मइहर है जहां बिद्या कै देवी
बिराजी मा शारद शक्ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्हा
ता देवी के बर से बना बरदानी।।
मइहर है जहाँ लिलजी के तट
गोला मठ मा हैं औघड़ दानी।
मइहर है जहाँ संगम है सुर
सरगम कै झंकार सुहानी। ।
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मइहर है जहाँ भक्ति क रेला है
श्रद्धा औ बिस्वास का मेला।
जग जननी के दरशन खातिर
धाबत जग नव रातरि बेला। ।
काहु के हाथ मा सेंदुर फूटा है
काहू के हाथे मा नरियर भेला।
कोउ चढ़ाबत मेबा मिठाई
कोउ चढ़ाबत फूल औ केला। ।
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मइहर है जहाँ रामसखा जू का
आश्रम गुरुकुल बिद्याधानी।
बेद बिद्यालय मा वेद ऋचा पढ़ि
बालक ग्यानी बनैं बिग्यानी।।
ओइला मा मन केर कोइला हो उज्जर
मन बच कर्म लगाबै जे प्रानी।
हंस पुनीत या मइहर धाम का
शत शत बंदन चंदन पानी। ।
@हेमराज हंस भेड़ा मैहर