ग के धुंआ से।।
जयन्त भले बड़े बाप केर बेटबा आय
ओहू कै आँख फुटि गै कुदृष्टि खुआ से।।
उनखे मन मा ही खराबी की तन ख़राब है
खजुरी उच रही ही मखमल के रुआ से ।।
सिंघासन के पेरुआ सब दिन भयभीत रहे हें
कबौं सामना नहीं किहिन खुल के गेरुआ से।।
कहि द्या खबीस से कि वा उछिन्न ना करय
हंस कै रण चण्डी टोर देयी नेरुआ से ।।
हेमराज हंस - भेदा मैहर

अपना चिन्ह प्रतीक।।

 माँ  शारद  से  बिनय  है, हरबी  होई नीक। 
मइहर के साहित्य कै, अपना चिन्ह प्रतीक।।   

रविवार, 10 नवंबर 2024

गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा।।

पसीना का ठगि  के वा  बइठ हबै  भिट्ठा मा। 
कइउ  ठे लजुरी   खिआनी   है   घिट्टा  मा । । 
सेंतय   का   जरा   बरा   जाथै   कमेसुर वा 
गदहा  परेसान  है  गइया  के  प्रतिष्ठा   मा । । 
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

बाबू जी।


                   बाबू जी 
===============================
बड़ी मुसीबत झेल के हमही, पालिन पोसिन बाबू जी। 
लदी गरीबी से  गाड़ी  का, बल  भर  ढ़ोसिन  बाबू जी।।

मन तक गहन धरिन बेउहार के हम पंचेन के पढ़ाई मा 
पै न तन मा रही  सिरिहिरी , कबौ ना  घोसिन बाबू जी।।

बब्बा जी  के गुजरे  माही,   भींज  रहीं   दोउ  आँखी
तउ फुआ का धीर बंधाबत अँसुआ पोछिन  बाबू जी।।

बड़की नातिन के काजे मा, ओइन  कन्या दान किहिन 
बिन अम्मा के पीर हिदय मा खूब समोखिन बाबू जी।।

हिबै  बरा अस जिनखर छांही  हर शाखा से निकरी जर 
राम  चरित  मानस  चउपाई, प्रेम से घोखिन  बाबू जी।।

एक  ईमान दार  पिता   कै  संतान   होब   है  हंस  गर्व 
कबाै  न काहू का गर मुधिआइन औ मुसोसिन  बाबू जी।।
हेमराज हंस भेड़ा मैहर -9575287490 

काहू का लिफाफा पियार है।

 काहू का पगड़ी काहू का  साफा पियार है।
काहू  का ता केबल   लिफाफा  पियार  है।।
हमही  आपन  देस  औ  पुरखा पिआर हें   
बिदेसी बिचार का उन्ही पापा पियार है।।
हेमराज हंस भेड़ा  मैहर मप्र 

सोमवार, 4 नवंबर 2024

तुम बत्तीसी काढ़ दिहा औ खीस निपोरे चले गया।

 तुम बत्तीसी  काढ़  दिहा औ खीस निपोरे चले गया। 

गील पिसान हमार देख परथन का बटोरे चले गया।। 


सिसकत राति से पूछि लिहा कस लाग पलेबा खेते मा 

तुम बिदुरात साँझ देखय का बड़े अँजोरे चले गया।। 


 गाय बिआन ता बनी पेंउसरी  पै पेटपोछना  नहीं  रहा 

पूरा दिन महतारी रोयी  तुम बिन मुँह फोरे चले गया।। 


जब से रोमा झारिस नफरत प्रेम का रकबा घटा खूब 

खसरा  माही  दर्ज  खैरिअत  झूंटय  झोरे चले गया।। 


काल्ह  फलनिया  कहत  रही या सरबार मा  गाज गिरै 

कउनव  साध न पूर भयीं , बस गउखर जोरे चले गया।।


चित्रकूट मा दीपदान का खासा जबर  जलसा भा हंस 

पै तोहार नजर  गदहा  हेरैं  ता उनखे  ओरे चले  गया।। 

हेमराज हंस -भेड़ा मइहर 

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै ।

 अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै । 

खारा  पानी  जम  के  नोन  बन  जाथै ।।

सौ  सौ  प्रनाम अपना के पयसुन्नी का 

असीसे से जेखे कोण  सटकोण बन जाथै।   

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

रात सजी जग मग जागत है।

 रात  सजी  जग मग  जागत है। 

देस  स्वस्तिक  अस   लागत है।। 

दिया  लेस के  कहय  अमाबस 

हे ! रघुनंदन  जू का स्वागत है। । 

हेमराज हंस  भेड़ा  

रविवार, 27 अक्टूबर 2024

नल कुबेर के हिदय मा,

 नल  कुबेर  के हिदय  मा, काहे उचय  न  टीस। 

वा एक तो बड़मंसी  लिहिस, औ मागै बकसीस।। 

भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

लाट बनमै का रहा खाम्हा बना दइस ।

 लाट  बनमै   का  रहा  खाम्हा बना दइस । 

छाया  कम  रही  ता  लम्मा   बना  दइस।।


देस  के  करतूती   बइठ  हें  हाथ  सकेले

सेंत  का  अनाज  निकम्मा   बना  दइस।।


का खुरपी गहन कीन्हे का मुक्तये हँसिया के 

वा  कबरा काही रंग के  तम्मा  बना दइस।।


अठमाइनव  चढ़ाये  मा देवी   रिसान  ही 

पाँव  छुए  काम  सब अम्मा  बना  दइस।।


घिनहा  आतंक  बगरा  हबै कालयबन का 

कइसा दुस्ट दादू का रम्भा  बना दइस।।


वा बोली के बखरी मा है बहुरी बरात अस 

कइसा अडारन हंस का ब्रह्मा बना दइस।।

हेमराज हंस भेड़ा मइहर मप्र 

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

का बताई की कहा कहा पिरात है।

का   बताई   की   कहां    कहां   पिरात  है। 

बैचैन  हबै  जिउ  मन   बूढ़त   उतरात  है।।  


उनखर फरक रही ही सकारे से बायीं आँख

पलकैं लगउतीं लूसी  ता  काजर सुगात है।।


वाठर  बनाउत    तक   ता  उनसे  नहीं बनै 

लबरी   बता   रहे   हें  अमल्लक   जनात है ।।


उनखे  चिकोटी  चींथे  कै चिन्हारी  बनी  ही 

अंतस  मा  उनखे   प्रेम  का   जल प्रप्रात है।।


पाबन   पुनीत  प्रीत   कै  पूजा  यतर  ही  हंस 

तुलसी के चउरा  का दिआ  जस टिमटिमात है।।

हेमराज हंस   


सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

अब तो भइया जी अती होइगै।

अब तो भइया जी अती होइगै।
समाज कै दुरगती होइगै।।
उनखे गाड़ी मा लगिगा हूटर
जब ओहदा मा श्री मती होइगै।।
होत होई काहू का फायदा
पै अपने देस के छती होइगै।।
वा ता भेजे रहा पढ़य खातिर
पै समाज मा नककटी होइगै। ।
भले भिरुहाये मा भसम भें मदन
पै विधबा तो बिचारी रती होइगै।।
भाईचारा के विश्वविद्यालय मा हंस
कुलटा राजनीत कुलपती होइगै।।
हेमराज हंस --

