लेबल
- अटल जी
- अटलबिहारी।
- अम्मा
- आचार्य रामाधार शर्मा अनंत जी मैहर
- आदि शंकराचार्य
- कवि मैथलीशरण शुक्ल
- कवि रवि शंकर चौबे
- कविवर रामनरेश तिवारी मैहर
- कुण्डलिया
- खजुलैयां
- खेल
- गोस्वामी तुलसीदास
- घटना
- जनम दिन
- जयराम शुक्ल जी
- तीजा
- दीपावली
- दोहा
- नवरात्रि
- परसुराम
- फागुन
- बघेली कविता
- बघेली कुण्डलिया
- बघेली गीत
- बघेली छंद
- बघेली दोहा
- बघेली बाल गीत
- बघेली मुक्तक
- भेड़ा
- मतदान
- मुक्तक
- मुक्तक बघेली
- लक्ष्मण सिंह परिहार लगरगवाँ
- लोकरत्न कक्का
- शम्भू काकू
- स्वागत
- हरछठ
- B.J.P.
- bagheli
- bagheli ghajal
- BAGHELI KAVI HEMRAJ HANS BHEDA
- bagheli kavita
- bagheli muktak
- CHITRKOOT KAVI SAMMELAN 14.08.2024
- GANESH PUJAN
- MAIHAR DHAM
- MAIHAR STATE
- sahitya
- SAMMAN PATRA
- SHLOK
शुक्रवार, 20 सितंबर 2024
पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,
बुधवार, 28 अगस्त 2024
शनिवार, 24 अगस्त 2024
हरछठ केर उपास
चुकनी मा चुकरी धरे ,भरे सतनजा भूंज।
दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।।
छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।
हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। ।
दादू केर भभिस्य हो , उज्जर संच सुपास।
अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।
मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै, जइसा परसी थाल।।
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
अपना के हाथ उघन्नी ही।
अपना के हाथ उघन्नी ही।
औ हमरे नेरे नहन्नी ही।।
गारा मा है रेतय रेता
परबस बपुरी कन्नी ही।।
बैतरनी के खातिर गइया
कूकुर का पोहकन्नी ही।।
सड़ुआइन का धोती पोलका
बहिनी निता दुअन्नी ही।।
चउमासे मा सुटुर पुटुर जिउ
घर कै टूटी धन्नी ही।।
लाल किला बोलिआय देख के
हंस के छाई पन्नी ही। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 20 अगस्त 2024
सलेंडर परा भुसहरा मा।
सलेंडर परा भुसहरा मा।
खजुलैयां
खजुलैयां कै सुभकामना, सादर राम जोहार।
नेम- प्रेम से सब रहैं , समता का तेउहार। ।
अपने रीत रिबाज का, गांव समेटे गर्व ।
पुरखन कै थाती धरे, मना रहा है पर्व ।।
खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम।
द्यखतै जिव हरिआय गा, परिपाटी का प्रेम।।
शुक्रवार, 16 अगस्त 2024
आबा मुखिया जी स्वागत है
आबा मुखिया जी स्वागत है
आबा मुखिया जी स्वागत है।
शारद मइया कै धर्म भूमि।
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।
भुइ गोलामठ औढरदानी कै ।
सम्पत तेली बलिदानी कै। ।
मुड़िया बाबा के धूनी मा
बंदन अभिनन्दन शत शत है। ।
आबा मुखिया जी स्वागत है। ।
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी।
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। ।
औ रामपुर के राधा किशना।
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। ।
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी
कै पयस्वनी निकरत है। ।
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश।
पानी लये कलकल बहै टमस। ।
जब से ठगि के गें हें कुम्भज।
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच । ।
गुरू अगस्त के निता झुका
या अटल झुकेही का ब्रत है। ।
आबा मुखिया ----------------
भे सोम दत्त साहित्यकार।
आल्हा कीन्हिनभक्तीअपार।
जे ह्यन आवा वा पावत है।
आवा मुखिया जी स्वागत है।
रविवार, 11 अगस्त 2024
जन कवि तुलसीदास
हे हुलसी नंदन तुलसी
शनिवार, 10 अगस्त 2024
शनिवार, 27 जुलाई 2024
हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से
सोमवार, 22 जुलाई 2024
