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शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

टोरिया कहां ही

 

बारजा बचा हय ओरिया कहां ही,
पिल्वादा के दूध कै खोरिया कहां ही।
 
रासन कारड हलाबत तिजिया चली गै,
कोटा बाली चिनी कै बोरिया कहां ही।।
 
नोकरी लगबामै का कहि के लइ गया तै,
वा गरीब कै बड़मंसी टोरिया कहां ही ।
 
आजादी के अस्वमेघ कै भभूत परी ही ,
लिंकन के लोकतंत्र कै अंजोरिया कहां ही।।
 
वा प्रदूसन कै पनही पहिरे मुड़हर तक चलागा,
गांव के अदब कै ओसरिया कहां ही ।
 
घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला ,
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिया कहां ही।।
हेमराज हंस मैहर

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।
हीठत जइहा कांधे अइहा।।

ब्रिंदाबन मा रहय का है ता
तुमहूं  राधे -- राधे गइहा  । ।

भ्रसटन मा हम बिस्व गुरु हन
कबहुं ता आराधे जइहा। ।

छापा परा ता निकली गड्डी
अब ता भइलो बांधे जइहा। ।

पूर सभा गंधाय लाग ही
आखिर कब तक पादे जइहै। ।
                हंस</b>

शनिवार, 12 सितंबर 2020

भारत रत्न प्रणव मुखर्जी

पितर पाख

पुरखन के सम्मान का पितर पाख है सार। 
जे हमका जीबन दइन उनखे प्रति आभार।। 

लालू रिसान

चक्की पीसैं के निता लालू धधे रिसान। 
ताकी जनता का मिलै ठाहर सुद्ध पिसान।। 

भांज नही मिलै

अब एक रुपिया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुंइ मा गाज नही मिलै।। 
उंइ अब चुल्लू भर पानी लये ठाढ हें
पै बूड़ै का अटकर अंदाज नही मिलै।। 

पुरखा

पुरखा हमरे निता घोंसला बनाऊथे। 
रिबाज समाज का हौसला बढ़ाऊथें।। 
हम पुरखन के करतब्ब कै बंदना करी थे 
ता उंई तर्पन सराध का ढकोसला बताऊथें।। 

अम्मा

अम्मा अपने आप मा सबसे पाबन ग्रंथ। 
माता से बढि के नही कउनौ ज्ञानी पंथ।। 

हिन्दी

बपुरी आज बसिन्दी होइगै। 
फाट के चिन्दी चिन्दी होइगै।। 
बिना काज  कै महतारी अस 
भासारानी  हिन्दी होइगै।। 

यूरिया गोल!!

काहू का घंटा बजै औ काहू का ढोल। 
पै किसान के खेत से होइगै यूरिया गोल।। 

बुधवार, 19 अगस्त 2020

करोना

नीच चीन के पाप का, देस रहा है भोग। 
रजधानी से गाँव तक बगरा छुतिहा रोग।। 

कहां बची केसे बची, लुकी कहां ठे ओंट।
पेट धंधा से लगि रहा, हमी करोना छोटे।। 

रविवार, 16 अगस्त 2020

भारत रत्न अटल जी

भारत माता के रतन लाड़िल अटल लोलार। 
जन जन के हिरदय बसें दीन्हिस देस दुलार।। 

अटल बिहारी देस के उज्जर एक चरित्र। 
उनखे अस को देस मा भला बताबा मित्र।। 

भारत के नेतन निता अटल एक इसकूल। 
देस देय श्रद्धांजली सादर आंखर फूल।। 

उनही सौ सौ नमन Bagheli kavita hemraj hans

उनही सौ सौ नमन जे कीन्हिन जीबन हूम। 
बंदे मातरं बोल के गें फाँसी मा झूम।। 

जिनखे माथे पूर भा आजादी का जग्ग। 
हम भारत बासी हयन उनखर रिनी कृतग्ग।। 

गुंडन का न मारा Bagheli kavita

गुंडन का न मारा काल्ह नेता बन जई।
पाथर जब खिअई ता रेता बन जई।।
कनून बनाई पबित्र सदन मा बइठ के 
हमरे संबिधान का बिधि बेत्ता बन जई।। 

शनिवार, 15 अगस्त 2020

रविवार, 12 जुलाई 2020

भुतबा नहीं रहै

बेसाही सरकार का रुतबा नही रहै। 
जइसा कठपुतरी मा सुतबा नही रहै।। 
भले पूजा जिंद बरम बीस ठे खबीस 
पै हनुमान चलीसा बांचा त भुतबा नहीं रहै।।