रविवार, 13 अक्टूबर 2024

छोहगइली लये चांदनी

 छोहगइली लये चांदनी, जागी सगली रात। 

नदी तीर गोठत  रहा, चन्दा रोहणी साथ  । । 

जब से पोखरी ताल का, होइगा पानी थीर। 
ता चकबा निरखैं  लगा, चंदा  कै  तसबीर।।  

प्रेम भरी पोखरी रही,

 प्रेम भरी पोखरी रही, कोउ दिहिस घघोय। 

जस बिजली के तार का, जम्फर टूटा होय।। 

हेमराज हंस  

पहिले लड़ीं गिलास खुब

पहिले लड़ीं गिलास खुब, नेम प्रेम सम भाव। 
फेर गारी गुझुआ  भयीं, होय  लाग जुतहाव।। 
हेमराज हंस 

शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

श्री मैथिली शरण शुक्ल 'मैथिल'

 श्री मैथिली शरण शुक्ल 'मैथिल'

यदि सीधी जिले के बघेली मंचीय कवियों पर गौर किया जाय तो आप को एक कवि हर कवि सम्मेलन में अक्सर उपस्थित मिलेगे। वे है सरल सहज अत्यंत मिलनसार कवि श्री मैथिली शरण शुक्ल जी मैथिल ।
यू तो उनका जन्म रीवा जिले में तिवनी के पास एक गाँव में हुआ था पर mpeb की नोकरी के कारण सेवा निबृत्त तक कार्य क्षेत्र सीधी जिला ही रहा।
श्री मैथिलि जी ने बघेली की अनेक बिधाओ में कविता लिखी है। आइये उनकी कविताओं से आप को रूबरू करवाते है। सबसे पहले उनकी एक कविता "खुरपचहा ढर्रा" का रसास्वादन करे।
चिटकी नही बेमाई ह्इ, पाएन मा दर्रा ।
तकवारी गोरुअन कै, खुरपचहा ढर्रा।।
अंगरेजनि के नेति केरि ,गठरी फे छोरि दिहिनि,
परेम के लोटा मा माहुर फे घोरि दिहिनि।।
भगमान भगउते जो भारत से भर्रा।
तकवारी गोरुअन के खुरपचहा ढर्रा।।
दिन भर सल्लाह करइ बइठ एक ठाउ मा।
साँझइ सकाइ उजिगर,फेरि जंगल से गाउ मा ।।
शहर केरि पउसी हइ गमई का छर्रा।
तकवारी गोरुअन के खुरपचहा ढर्रा।।
सिरमिंट अउ मसाला सब भीट म सोखरि गा।
कंताले केरि पानी सब भऊ से निकरि गा।।
सगला घर लसर फसर मालिक भर कर्रा।
तकवारी गोरुवन के खुरपचहा ढर्रा ।।
इसी गोत्र की उनकी एक अन्य कविता भी देखे
इसका शीर्षक उनने " कानी कउड़ी नही भंडारे" दिया है।
वादा कीन्हे रहे जउन तू बिसरे हो भिनसारे।
चका चउध मा अइसन भूले लउटे नही दुआरे।।
नोचि सुदर्शन लिहै गइलि ते,पीट दीहै पुनि कांटा।
डांगर बरदा हक्के आबा छूट नबोढ़ा नाटा ।।
कीहेस दगा हइ समइ पाइ के धो बिधि लिखिस लिलारे
चका चउध मा अइसन भूले लउटये नही दुआरे ।।
पदबी मिली जउन दिन से ओढ़े लबरी के अलगा।
मेटि दीहै पुनि सुने तकइयउ खेत चराया सलगा।
एमर बेलि बनि बउड़े अइसन सूखे पेड़ बिचारे।
चका चउध मा अइसा भूले लउटे नही दुआरे।।
भेट होइ जो तीजा फगुआ तबऊ दइऊ अस गरजा
खोखल हिंदुथान किहे सब खूब चढ़ाए करजा।।
झँन झनात सब खाली कुठली कउड़ी नही भंडारे।
चका चउध मा अइसा भूले लउटे नही दुआरे।।
PADMSHRI BABULAL DAHIYA JI

माटी का गौरव कहूं,

 माटी का गौरव कहूं, याकी ग्राम उजास। 

सादर है शुभकामना, पंडित राम निवास।।  


शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

राबन जब से बना है,

 राबन जब से बना है, उनखे दल का ब्रांड।

तब से दुनिया त्रस्त ही, हलकान ब्रम्हाण्ड।।

राबन जब राजा बना, दीन्हिस बनै कानून। 

जेखे टेक्स कै जर नहीं, पील्या वाखर खून।। 

हेमराज हंस  


शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

तहिन रखइया लाज।

हे जग जननी शारदे, तहिन रखइया लाज।   
तोरे क्वारा सकार हो, औ अंचरा मा सांझ ।।  

गूंजय मइहर धाम मा भगत ऋचा श्लोक।
हरतीं मइया सारदा भक्त के संकट सोक।।
दुनिआ मा हो शान्ती, हे ! माता स्कंद।
हे ! दुरगा दुरगति हरा, बाढ़य प्रेम आनंद।।
हंस -भेड़ा  