लाल जी स्वामी चपना के
लाल जी स्वामी चपना के
*******************
लाल जी स्वामी चपना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
नमन करी पबरित माटी का।
सत्त सनातन परिपाटी का।।
जय कालनेमि के हतना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
कोउ चढ़ाबै फूटा रेउरी ।
कोउ नरिअर लै करै चेरउरी।।
हे ! प्रान बचइया लखना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
कोउ करै मानस भण्डारा।
गूंजय जयश्री राम का नारा।।
पूजन हबन अर्चना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
धन्य है देस के रीत प्रथा का।
कोउ बदना बदय कथा का। ।
पूर करइया सपना के।
लाल जी स्वामी चपना के।
करैं पूर मनोरथ अपना के।।
सोमवार, 8 जुलाई 2024
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है
गुरुवार, 4 जुलाई 2024
आबा है चउमास
सोमवार, 1 जुलाई 2024
लिपटिस पीपर से कहिस
ना आकरन लिहाज राम दै।
शनिवार, 29 जून 2024
गुरुवार, 27 जून 2024
अम्मा ! हमहूं करब पढाई।
सोमवार, 24 जून 2024
MAIHAR RAJY KA ITIHAS
मैहर रियासत के राजा बृजनाथ सिंह जू देव (जन्म 1896 – मृत्यु 1968) का 16 दिसंबर 1911 में राज तिलक हुआ। वे प्रजा पालक धर्मनिष्ट न्यायवादी राजा थे। उन्ही के शासन कल में मैहर में एक तपोनिष्ट सिद्ध संत प्रातः स्मरणीय स्वामी नीलकंठ जी महराज (जिनका आश्रम अब भी ओइला में है ) भी रहते थे। उस समय मैहर के भदनपुर पहाड़ की घाटी में कल्लू डाकू का बहुत अत्याचार था ,लूटपाट हत्या जैसे जघन्य अपराध करके जन मानस को भयभीत कर रखा था। जनता त्राहि त्राहि कर रही थी। जब खबर किले तक पहुंची तो ,राजा ने जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए डाकू के ऊपर 500/ का ईनाम घोषित कर दिया। परिणाम स्वरुप बदेरा गाँव के साहसी चौबे लोगों ने उसे जिन्दा पकड़ कर राजा को सौप दिया। राजा की कचहरी में न्याय प्रकिया का पालन करते हुए अदालत ने कल्लू डाकू को फांसी की सजा सुनाई । फांसी की खबर पूरे मइहर राज्य में फ़ैल गईं। जनता उराव मनाने लगी। 16 जनबरी 1912 को विष्णुसागर में फांसी देने का समय निर्धारित। हुआ। फांसी के एक दिन पहले कल्लू डाकू की पत्नी रोते हुये प्राणदान की याचना लेकर राज दरवार गई किन्तु राजा ने उसकी याचना स्वीकार नहीं की। तब उसे किसी ने सलाह दी की वह स्वामी नीलकंठ जी के पास अपनी बिनती सुनाये। मैहर के राजा उनकी बात नहीं टालेंगे। उसने वैसा ही किया। ओइला आश्रम में महिला को सम्मान सहित जलपान भोजन कराया गया। इसके बाद स्वामी नीलकंठ महराज जी ने महिला के रुदन से द्रवित होकर उसे वचन दे दिया की कल्लू को फांसी नहीं होगी,भले उम्र कैद हो जाय। और स्वामी जी रात के 12 बजे किला पहुँच कर आपात काल बाला घण्टा बजाने लगे।घंटनाद सुनकर महाराज बृजनाथ सिंह जू किले से निकल कर ड्योढ़ी पर आकर देखा तो स्वामी जी को देख कर अवाक् रह गये। उनके चरणों में दण्डवत प्रणाम कर हाथ जोड़ के पूंछने लगे ,बोले स्वामी जी आधीरात को कौन सी समस्या आ गई। सब कुशल तो है न ? आपने किसी सेवादार को नहीं भेजा स्वयं दर्शन देने आ गए। आदेश कीजिए क्या अड़चन है। स्वामी जी ने कहा राजन बात ही कुछ ऐसी है की मुझे स्वयं आना पडा। बात ये है की आप कल जिसे फांसी देने बाले हैं ,मै उसका प्राणदान मांगने आया हूँ। आशा करता हूँ ,आप मुझे निराश नहीं करेंगे। राजा ने कहा स्वामी जी शायद आप को ज्ञात न हो वो कल्लू डाकू कितना दुर्दांत अपराधी है। पचासों हत्याएं ,सैकड़ों लूटपाट का दोषी है ,मैहर की जनता उससे त्रस्त थी ,बड़ी मुश्किल वो पकड़ में आया है। अदालत ने उसे मृत्युदंड की सजा दी है। क्या यह जानकर भी आप उसे बचाने का प्रयास करेंगे ? स्वामी जी ने कहा राजन मै चाहता हूँ की फांसी की जगह उसे उम्र कैद दे जाय। राजा ने हाथ जोड़ कर कहा ,स्वामी जी आप छमा करें ,देश की न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप उचित नहीं है। यदि वह कोई संत या ब्राह्मण होता तो विचारणीय था। किन्तु उस दुर्दांत के अपराध के अनुपात में ही सजा दी गई है। आप कोई और सेवा करने का अवसर प्रदान करें। स्वामी जी क्रोधित हो गये ,और कहा की यदि मेरी बात नहीं मानी गयी तो मै तुम्हारे राज्य का अन्न जल नहीं ग्रहण करूँ गा। इतना कह कर अपने आश्रम आ गये। सुबह १० बजे कल्लू डाकू को फांसी दे दी गई। स्वामी जी मैहर त्यागकर उंचेहरा राज्य की सीमा में गणेश घाटी में रहने लगे।नागौद के राजा साहेब ने वहां रामपुर पाठा मेंआश्रम बनबा दिया। स्वामी नीलकंठ जी वही रहकर तप करंने लगे।
रविवार, 23 जून 2024
उइं का भला उसासी द्याहैं।
गुरुवार, 20 जून 2024
कवि रवि शंकर चौबे
पीपरबाह से देस तक, गूंज रहा साहित्य।
कोट बधाई जनम कै, रविशंकर आदित्य।।
सहज सरल निरछल हिदय, जय हो बानी पूत।
देस बिदेस प्रदेस मा, जस खुब मिलै अकूत।।
जब मंचन मा बंटत है, सब्दन केर गड़ास।
खिलखिलात बांटत फिरैं, रबिशंकर जी हास। ।
हंस
मंगलवार, 18 जून 2024
जब से य मन मोहित होइगा,
गुरुवार, 13 जून 2024
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
कहूं गिर गै चिन्हारी नहात बिरिआ।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
बिसरि गयन अपना वा प्रेम का।
जइसन बिस्वा मित्र - मेनका ।।
हमीं आजव लगी अपना पिरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
पहिले सोची अपना मन मा।
मृग मारय आयन तै बन मा।।
पानी पिअंय गयन तै झिरिआ।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
अपना भयन तै हमसे मोहित।
साक्षी हैं रिषि कण्व पुरोहित।।
जब डारि के जयमाला बन्यन तिरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
सुन के सकुन्तला कै बतिया।
धड़कय लाग दुस्यंत कै छतिया।।
तबै नैनन से ढुरकय लगी गुरिया।
हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।
हेमराज हंस
बन बिरबा का धरम से, पुरखा गे तें जोड़।
बन बिरबा का धरम से, पुरखा गे तें जोड़।
ता पखंड के नाव से , हम सब दीन्हयन छोड़। ।
हम सब दीन्हयन छोड़, बरा औ पीपर पूजब।
नास्तिक बन के सिख्यन सरग मा होरा भूजब।।
तड़प रहें हे मनई जीव पसु पंछी किरबा।
चला लउट पुन चली पूजय काही बन बिरबा।।
हेमराज हंस
बुधवार, 12 जून 2024
वा एक पुड़िया कुरकुरा मा रगाय गा।
मंगलवार, 11 जून 2024
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
निगबर लइ डारिन पटबारी।
आपन खसरा बताइन घर मा।
कब्ज़ा कर लइन बीडी शर्मा।।
वासर भइंस लिहिस बइठान
उइ अब मार रहें सिस कारी।
कुच्छ न ---------------------
यम पी मा चला न खटाखट्ट ।
होइगे निगबर सफाचट्ट।।
उनहिन का भा चित्त पट्ट।
इनखर चली न लम्मरदारी।
कुच्छ न ----------------
अइसा बजा जुझारू बाजा।
पुनि के निपट गें दिग्गी राजा।।
बिंध मालबा औ निमाड़ तक
परे उतान हमय दरबारी।
कुच्छ न ----------------
गहकी बागैं बिल्लिआन।
कहाँ ही मुहाब्बत केर दुकान। ।
शटर बंद जनता कइ दीन्हिस
पुन पलुहाई पुन पुचकारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
हेमराज हंस
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन।
जिनही सुने से मिट जाथी तन मन कै थकन।।
दुनहु जन का बधाई शुभ कामना ही
बिन्ध्य के कंठ हार बंदन औ अभिनंदन।।
सोमवार, 10 जून 2024
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान ।
जिनखे हाथे मा पहुँच, सम्मानित सम्मान।
पयसुन्नी अस सब्द का, जे पूजय दिनरात।
कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।
गीत ग़ज़ल कै आरती , दोहा कविता छंद।
आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।
शब्द ब्रह्म का रुप है, वर्ण धरै जब भेष।
मइहर मा एक संत हैं, पंडित रामनरेश।।
लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य।
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।।
गुरुवार, 6 जून 2024
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
नाचय लागें चोर उचक्का।।
कहूं पायगें गें एकठे टोरबा
लगें सबूत देखामय छक्का। ।
जे हें फेल उइ हे उराव मा
भा जे पास वा हक्का बक्का।।
अजिआउरे का थाका पाइन
थरह रहें थइली मा मक्का।।
उनखी बातैं आला टप्पू
सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।
देखि रहें जे कबरे सपना
हंस खुली उनहूँ का जक्का। ।
हेमराज हंस
*****************************
टोरबा = बालक
अजिआउरे = दादी का मायका
थाका = निःसंतान की संपत्ति
थरह = पौधशाला
आला टप्पू = बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे,
कबरे = रंगीन
जक्का = विवेकशून्य स्थिति,
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।
भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।।
रविवार, 2 जून 2024
मानो मोहनिया घाट
शनिवार, 1 जून 2024
लोकरत्न कक्का
रीमा मा कक्का हमय , जग जीबन है नाव ।
उनखे झंडा के तरी, सब्द का सीतल छाँव।।
सब्द का सीतल छाँव मान सब लेखनी काही।
चाह अडारन होय, चाह अनमोल सिपाही।।
लोकरत्न कक्का लगैं ,अमल्लक रतन छटीमा।
आजु हमय सहनाव अस कक्का जी औ रीमा।।
शुक्रवार, 31 मई 2024
सरसुती मइय्या होय सहांई। ।
शाबास बिटिया हार्दिक बधाई।
सम्मान मिलै खुब बंटय मिठाई।।
दूनव कुल का नाउ चलय
सरसुती मइय्या होय सहांई। ।
शीर्षक अपना अखबार के।।
हम देखइया दरबार के।
शीर्षक अपना अखबार के।।
गूंजय देस भरे मा बानी
कबिता के रस धार के ।।
श्री मैथिल जी व्यास
जिनखे कण्ठे मा हबइ शारद जी का बास।। |
गुरुवार, 30 मई 2024
छठ सातैं की भमरी देखा
छठ सातैं की भमरी देखा।
तोहसे या न थम्हरी देखा।।
एक बाल्टी पानी खातिर
उचत भरे कै जमरी देखा।।
सउंज उतार रही तुलसी कै
या गंधइली ममरी देखा। ।
पसगइयत मा परगा पादन
चिलकत चरमुठ चमरी देखा।।
कांखय लगिहा चुनुन दार मा
कामड़ेरा औ कमरी देखा।।
हंस अबरदा जब तक वाखर
रोये गीध के ना मरी देखा।।
हेमराज हंस
--------------------------------
ममरी= तुलसी जैसे दिखने बाली झाड़ी
पसगइयत=आसपास
परगा पादन= तिकड़मी दंदी फन्दी
चिलकत=चमकती हुई
चरमुट= स्वस्थ्य एवं शक्तिवान, शरीर हृष्ट पुष्ट,
चुनुन दार = शीघ्र
अबरदा= आयु
सोमवार, 27 मई 2024
होइगै सड़क जब तात राम दै ।
होइगै सड़क जब तात राम दै ।
जराथें तरबा लात राम दै।।
को को ओखे ऊपर हींठा
वा नहि पूंछय जात राम दै।।
रिन काढ़त मा खूब सराहिन
देत मा टूट गा भात राम दै। ।
खूब किहिन सोहबत अटकी मा
अब नहि पूंछय बात राम दै । ।
चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का
जब कोउ आमय नात राम दै। ।
सचेत रहा हितुअन से हंस
जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।
हेमराज हंस
शनिवार, 25 मई 2024
जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।
जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।
उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।
अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ
घर घर मा पूजा होथी बसामान मामा कै।।
उइ कहा थे दोस्ती का हाथ बढ़ा ल्या
करतूति नहीं बिसरय हमीं पुलबामा कै।।
धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे
बांच बांच कबिता इकबाल अल्लामा कै। ।
सीला सपोटी खुब किहिन इतिहासकार हंस
