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अम्मा ! हमहूं करब पढाई।
देहैं बुद्धी बिद्या माई ।।
हम न करब घर कै गोरूआरू औ न चराउब गइया।
कह दद्दा से जांय खेत औ ताकै खुदै चिरइया॥
हम न करब खेतबाई।
अम्मा.........................
आज गुरूजी कहिगें हमसे तु आपन नाव लिखा ल्या ।
पढ लिख के हुशिआर बना औ किस्मत खुदै बना ल्या॥
येहिन मां हिबै भलाई।
अम्मा..........................
गिनती पढबै पढब दूनिया बाकी जोड़ ककहरा।
अच्छर अच्छर जोड़.जोड़ के बांचब ठहरा ठहरा॥
औ हम सिखब इकाई दहाई।
अम्मा.............................
हम न खेलब किरकिट बल्ला औ न चिरंगा धूर।
पढब लिखब त विद्या माई द्याहैं हमी शहूर॥
करब देस केर सेवकाई।
अम्मा ......................
बहुटा गहन कइ अंउठा लगा के दद्दा कढैं खीस।
देंय बयालिस रूपिया बेउहर लिखै चार सौ बीस ॥
ल्याखा ल्याबै पाई पाई।
अम्मा हमहूं करब पढाई॥
हेमराज हंस