सोमवार, 30 सितंबर 2024

मइहर जिला शारद नगरी।

    मैहर जिला 

----------------------------------

मइहर  जिला  शारद  नगरी। 

जेखर  कीरती  जग   बगरी।। 


पहिलय पूजा करै नित आल्हा।

रोज   चढ़ाबै   फूल औ माला ।। 

राम सखा जू का आश्रम पाबन। 

ओइला  गोलामठ  पबरित मन।।

गोपाल बाग  औ राम बाग मा। 

पहुंचै  वहै   है  जेखे  भाग  मा ।। 

हनुमत  कुंज भदन पुर  बाले।

हें  कैमोर  पहार   के     खाले। । 

श्री सिद्ध बाबा  मऊ  डोंगरी ।।

मइहर  जिला   शारद नगरी।


श्रद्धा  श्रम  संगीत   का   संगम । 

किहन अगस्तव  का स्वागत हम ।।

 भै  नहीं   झुकेही   केर   समीक्षा। 

जहां दिहिन अगस्त विंध्य का दीक्षा।।  

बाणासुर  का  हिअय  मनाउरा। 

गाँव  गाँव  मा  खेर  का चउरा ।।

चउकी  चटकउला  चपना के। 

हनुमत  कष्ट  हरैं  अपना   के।।

गाँव करसरा  कालका काली। 

दुर्गा    मइया   बछरा   बाली ।।

जहाँ भक्ती कै कलश बनै गगरी। 

मइहर  जिला   शारद   नगरी। । 


खजुरी ताल का मंदिर भइया। 

पोंड़ी धाम मा  होय समइया ।।

मुकुंदपुर का इतिहास पुरातन। 

 जहाँ जगन्नाथ  जू स्वयं सनातन।। 

हुअय  बना  है  शेर   सफारी। 

अपने  बिंध कै बना चिन्हारी।। 

पपरा मा   श्री  राम  दूत हैं । 

रामनगर मा  गिद्ध कूट हैं ।। 

मार्कण्डेय कै  आश्रमधानी। 

बाणभट्ट का  सुमिरै  बानी।।  

बाणसागर करै जहाँ पैपखरी।

मइहर जिला शारद नगरी।  

  हेमराज हंस भेड़ा 

रविवार, 29 सितंबर 2024

बहिनी बिटिआ पी रहीं,

 भइंसासुर का पाप है, देस मा चारिव खूंट।

बहिनी बिटिआ पी रहीं, नित अपमान का घूंट।।

हे महिसासुर मर्दनी, अपनै से एक आस।
अत्याचारिन का करा, तुक तुक हरबी नास।।
नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ।
वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।।

शुक्रवार, 20 सितंबर 2024

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। 
पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।। 
उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या 
हमरे  धरम के साथ जे अपराध   कइ  रहे  हें।। 
हेमराज हंस -भेड़ा मैहर 

मंगलवार, 10 सितंबर 2024

ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।

 अबहूँ   कउनव   सक  है   हमरे  सेन्स   मा। 
उइ     कोरेक्स   ढो   रहे  हें   एम्बुलेंस  मा।। 
ओखे  डब्बा  कै  जब  तलासी    लीन   गै 
ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।  
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,

 हाथे मा मेंहदी रची , कर स्वारा सिगार।
गउरी पूजैं का चली ,सजी सनातन नार। ।

खूब फलिहाइस रात भर, दिन निर्जला उपास। 
देखा  भारतीय  प्रेम के ,  अंतस  केर मिठास ।। 

जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,  छूट हिबय सरफूंद ।  
हमरे  जीबन के  दिहिन , सगले अबगुन मूंद।।    
हेमराज हंस 

बुधवार, 28 अगस्त 2024

शनिवार, 24 अगस्त 2024

हरछठ केर उपास

 चुकनी  मा चुकरी धरे ,भरे  सतनजा  भूंज। 

 दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।। 


छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।  

हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। । 


दादू केर भभिस्य हो , उज्जर  संच  सुपास। 

अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।  


मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।

महतारी  के  हाथ  कै,  जइसा  परसी  थाल।। 

व्यंग्यकार के व्यंग सुनाकर आप अपने को हंसने से नहीं रोक पाएंगे #chitrako...

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

संकट मा भारत दइस

संकट मा भारत दइस, सरना गत का टेक। 

चाह दलाईलामा  हों, याकि   हसीना  सेख।। 

अपना के हाथ उघन्नी ही।

 अपना के हाथ उघन्नी ही। 

औ  हमरे  नेरे  नहन्नी ही।।

 

गारा  मा  है   रेतय  रेता  

परबस बपुरी  कन्नी ही।।  


बैतरनी के खातिर गइया 

कूकुर का पोहकन्नी ही।। 


सड़ुआइन का धोती पोलका 

बहिनी  निता  दुअन्नी  ही।।  


चउमासे मा सुटुर पुटुर जिउ 

घर  कै   टूटी    धन्नी    ही।।

 

लाल किला बोलिआय देख के 

हंस  के  छाई  पन्नी   ही। । 

हेमराज हंस 

मंगलवार, 20 अगस्त 2024

सलेंडर परा भुसहरा मा।

 सलेंडर परा भुसहरा मा।

भोजन पकै अदहरा मा।।
तुम बिकास का बाँचा ब्याकरन
हम अटके हयन ककहरा मा। ।
हेमराज हंस

खजुलैयां

 खजुलैयां कै सुभकामना, सादर राम जोहार। 

नेम- प्रेम से सब रहैं ,  समता का   तेउहार। ।

 

अपने  रीत  रिबाज  का,  गांव  समेटे  गर्व । 

पुरखन  कै  थाती  धरे, मना  रहा  है  पर्व ।। 


खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम। 

द्यखतै जिव हरिआय गा,  परिपाटी का प्रेम।। 

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

आबा मुखिया जी स्वागत है

 आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 

 शारद मइया कै धर्म भूमि। 

य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 

भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 

सम्पत तेली बलिदानी कै। । 

मुड़िया बाबा के धूनी मा 

बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 

आबा मुखिया जी स्वागत है। । 

हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 

पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 

औ रामपुर के राधा किशना। 

दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 

बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 

कै पयस्वनी निकरत है। । 

आबा ---------------------

या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 

पानी लये कलकल बहै टमस। । 

जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 

ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 

गुरू अगस्त के निता झुका  

या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 

आबा मुखिया ----------------

भे सोम दत्त साहित्यकार।

आल्हा कीन्हिनभक्तीअपार।

जे ह्यन आवा वा पावत है।

आवा मुखिया जी स्वागत है।

रविवार, 11 अगस्त 2024

जन कवि तुलसीदास

कोऊ संकराचार भा, कोऊ रामाचार्य।
तुलसी सबका जोर के, बन गें परमाचार्य।।
जे जनता के हिदय मा, करै जुगन से बास।
सादर अपना का नमन, जन कवि तुलसीदास।।
धन्न बिंध कै भूमि ही, धन्न राजापुर ग्राम।
जहाँ के मानस मा रमय, साक्षात श्री राम। ।  

हे हुलसी नंदन तुलसी

 हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत। 
हे भारतीयता   के रक्षक चिरनवीन अनंत। । 