खोजाबर कै पोलपट्टी खुलगै कारनामा कै।।
हेमराज हंस
बुधवार, 22 मई 2024
उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।
साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।
साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।
उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।
कान बहय लागी जो सुन ल्या हा फुर
हेन जात बाले जातै का पउल रहे हें।।
आपुस मां कइसा माहुर घोराथी इरखा
भुक्त भोगी आपन "हरदउल" रहे हें।।
प्रथ्बी औ जयचन्द कै मुखागर ही किसा
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
कल्हव रहें देस मा उइ आजव हेमैं 'हंस'
जे बिषइले उरा बाले डील डउल रहे हें।।
हेमराज हंस
मंगलवार, 21 मई 2024
उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।
उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।।
अपना उनखे साहुत से सेंतै डेरइत थे
रंगे सिआर आहीं हुआ हुआ खेला थें।।
अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है
पपड़िआन नरबा नाइ दुआ खेला थें।।
परीबा का पूजय कै तयारी ही हंस
आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।।
हेमराज हंस
राजमार्ग मा चल रहें ,
राजमार्ग मा चल रहें , बड़े बेढंगे यान।
चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।।
हेमराज हंस
सोमवार, 20 मई 2024
तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।
खाता बचा है करंसी चली गै।
मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।
जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा
तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।
*लोकगीत *
दार महँगी है खा ल्या सजन सुसका। दार महँगी ।
भाव सुनत मा लागय गरे ठुसका।। दार महँगी ।।
किधनव बनाउब पानी पातर।
एक दुइ दिन का दइ के आंतर।।
लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार महँगी ।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
गुजर करब खा लपटा मीजा।
दार बनी जब अइहैं जीजा।।
करंय का मजूरी कहूं खसका। । दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
कइसा चलय अटाला घर का।
अइसा पाली पोसी लरिका ।।
जइसा सीता मइया लउकुस का। दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर
चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान
चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान।
सब्द सक्ति जब तक नहीं, तब तक नही प्रमान।।
रविवार, 19 मई 2024
अहिबाती का बिधबा पेंसन,
बाप के फोटो मा थूँकी।
हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर भरी हमिन हूंकी।
हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।।
नित परभाती औ सँझबाती, करत देस का पूजीथे
द्रश्टिदोख मा उदवबत्ती अपना का लागय लूकी।।
हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे
हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा जबान चूकी ।।
जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय भाव सदा
हम ओहू का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।
जेखर उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस
उइ भंडारा का जानैं जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।
हेमराज हंस
शुक्रवार, 17 मई 2024
वहै है शक के घेरे मा
गुरुवार, 16 मई 2024
लगथै उनखर उतरिगा जादू।
KAVI SAMMELAN REWA
मंगलवार, 14 मई 2024
पहिले जिव भर खा समोसा।
SHAMBHU KAKU
डॉ शांतिदूत जी की वाल से साभार
सोमवार, 13 मई 2024
खतरे मा है।
काहू का गोत्र काहू का बान खतरे मा है।
ता काहू का भभिस्स बर्तमान खतरे मा है।।
उनखर धइना देखि के फलाने कहा थें
लागा थै मोहब्बत कै दुकान खतरे मा है।।
कुण्डली मा राहु लगी है साढ़े साती
पुरोहित कहा थें जजमान खतरे मा है।
सोसल मीडिया मा उड़ रहीं हबूहय
सूरज है बंदी रात के बिहान खतरे मा है।
मुसबा औ जूजू साथै सोफा मा बइठे देखिस
ता निउ कहय लगी कि मकान खतरे मा है।।
डी जे बजैं लगे औ डिस्को चलय लगा ता
हंस कहि रहे हैं की कान खतरे मा है।।
कबिबर रामाधार जी, भें अनंत मा लीन !
रविवार, 12 मई 2024
अम्मा अस कउनौ नहीं
शुक्रवार, 10 मई 2024
सांझ का सांझ सकार का सकार कहा।।
गुरतुर का गुरतुर सखार का सखार कहा।
सांझ का सांझ सकार का सकार कहा।।
भले केत्तव सजाबा बनउक बिझूका
तोखार न बनी वोही धोखार कहा। ।
हेमराज हंस
बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत।
बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।
सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत।
करत रहै लेखनी सदा सबका सजग सचेत।।
जयराम शुक्ल जी
गुरुवार, 9 मई 2024
बिना सुदिन साख कै अक्ती देखी थे।।
बुधवार, 8 मई 2024
प्रेम काहू से ता पैपखरी कहूं अउर ही।।
मंगलवार, 7 मई 2024
कनमा होइगें हुम्मी मा।।
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : ओही नव ठे कजरउटा है।
ओही नव ठे कजरउटा है।
सोमवार, 6 मई 2024
धनानन्द सैलून मा, लगें बनामय बार
भ्रस्टाचार मा डूब गा, जब मगधी दरबार।
धनानन्द सैलून मा, लगें बनामय बार।।
कहिन फलाने हम हयन, पढ़े लिखे भर पूर।
पै अब तक आई नहीं, बोलय केर सहूर।।
भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।
एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।।
रविवार, 5 मई 2024
भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम।
तब ईस्वर का लें परा, फरस राम अबतार
शनिवार, 4 मई 2024
जग मा होत प्रसिद्ध
जो जटायु अस रहत ता जग मा होत प्रसिद्ध।।
भ्रष्टाचार से कइ रहें शिष्टाचार कै सउंज।।
मंगलवार, 30 अप्रैल 2024
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। BAGHELI KAVITA
श्रमिक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
**************
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया।
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहूं हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म कबहूं ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।
हम मजूर------------------------------------
''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास।
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। ।
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ।
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। ।
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ।
हम मजूर ------------
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी।
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै "लक्ष्मी" भूखी। ।
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी।
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। ।
फूंका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। ।
हम मजूर ------------
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल।
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। ।
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया।
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। ।
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ।
हम मजूर------------------------------------
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार।