धन्य धरा वह राजा पुर की बहती जहां कालिंदी। 
धन्य प्रेरणा रत्नावलि की महिमा मंडित हिंदी। । 
धन्य कलम जिसने दिये मानस से सद्ग्रन्थ। 
जो सदाचार मर्यादा का बतलाते नित पंथ। । 
जिसके पठन से आत्म शांति होती अनुभूति तुरंत।
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत।।

शैव शाक्त औ वैष्णव जन को एक सूत्र में बांधा। 
मुक्तक से मानव मुक्ति की दूर करी है बाधा। । 
लौकिक सगुणोपासक बन कर अलौकिक दिया प्रकाश। 
शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । 
सहज समन्वय कारी पंथ  केरहे जीवन पर्यन्त। 
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत ।।

 गंगोत्री के पावन जल से जलाभिषेक कर रमेश्वरम् का। 
ईश भक्ति में राष्ट्र भक्ति का देश प्रेम भारतीय धरम का। । 
रामचरित मानस के जैसा कर्तव्य बोध शोध उत्कर्ष। 
विश्व के किसी ग्रन्थ में ढूढे मिलेगा यह न पुनीत आदर्श। । 
सात समंदर पार  भी शाश्वत सनातन है अटल वंत।    
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत।।

हे भाषा के अमर भाष्कर किया  राष्ट्र भाषा उत्थान। 
स्वयं विनायकऔ  माँ वाणी गाते जिसका यशो गान। । 
चित्रकूट की तपो भूमि के हे तपस्वी संत महान। 
महा प्रलय तक ऋणी रहेंगे हिन्दू हिंदी हिन्दुस्थान। । 
जनम महोत्स्व मना रहा है आज भारतीयता का संत। 
हे  हुलसी   नंदन   तुलसी,   पूज्यपाद    श्री संत। ।
हेमराज हंस

शनिवार, 10 अगस्त 2024

शनिवार, 27 जुलाई 2024

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से। 
 घोपा का न तउली अपना  जकीरा से।। 

जब रइदास  के  साथ  मा  भजन गाइन
ता केतू क्याबा भें  पूँछी अपना मीरा से।।

खने के हाथ का  ठेठा नहीं देखय  केउ 
दुनिया मोहित हिबय चमचमात हीरा से।। 

काहू का छोट जान के न तउहीनी करा 
सबसे महँग ओन्हा रेसम बना थै कीरा से।। 

बांसुरी केर सुर पिआर लगय काने मा 
हंस केतू पीरा हिबै पूँछी अपना भीरा से।। 
हेमराज हंस   

सोमवार, 22 जुलाई 2024

लाल जी स्वामी चपना के

 लाल  जी स्वामी चपना के

*******************

लाल  जी स्वामी चपना के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।  


नमन करी पबरित माटी  का। 

सत्त  सनातन  परिपाटी   का।।

जय कालनेमि  के  हतना  के। 

करैं  पूर  मनोरथ  अपना  के।। 

  


कोउ चढ़ाबै  फूटा   रेउरी ।

कोउ नरिअर लै करै चेरउरी।।

हे ! प्रान बचइया लखना के।

करैं पूर मनोरथ अपना के।।


कोउ करै  मानस भण्डारा। 

गूंजय जयश्री  राम का नारा।। 

पूजन    हबन    अर्चना   के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।


धन्य  है देस के रीत प्रथा का। 

कोउ  बदना  बदय  कथा  का। । 

पूर   करइया   सपना     के। 

लाल  जी स्वामी चपना के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।  

सोमवार, 8 जुलाई 2024

जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है

जबसे मूड़े  मा  कउआ बइठ है। 
असगुन का लये बउआ बइठ है।। 

पी यम अबास  कै किस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ  बइठ है।। 

होइगै    येतू    मंहग     तरकारी 
टठिया मा  हमरे लउआ बइठ है।। 

पर  साल  चार  ठे  दाना  नहीं  भा
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है।।

घूंस  मा  जात  बाद  नही    लागय 
तिबारी कहिन की परउहा  बइठ है।।

रोजी     कै   कहूँ    आड़   ना  अद्धत 
सब हंस का कहैं भतखउआ बइठ है।।
 हेमराज हंस -भेड़ा  मइहर 
 

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

आबा है चउमास

रिम झिम -रिमझिम पानी बरखै , आबा है चउमास।
धरती ओड़िस हरिअर चुनरी, जस कबित्त अनुप्रास।

कोउ  रूँधै  कोलिया  बारी,  धइ  गुलमेंहदी  जरिया।
कोउ छबाबै  छान्ही छप्पर , कोउ  बांधै  बउछेरिया।  
कुछ जन बइठ हें हाथ सकेले, अकरमन्न अजनास। 

खेतन  माही  बोबी  धान  ता,  लागंय  सुआ  चिरइया।
दिन भर बड़ा -बड़ा नरिआ थें , खेतबन केर तकाइया। 
झुक मुक  ब्यारा  घर  का  बहुरैं,  करे  दइव  से आस। 

अब  बढ़ान  गरमी   कै  छुट्टी ,  लगै   लगी   इस्कूल। 
बिद्या  के  मन्दिर मा  अबतक,  हिबै  ब्यबस्था  लूल। 
भारत के लाड़िल भभिस्स का,  एकव  नहीं  सुपास। 

करै   पपीहा   प्याऊं-  प्याऊं , स्वाती   केर   बसेड़ी ।
जस  तलाव  के मेड़ मा अउलट  बइठे  होंय  गजेड़ी।  
अहुर  बहुर   के  कारे  बदरा,  लागें  चढ़य   अकास।  

नाचै  बदरा   देख  - देख  के  देस  का   पंछी  मोर। 
औ  किरबा उतराय लाग, जब देखिन कहूं अजोर। 
अब गूलर के कंठ मा होइगा , पंचम सुर का बास। 
    
 

सोमवार, 1 जुलाई 2024

लिपटिस पीपर से कहिस

लिपटिस पीपर से कहिस, है उपयोग हमार। 
पै  भारत मा  हर  जघा,  पूजा  होय   तुम्हार।। 

पीपर बोला  सुन सखा,  हम  भारत   के बीज।
हम हन मंदिर अस हिया, औ तुम जस टाकीज।। 
हेमराज हंस  

ना आकरन लिहाज राम दै।

 ना आकरन    लिहाज   राम दै। 
कहाँ    गिरी  या   गाज  राम दै।। 

सुन्यन   सभ्भदारन    की  बातैं
मूड़   गड़ा   के आज   राम दै।।

कहिन गऊ का जब  हत्त्यारिन  
लाग ना  एकव  लाज  राम दै।।

बरात मा काहू के देखेन होइहा 
भले  नहीं  भा  काज  राम दै। ।

तुलुर  तुलुर  कइ  लहके  गे पै  
नेत  का  भा  अंदाज  राम दै। ।

कइ ल्या भूंभुर खूब  हंस   तुम 
है पद का यहै रिबाज  राम दै। ।
हेमराज हंस  --मैहर 

शनिवार, 29 जून 2024

गुरुवार, 27 जून 2024

अम्‍मा ! हमहूं करब पढाई।


  बघेली बाल गीत 
===================
अम्‍मा  ! हमहूं करब पढाई।
देहैं   बुद्धी   बिद्या   माई ।। 
हम न करब घर कै गोरूआरू औ न चराउब गइया।
कह  दद्‌दा  से  जांय   खेत   औ ताकै खुदै चिरइया॥
हम न करब खेतबाई।
अम्‍मा.........................
आज गुरूजी कहिगें हमसे तु आपन नाव लिखा  ल्या ।
पढ लिख के हुशिआर बना औ किस्‍मत खुदै बना ल्‍या॥
येहिन मां हिबै भलाई।
अम्‍मा..........................
गिनती  पढबै  पढब  दूनिया बाकी जोड़ ककहरा।
अच्‍छर अच्‍छर जोड़.जोड़ के बांचब ठहरा ठहरा॥
औ हम सिखब इकाई दहाई।
अम्‍मा.............................
हम न खेलब किरकिट बल्ला औ न चिरंगा धूर।
पढब  लिखब  त  विद्या माई द्‌याहैं  हमी शहूर॥
करब देस केर सेवकाई।
अम्‍मा ......................
बहुटा गहन कइ अंउठा लगा के दद्‌दा कढैं खीस।
देंय बयालिस रूपिया बेउहर  लिखै चार सौ बीस ॥
ल्‍याखा ल्‍याबै पाई पाई।
अम्‍मा हमहूं करब पढाई॥
हेमराज हंस 

सोमवार, 24 जून 2024

MAIHAR RAJY KA ITIHAS

 

 मैहर रियासत के राजा बृजनाथ सिंह जू देव (जन्म 1896 – मृत्यु 1968) का 16 दिसंबर 1911 में राज तिलक हुआ।  वे प्रजा पालक धर्मनिष्ट न्यायवादी राजा थे। उन्ही के शासन कल में मैहर में एक तपोनिष्ट सिद्ध संत प्रातः स्मरणीय स्वामी नीलकंठ जी महराज (जिनका आश्रम अब भी ओइला में है ) भी रहते थे। उस समय मैहर के भदनपुर पहाड़ की घाटी  में कल्लू डाकू का बहुत अत्याचार था ,लूटपाट हत्या जैसे जघन्य अपराध करके जन मानस को भयभीत कर रखा था। जनता त्राहि त्राहि कर रही थी।  जब खबर किले तक पहुंची तो ,राजा ने जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए डाकू के ऊपर 500/ का ईनाम घोषित कर दिया। परिणाम स्वरुप  बदेरा गाँव के साहसी चौबे लोगों ने उसे जिन्दा पकड़ कर राजा को सौप दिया। राजा की कचहरी में न्याय प्रकिया का पालन करते हुए अदालत ने कल्लू डाकू को फांसी की सजा सुनाई । फांसी की खबर पूरे मइहर राज्य में फ़ैल गईं। जनता उराव मनाने लगी। 16 जनबरी 1912 को  विष्णुसागर  में  फांसी देने का समय निर्धारित। हुआ। फांसी के एक दिन पहले कल्लू डाकू की पत्नी रोते  हुये  प्राणदान की याचना लेकर राज दरवार  गई किन्तु राजा ने उसकी याचना  स्वीकार नहीं की।  तब  उसे किसी ने सलाह दी की वह स्वामी नीलकंठ जी के पास अपनी बिनती सुनाये।  मैहर के राजा उनकी बात नहीं टालेंगे। उसने वैसा ही किया। ओइला आश्रम में महिला को सम्मान सहित जलपान भोजन कराया गया।  इसके बाद स्वामी नीलकंठ महराज जी ने महिला के रुदन से द्रवित होकर उसे वचन दे दिया की कल्लू को फांसी नहीं होगी,भले उम्र कैद हो जाय। और स्वामी जी रात के 12 बजे किला पहुँच कर आपात काल बाला घण्टा बजाने लगे।घंटनाद  सुनकर महाराज बृजनाथ सिंह जू  किले से निकल कर ड्योढ़ी पर आकर देखा तो स्वामी जी को देख कर अवाक् रह गये। उनके चरणों में दण्डवत प्रणाम कर हाथ जोड़ के पूंछने लगे ,बोले स्वामी जी आधीरात को कौन सी समस्या आ गई। सब कुशल तो है न ? आपने किसी सेवादार को नहीं भेजा स्वयं दर्शन देने आ गए। आदेश कीजिए क्या अड़चन है।  स्वामी जी ने कहा राजन बात ही कुछ ऐसी है की मुझे स्वयं आना पडा। बात ये है की आप कल जिसे फांसी देने बाले हैं ,मै उसका प्राणदान मांगने आया हूँ।  आशा करता हूँ ,आप मुझे निराश नहीं करेंगे। राजा ने कहा स्वामी जी शायद आप को ज्ञात न हो वो कल्लू डाकू कितना दुर्दांत अपराधी है। पचासों हत्याएं ,सैकड़ों लूटपाट का दोषी है ,मैहर की जनता उससे त्रस्त थी ,बड़ी मुश्किल वो पकड़ में आया है। अदालत ने उसे मृत्युदंड की सजा दी है। क्या यह जानकर भी आप उसे बचाने का प्रयास करेंगे ? स्वामी जी ने कहा राजन मै चाहता  हूँ की फांसी की जगह उसे उम्र कैद दे  जाय। राजा ने हाथ जोड़ कर कहा ,स्वामी जी आप छमा करें ,देश की न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप उचित नहीं है। यदि वह कोई संत या ब्राह्मण होता तो विचारणीय था। किन्तु उस दुर्दांत के अपराध के अनुपात में ही सजा दी गई है। आप कोई और सेवा करने का अवसर प्रदान करें। स्वामी जी क्रोधित हो गये ,और कहा की यदि मेरी बात नहीं मानी  गयी  तो मै तुम्हारे राज्य का अन्न जल नहीं ग्रहण करूँ गा।  इतना कह कर अपने आश्रम आ गये। सुबह १०  बजे कल्लू डाकू को फांसी दे दी गई। स्वामी जी मैहर त्यागकर उंचेहरा राज्य की सीमा में गणेश घाटी में रहने लगे।नागौद के राजा साहेब ने   वहां  रामपुर पाठा मेंआश्रम बनबा दिया। स्वामी नीलकंठ जी वही रहकर तप करंने लगे। 