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। ।
काल्ह मारे गें सुकुल, तिबारी, दत्ता, नियोगी, रघुआ।
हम मजूर ---------------------------------
भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
✍️*हेमराज हंस भेड़ा मैहर*
सोमवार, 29 अप्रैल 2024
पइ महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।।
पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट।
रविवार, 28 अप्रैल 2024
गरीबन के खातिर सब मनसेरुआ हें।
शनिवार, 27 अप्रैल 2024
काहू का चीकन चांदन ता कोहू का करबर रहा।
छंद के लिखइया नारा लिखय लगें
बुधवार, 24 अप्रैल 2024
सुमरी कै सउंज देखा गइया उतारैं लाग।
सुमरी कै सउंज देखा गइया उतारैं लाग।
सरबार केर पानी दइया उतारैं लाग।।
मोरे रामपुर का खुरचन रसगुल्ला ताला के
मिठास कै बरबरी लइया उतारैं लाग। ।
सथरी मा सोये हें जे कथरी का ओड़ के
वा सुक्ख केर सउंज रजइया उतारैं लाग।।
जेसे सिखिस ही टिमटिमाब लइके अँजोरिय
वा सुरिज केर सउंज तरइया उतारैं लाग।।
माटी कै महक हंस हिबै लोक गीत मा
बम्बइया केर सउंज गबइया उतारैं लाग।।
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
बसंत केर सब दिना सत्ता नहीं रहै।।
सब दिनहुं पेड़ माही पत्ता नहीं रहै।
बसंत केर सब दिना सत्ता नहीं रहै।।
कोउ दिन मा चार बेर ओन्हा बदला थै
काहू के देह माही लत्ता नहीं रहै। ।
तास के खेलइया हारा थें जीता थें
हर चाली माही टम्प का पत्ता नहीं रहै। ।
चेरउरी कइ के आपन सम्मान करामैं
सब कोउ उनखे नाई ललत्ता नहीं रहै। ।
महिपर का स्वाद हंस का भरपूर मिला पै
वा पेंड़ के डेगाल मा छत्ता नहीं रहै।।
हेमराज हंस
उंइ मंत्र पिण्डदान से हूम तक का जाना थें।।
तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।
तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।
रविवार, 21 अप्रैल 2024
जाति बाद के मथरे परंगत नहीं परै।
जाति बाद के मथरे परंगत नहीं परै।
राबन के बहकाये मा अंगद नहीं परै।।
चाह जउन जात के होंय नेता जी
पै गरीबन के साथ उनखर पंगत नहीं परै।।
हेमराज हंस
शनिवार, 20 अप्रैल 2024
केबल हबै चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग
केबल हबै चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग।
जनता ही उनखे निता , चेचर अउर चिपोंग।।
अपने छाती हाथ धर, खुदै करा महसूस।
को ठीहा मा बइठ के, लिहिस न जात से घूंस।।
हेमराज हंस
सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।
सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।
पै उल्लू गरिआ रहें, उनही रात पिआर।।
हेमराज हंस
बनाथै नाती पवार हाउस ।।
हाथे माही पकडे माउस।
पूरी दुनिया हमी देखाउस।।
मरिगा बाबा अंधियारे मा
बनाथै नाती पवार हाउस ।।
हेमराज हंस
राहू से केतू कहिन, हम पंचे सब एक।
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
उनखे मोतियाबिंद।।
अबै ता चीन्हय दूर से, जाति बाद का जिंद।
फेर चुनाव के बाद मा , उनखे मोतियाबिंद।।
हेमराज हंस
सोमवार, 15 अप्रैल 2024
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024
बचगें मानस पूत
कहिन कि अब हमहूं करब, सुरिज के रथ कै जाँच
सगले उल्लू समिट के, दिन का कहैं कुलांच।
कहिन कि अब हमहूं करब, सुरिज के रथ कै जाँच।।
हेमराज हंस
गुरुवार, 11 अप्रैल 2024
भक्ती माही लीन है, नगर देस औ गांव
लोक पर्ब नवरातरी, सक्ति आराधन केर।
बहिनी बिटिआ चल दिहिन, पूजैं देबी खेर।।
पुजहाई टठिया लये, मन मा भरे उराव।
भक्ती माही लीन है, नगर देस औ गांव। ।
हेमराज हंस
सोमवार, 8 अप्रैल 2024
भारत का नवरात
अचरा मां ममता धरे, नयनन धरे सनेह।
माँ शारद आशीश दे,शक्ति समावे देह। ।
.