रविवार, 23 जून 2024

उइं का भला उसासी द्याहैं।

 उइं  का  भला  उसासी  द्याहैं। 
झरहा  कबों  सब्बासी   द्याहैं।।

जेखे    परी     हिबय  अठ्ठासी 
उइं   का  रोटी  बासी  द्याहैं।।

हें    बिचार     जेखे    अटर्र
उइं आसा नहीं उदासी  द्याहैं।।

जे   पूजी   भारत  माता  का
उइं   ओहिन  फाँसी  द्याहैं।।

अबय मिली ही अबध नगरिया 
ओइन  मथुरा  कासी  द्याहैं।।

हंस ग्यान के हमैं अमाबस 
आने  का  पुनमासी  द्याहैं।।
हेमराज हंस 

गुरुवार, 20 जून 2024

कवि रवि शंकर चौबे

 पीपरबाह  से  देस तक,  गूंज  रहा  साहित्य। 

कोट  बधाई  जनम  कै,  रविशंकर आदित्य।। 


सहज सरल निरछल हिदय, जय हो बानी पूत। 

देस  बिदेस प्रदेस  मा, जस खुब मिलै अकूत।। 


जब  मंचन  मा  बंटत  है, सब्दन  केर  गड़ास। 

खिलखिलात बांटत फिरैं, रबिशंकर जी हास। ।  

हंस   


मंगलवार, 18 जून 2024

जब से य मन मोहित होइगा,

            जब  से य मन मोहित होइगा,    
जब  से य मन मोहित होइगा,  तोहरे निरछल रूप मां।
एकव    अंतर  नही  जनातै,  चलनी  मां  औ  सूप  मां॥

सनकिन सनकी बातैं होइ गईं,लखे न पाइस पलकौ तक।
मन  निकार  के उंइ धइ दीन्हिन ,हमरे दोनिआ दूब   मां॥

ओंठ पिआसे से न कउनौं, एक आंखर पनघट बोलिस।
पता  नही  धौं  केतू  वाठर,  निकराथें   नलकूप   मां॥

रात  रात  भर लिख के   कीरी  , नींद  न आई नैनन  का।
औ मन बाउर ध्यान लगाबै ,  जस  भिच्छुक  स्तूप  मां॥

जब से फुरा  जमोखी होइगै, तन औ  मन के ओरहन कै,
तब  से  महकय  लगें हंस , हो   जइसा   मंदिर  धूप मां॥
हेमराज हंस 

गुरुवार, 13 जून 2024

हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।


 कहूं गिर गै चिन्हारी  नहात बिरिआ। 

हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।

 

बिसरि  गयन  अपना   वा  प्रेम  का। 

जइसन      बिस्वा  मित्र -   मेनका ।।

हमीं   आजव  लगी  अपना  पिरिया।  

 हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।


पहिले    सोची   अपना   मन   मा। 

मृग    मारय    आयन  तै  बन  मा।।

पानी   पिअंय   गयन   तै   झिरिआ।

हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।


अपना   भयन   तै   हमसे    मोहित। 

साक्षी   हैं    रिषि    कण्व   पुरोहित।। 

जब डारि  के जयमाला बन्यन तिरिया।

हम  आहेंन   वहै   करी  थे  किरिआ।। 

 

सुन    के   सकुन्तला    कै     बतिया। 

धड़कय लाग   दुस्यंत   कै   छतिया।।

तबै  नैनन  से ढुरकय लगी   गुरिया।

हम  आहेंन   वहै   करी  थे  किरिआ।।  

हेमराज हंस 

बन बिरबा का धरम से, पुरखा गे तें जोड़।

बन  बिरबा   का  धरम से, पुरखा गे तें  जोड़।

ता पखंड के नाव से , हम सब दीन्हयन  छोड़। ।

हम सब दीन्हयन  छोड़,  बरा औ पीपर पूजब। 

नास्तिक बन के सिख्यन सरग मा होरा भूजब।।

तड़प  रहें  हे  मनई जीव  पसु  पंछी   किरबा। 

चला लउट पुन चली पूजय काही  बन बिरबा।। 

हेमराज हंस  

बुधवार, 12 जून 2024

अइसा सिस्टचार।

 अउर कहूं देखे हयन, अइसा सिस्टचार। 

गहगड्डव है आन के, कहूं पारी ही दार।।

हेमराज हंस  

वा एक पुड़िया कुरकुरा मा रगाय गा।

वा  एक   पुड़िया   कुरकुरा   मा  रगाय  गा।
पै  रोय  के सबका   नींद   से   जगाय   गा ।।
उनही   पुटिआमै   का  अउराथै    नीक  के 
घुनघुना  धराय के अउंटा पिअय सिखाय गा।।
हेमराज हंस 

मंगलवार, 11 जून 2024

RAM NAGAR SAMMAN 2010


 

कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।

 कुच्छ न पूछा हाल तिवारी। 

निगबर लइ डारिन पटबारी।


आपन खसरा बताइन घर मा। 

कब्ज़ा कर लइन बीडी शर्मा।।

वासर भइंस लिहिस बइठान 

उइ अब मार रहें  सिस कारी। 

कुच्छ न ---------------------


यम पी  मा चला न खटाखट्ट ।

होइगे  निगबर   सफाचट्ट।।

उनहिन का  भा चित्त  पट्ट। 

इनखर  चली न लम्मरदारी।  

कुच्छ न ---------------- 


अइसा  बजा जुझारू  बाजा। 

पुनि के निपट गें दिग्गी राजा।।

बिंध  मालबा औ निमाड़ तक 

परे  उतान  हमय  दरबारी। 

 कुच्छ न ---------------- 

गहकी    बागैं     बिल्लिआन। 

कहाँ ही मुहाब्बत केर दुकान। । 

शटर बंद  जनता कइ दीन्हिस 

पुन पलुहाई पुन पुचकारी। 

कुच्छ न पूछा हाल तिवारी। 

हेमराज हंस   

अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन

 अपने  रिमही   बघेली    के अनमोल  रतन। 

जिनही सुने से मिट जाथी तन मन कै थकन।।  

  दुनहु  जन  का  बधाई  शुभ  कामना   ही 

बिन्ध्य  के  कंठ  हार  बंदन औ अभिनंदन।।   


सोमवार, 10 जून 2024

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।

 जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।


शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान । 

जिनखे  हाथे  मा पहुँच, सम्मानित सम्मान। 


पयसुन्नी  अस सब्द का, जे पूजय  दिनरात। 

कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।   

 