नारी के सम्मान से,सम्बत कै सुरुआत।
दुनिआ का संदेस है, भारत का नवरात। ।
हे ! माता आसीस दे हम बालक हन तोर।
सबके जीबन मा रहै, बुद्धी केर अजोर। ।
छलक परे दोउ नैन
रविवार, 7 अप्रैल 2024
जउन बोया वा काटा भाई।
जउन बोया वा काटा भाई।
अब काहे का घाटा भाई।।
जर्जर पोथी ही चरित्त कै
वमै चढ़ा ल्या गाता भाई।।
भया सुखे दुःख ठाढ़ न कबहूं
तब काहे का नाता भाई। ।
बड़े सत्तबादी बक्ता हा
पुन थूंका पुन चाटा भाई।।
आजु हबै मुँह जउकी का जउका
काल्ह कटी पुन लाटा भाई। ।
काहु का परथन कहूं समर्थन
आपन मतलब सांटा भाई।।
ऐसी कूलर अपना का सुभ
"हँस" के है फर्राटा भाई। ।
हेमराज हँस --9575287490
जुग जलसा भा अबध मा,
जुग जलसा भा अबध मा, उइ लीन्हिन मुँह फेर ।
तबय कुसाइत आय गै, लिहिस सनीचर गेर।।
हेमराज हँस
लोकतंत्र कै आतिमा
लोकतंत्र कै आतिमा, निर्बाचन मतदान।
बोट डार सब कोउ करी, प्रजातंत्र का मान।।
हेमराज हंस
शनिवार, 6 अप्रैल 2024
जब परछन भै अबध कै,
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024
गुरुवार, 4 अप्रैल 2024
बनी नागरिक ठेठ
देस हमीं जीबन दइस, औ सुबिधा चउकेठ।
हंस हमूं मतदान कइ, बनी नागरिक ठेठ।।
हेमराज हंस
ठेठ = मौलिक
बुधवार, 3 अप्रैल 2024
जनता ही श्री मंत
लोकतंत्र आपन हबय, दुनिआ का लकटंट।
जनतै लड़िअमफूस ही ,जनता ही श्री मंत।।
हेमराज हंस
लकटन्ट = अपने आपको विशिष्ठ मानने वाला, गौरवशाली समझने वाला।
लड़िअमफूस= ऐसा व्यक्ति जिसकी कोई कीमत न हो।
डारी सब जन बोट।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2024
नंगदांय करय का एक ठे नंगा हेर ल्या।
नंगदांय करय का एक ठे नंगा हेर ल्या।
कहा ठे लगामाय खै अड़ंगा हेर ल्या।।
चला तउलबाय ल्या कउनाै धर्मकांटा मा
पै ओही अँहणय खातिर पसंघा हेर ल्या । ।
हेमराज हंस
नंगदांय= विधि विरूद्ध एवं अशिष्ट व्यवहार।
अँहणा = एक बर्तन के नाप का दूसरा बर्तन,
पसंघा =असामान्य, अतुलनीय,
हेर ल्या= खोजिये ,तलाशिये
सोमवार, 1 अप्रैल 2024
उनहिन का पट्टा बना है। BAGHELI KAVITA
-
बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
-
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...