गीत ग़ज़ल कै आरती ,  दोहा कविता छंद।

आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।

 

शब्द  ब्रह्म  का  रुप है,  वर्ण  धरै जब भेष।

मइहर  मा  एक  संत  हैं, पंडित रामनरेश।।


लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य। 

मैहर मा  चमकत रहैं,  राम नरेश आदित्य।। 

 


गुरुवार, 6 जून 2024

गाड़ी का पंचर भा चक्का।

 गाड़ी का पंचर भा  चक्का। 

नाचय लागें चोर उचक्का।।


कहूं पायगें गें एकठे टोरबा 

लगें सबूत देखामय छक्का। ।


जे हें  फेल  उइ  हे उराव मा 

भा जे पास वा हक्का बक्का।। 


अजिआउरे का थाका पाइन 

थरह  रहें थइली  मा मक्का।।

 

उनखी   बातैं  आला  टप्पू 

सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।


देखि  रहें  जे   कबरे सपना

हंस  खुली उनहूँ का जक्का। ।

हेमराज हंस

***************************** 

 टोरबा = बालक 

अजिआउरे = दादी का मायका 

थाका  = निःसंतान की संपत्ति 

थरह = पौधशाला 

आला टप्पू =  बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे, 

कबरे = रंगीन 

जक्का = विवेकशून्य स्थिति, 


लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।

 लेत  रहें  जे थान  के,  लम्बाई  कै नाप।

अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।



भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।

अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।

न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।

 न मात्रा  का  ज्ञान  है, न हम  जानी वर्ण। 

पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।। 

रविवार, 2 जून 2024

मानो मोहनिया घाट

 तुम रहत्या जब साथ ता , पता चलय न बाट। 
औ रस्ता छोह्गर लगै, मानो मोहनिया घाट।। 
हेमराज हंस 

शनिवार, 1 जून 2024

लोकरत्न कक्का


 रीमा  मा  कक्का  हमय ,  जग जीबन  है नाव । 

उनखे  झंडा  के तरी,  सब्द  का  सीतल  छाँव।। 

सब्द का सीतल छाँव मान  सब लेखनी काही। 

चाह  अडारन  होय,  चाह  अनमोल   सिपाही।।

लोकरत्न  कक्का लगैं ,अमल्लक रतन छटीमा। 

आजु हमय सहनाव अस कक्का जी औ रीमा।। 

शुक्रवार, 31 मई 2024

सरसुती मइय्या होय सहांई। ।

 शाबास बिटिया हार्दिक बधाई। 

सम्मान मिलै खुब बंटय मिठाई।। 

दूनव  कुल  का  नाउ    चलय  

सरसुती मइय्या होय  सहांई। । 

शीर्षक अपना अखबार के।।

 हम  देखइया   दरबार  के। 

शीर्षक अपना अखबार के।। 

गूंजय  देस  भरे मा बानी 

कबिता  के  रस  धार के ।।  

श्री मैथिल जी व्यास

 

रिमही बोली के निता, श्री मैथिल जी व्यास। 
जिनखे कण्ठे मा हबइ शारद जी का बास।।  

हमारी ग्राम गिरा रिमही बघेली के जन कवि आचार्य श्री मैथलीशरण शुक्ल जी को 75 वे जन्म दिन की हार्दिक बधाई। श्री मैथली जी बघेली के मूर्धन्य साहित्यकार हैं। वे बघेली की सौम्यता सुष्मिता सुचिता सरलता सहजता के पहरुआ कवि हैं। उनकी बघेली रचनाओं को मप्र सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के BA. MA. कोर्स में अध्ययन हेतु चयनित कर उनकी मनस्विनी को सम्मानित किया है। हम जैसे तुकबंदी कारो को उनका सनेह अभिभावक की तरह मिल रहा है। माँ शारदा उन्हें स्वथ्य रखें और शतायु होने आशीर्वाद प्रदान करें। कोटि कोटि बधाई। अभिनंदन।


गुरुवार, 30 मई 2024

चिटका फोरत चली गय

 चिलचिलात या घाम मा, मिली कहूं न छाह।
चिटका फोरत चली गय, एक पिआसी डाह।।

छठ सातैं की भमरी देखा

  छठ सातैं  की भमरी देखा।

तोहसे  या  न थम्हरी देखा।। 

 

एक  बाल्टी  पानी  खातिर 

उचत  भरे कै जमरी देखा।। 


सउंज  उतार रही तुलसी कै 

या   गंधइली   ममरी   देखा। ।


पसगइयत  मा  परगा पादन

चिलकत चरमुठ चमरी देखा।। 


कांखय लगिहा चुनुन दार मा 

कामड़ेरा  औ  कमरी  देखा।।


हंस अबरदा जब तक वाखर 

रोये   गीध   के  ना  मरी देखा।। 

हेमराज हंस 

--------------------------------

ममरी= तुलसी जैसे दिखने बाली झाड़ी    

पसगइयत=आसपास

 परगा पादन= तिकड़मी  दंदी फन्दी  

 चिलकत=चमकती हुई 

चरमुट= स्वस्थ्य एवं शक्तिवान, शरीर हृष्ट  पुष्ट, 

चुनुन दार = शीघ्र 

अबरदा= आयु 

सोमवार, 27 मई 2024

होइगै सड़क जब तात राम दै ।

 होइगै  सड़क जब तात राम दै । 

जराथें    तरबा    लात   राम दै।। 

 

को   को   ओखे   ऊपर  हींठा 

वा   नहि  पूंछय   जात  राम दै।। 

 

रिन काढ़त  मा  खूब सराहिन 

देत मा टूट गा  भात राम दै। ।  

 

खूब किहिन सोहबत अटकी मा 

अब नहि  पूंछय  बात राम दै । ।  

   

चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 

जब  कोउ आमय नात राम दै। ।

    

 सचेत रहा  हितुअन से हंस

जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।

हेमराज हंस 

शनिवार, 25 मई 2024

जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।

जे दसा  सुधारय  गे रहे,  गरीब  सुदामा कै। 

उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।

 

अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ    

घर  घर मा  पूजा  होथी  बसामान  मामा कै।। 


उइ   कहा  थे  दोस्ती  का   हाथ  बढ़ा  ल्या 

करतूति  नहीं  बिसरय हमीं  पुलबामा  कै।।

 

धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे 

बांच  बांच  कबिता  इकबाल अल्लामा कै। । 


सीला सपोटी खुब किहिन इतिहासकार हंस

खोजाबर कै पोलपट्टी  खुलगै कारनामा कै।। 

हेमराज हंस    

बुधवार, 22 मई 2024

उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 
उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 

 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 
हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 

आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 
भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 

प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
 
कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 
जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।
हेमराज हंस 

साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 

उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 


 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 

हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 


आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 

भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 


प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 

सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।

 

कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 

जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।

हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 मई 2024

उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।

 उइं  बड़े   'धरमराज ' हें जुआ  खेला थें। 

परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।। 


दुआर  से  कहि  द्या  कि  सचेत  रहैं 

आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।। 


अपना उनखे साहुत से  सेंतै डेरइत थे 

रंगे  सिआर आहीं  हुआ हुआ खेला थें।।


अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है

पपड़िआन  नरबा नाइ दुआ खेला थें।।


परीबा का पूजय कै तयारी  ही हंस 

आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।। 

हेमराज हंस 

राजमार्ग मा चल रहें ,

 राजमार्ग   मा  चल  रहें ,  बड़े  बेढंगे   यान। 

चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।। 

हेमराज हंस  

सोमवार, 20 मई 2024

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

 खाता बचा है करंसी चली गै।

मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।

जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

*लोकगीत *

  दार महँगी  है  खा ल्या सजन  सुसका। दार महँगी  ।   

भाव   सुनत  मा लागय गरे   ठुसका।। दार महँगी  ।। 

  

किधनव  बनाउब  पानी  पातर। 

एक दुइ दिन का दइ के आंतर।। 

लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार   महँगी । 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

   

गुजर करब खा लपटा मीजा।

दार  बनी  जब अइहैं  जीजा।। 

करंय का मजूरी कहूं खसका। ।  दार महँगी।    

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।


कइसा  चलय  अटाला  घर का। 

अइसा   पाली  पोसी  लरिका  ।।

जइसा सीता मइया लउकुस का।   दार  महँगी।

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान

 चाहे  कोऊ  कवि  लिखय,  चह  शायर  श्रीमान। 

सब्द सक्ति जब तक नहीं, तब तक नही  प्रमान।।  

रविवार, 19 मई 2024

अहिबाती का बिधबा पेंसन,

 अपरोजिक  के  भरे पेट, औ  उनहिन  निता  सुपास   हबै।  
औ  जेही   अगरासन  निकरै,  वा  निरजला  उपास   हबै।। 
अहिबाती   का  बिधबा पेंसन,   बाँटय कै योजना  अइ अबै  
काजर आंज के कहिस फलनिया देस का बड़ा बिकास हबै।। 
हेमराज हंस

बाप के फोटो मा थूँकी।

 हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर  भरी हमिन हूंकी। 

हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।। 


नित परभाती  औ  सँझबाती, करत  देस  का  पूजीथे

द्रश्टिदोख  मा उदवबत्ती  अपना  का  लागय  लूकी।।


हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे 

हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा  जबान  चूकी ।।


जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय  भाव सदा 

हम ओहू  का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।


जेखर  उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस 

उइ भंडारा का जानैं  जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।

हेमराज हंस   

शुक्रवार, 17 मई 2024

वहै है शक के घेरे मा

वहै है शक  के  घेरे  मा, जे  नेम   प्रेम   का  आदी   है। 
जे  घर  फूंक  तमासा देखय, वा  कबीर  का गादी   है।। 
 
उनही फिकर ही युबा बर्ग कै, एहिन से सब सुबिधा ही  
कोउ अमलासन रहय  न पाबै  नशा से गाड़ी  लादी है।।  

निकरी  भूंख जब अलगा  मारे उड़ी उड़न्की खोरन मा
कोउ  उसाँसी  नहीं  देबइया  अपजस केर मुनादी  है।। 
 
अनचिन्हार  तक से जे राखय  बड़ा अपनपौ अंतस से   
कहिस  अमाबस  चंदा  काही  बहुतै  जाती  बादी है।।   

चाहे कहय  अनूतर  कोऊ  चाह कुलांच अगाध  कहै 
हंस  देस के संबिधान मा बोलय केर  आजादी   है। ।
हेमराज हंस  

अपना का आशीष

 जेखे  मूड़े मा रहय,  अपना का आशीष 

वा बन जाय कनेर से , गमकत सुमन शिरीष।  । 

गुरुवार, 16 मई 2024

लगथै उनखर उतरिगा जादू।

 लगथै  उनखर उतरिगा  जादू।
हेरा  आन  गुनिया  अब   दादू।।

कब तक सूख   पेड़ का द्याहा  
पुन  पुन पानी  पुन  पुन खादू।।

बजरंगी का  कब तक छलिहै
कालनेम   बनि   ज्ञानी  साधू ।।

एक न मानिस हिरना कश्यप
खुब  समझा के हार कयाधू।।

हेन  जन  जन के  कंठहार हें 
ओछी  जात  के आल्हा  धांधू।। 
✍️हेमराज हंस ✍️

KAVI SAMMELAN REWA




सिरि शम्भू काकू के पुन्न दिबस मा, हमहूं पहुंच गयन  रीमा। 
जिउ भर कबिता  सुन्यन सुनायन बड़ संतोष मिला जी मा। ।

श्री निष्ठुर जी ,कक्का जी , औ  सरस, भ्रमर, जी शांति दूत।
श्री शिवानंद,  श्री सूर्यमणी , शिवपाल, कमल जी  बानी पूत। ।

कैलाश  तिवारी ,औ  धीरेन्द्र  ,सीमा रानी,   क्रांति बइया । 
अबध बिहारी, राजकरण , अउ राम सुशील ,मणी भइया।। 

अरुणा पाठक ,स्नेहा जी, आरती जी  ,  हसमत रीबानी।
हेमराज   भेंड़ा   बाले,   यश   पी   तीवारी    कै    बानी। ।
 
अध्यक्ष प्रभाकर चौबे जी ,श्री परिहार बिशिष्ट अतिथी । 
जे भूले बिसरें छमा करैं ,  संपन्न  काकू  कै  पुन्न  तिथी।। 

काकू जी का सुमिरन कइ के, हम  पंचे सब धन्न भयन। 
कवि सम्मेलन  संपन्न हंस  ,सब  अपने अपने घरे गयन। 
हेमराज हंस----15/05/2024