sahitya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
sahitya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।

 तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।

तू एसी का डिब्बा है जनरल बोगी नही है।।
खूब सहानुभूति के अख्यान दे मगर
तू किसी गरीब का सहयोगी नहीं है।।

रविवार, 29 मार्च 2020

भेद जलाइए

 वेदों को जलाने की बात करते हैं श्रीमान।
 जिसने आपको पशु से बनाया इंसान।।
यदि जलाने की ही जिद है तो शौक से   जलाइए।
 और अपने देश का कचरा हटाइए।।
पर वेदों को नहीं बल्कि भेदों को।।
15 और पचासी के।
कावा और काशी के।।
अल्लाह भगवान का।
गीता और कुरान का।।
आरक्षण के भक्षक का।
शेषनाग और तक्षक का।।
 ऊंच और नीच के। 
मरु और कीच के।। 
विषमता और समता का। 
नेता और जनता का।। 
अपनी पराई का। 
ननद भौजाई का।। 
कोलार और धनबाद का। 
पूंजी मार्क्स वाद का।। 
पूरा देश होगा साथ मे। 
हाथ लिए हाथ में।। 
जलाने के लिए यहा क ई भाव भेद हैं। 
सैकड़ों कुरीतियां हैअगणित लवेद हैं।। 
विकृतियाँ हटाना इस देश से जरूरी है। 
पर वेद बिना भारत की कल्पना अधूरी है।। 
वेदों के बिना अपनी सभ्यता का खात्मा है। 
वेद अपने भारत के संस्कृति की आत्मा है।। 
हेमराज हंस भेड़ा 
६/६/१९९७



बुधवार, 25 दिसंबर 2019

वाणी वंदना


श्री वाणी वंदना  1


..............................
हे मातु शारदे संबल दे
तै निरबल छिनीमनंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
दिन दिन दूना होय देस मां
लोकतंत्र मजबूत।
घर घर विदुषी बिटिया हों औ,
लड़िका होंय सपूत॥
विद्वानन कै सभा सजै औ
पतन होय हेन नंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
‘बसुधैव कुटुंम्‍बं' केर भावना
बसी रहै सब के मन मां।
औ परबस्‍ती कै लउलितिया,
रहै कामना जन जन मां ॥
देस प्रेम कै जोत जलै,
कहूं मिलै ठउर न दंगा॥
मोरे देस.........................
खेलै पढै बढैं बिद्यार्थी,
रोजी मिलै जबानन का।
रोटी औ सम्‍मान मिलै,
हेन घर घर बूढ़ सयानन का॥
रामेश्‍वरं मां चढत रहै जल,
गंगोतरी के गंगा का।
मोरे देस कै ......................
.........................................................

मैहर धाम  2


मइहर है जहां विद्या कै देवी,
विराजी माँ शारद शक्‍ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्‍हा,
औ देवी के वर से बना वरदानी॥
मइहर है जहा लिलजी के तट ,
मठ मह शिव हें औधड.दानी॥
ओइला मां मन केर कोइला हो उज्‍जर,
लंठव ज्ञानी बनै विज्ञानी।
मइहर है जहा संगम है ,
सुर सरगम कै झंकार सुहानी॥
अइसा पुनीत य मइहर धाम कै,
शत शत वंदन चंदन पानी॥
====================================
वाणी वंदना  
----------------------
वर दे वीणापाणि हंसवाहिनी वागीश माँ ,मेरे देश को तु सुख शान्ति समृद्धि दे। 
रह द्वेष के कलेष लेश मात्र भी न रहें ,जन जन में जान्हवी सी शुचि धार बुद्धि दे। । 
सब में हो सर्व धर्म सदभाव  भावना  ,सत्य  शौर्य  धैर्य  बल विवेक की तू वृद्धि दे। 
दे दे  शारदे  अम्ब  अविलम्ब  अवलंब, भारत  में भर्ती माँ ऋत ऋद्धि सिद्धि दे। ।।  

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

श्रम का निचोड़ा जा रहा है अर्क देश में।। हेमराज हंस --मैहर ==9575287490

              मजदूर की है जिंदगी नर्क देश में !

 मजदूर की  है जिन्दगी नर्क देश में। 
श्रम का निचोड़ा जा रहा है अर्क देश में।। 
बाँझ समाधान की तुम  बात तो सुनो 
दे रहे हैं कैसे कैसे तर्क देश में। । 
दरबार तलुये चाट ता है धन्ना सेठ के 
उपचार का हुआ न कोई चरक देश में। । 
वक्त की परिधि का अतिक्रमण तो देखिये 
वो कर रहा है बारह घण्टे वर्क देश में। । 
धन कुबेर हो गये स्वयं ही संविधान 
श्रमिकों का कर रहे हैं बेडा गर्क देश में। । 
मजदूरों के बीच'' दत्ता -नियोगी ''नहीं रहे 
अफ़सोस कर रहा है हंस फ़र्क देश में। । 
हेमराज हंस --मैहर ==9575287490 

रविवार, 6 मार्च 2016

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

kavita देश भक्तों की चिता पे घास मिलेगी। ।

जानता हूँ कल कलम की लाश मिलेगी। 
लेखनी की टूटी हुई साँस मिलेगी। । 
भ्रष्टाचारियों के स्मारक बनेंगे 
देश भक्तों की चिता पे घास मिलेगी। । 
हेमराज हंस ==मैहर =

शनिवार, 16 जनवरी 2016

मटकी पर मटकी धरे मटकी मटकी जाय।
सागर की औकात क्या कुम्भज लिया समाय। । 

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

धूं धूं कर के लाश जल रही धरती पुत्र किसान की।

धूं धूं कर के लाश जल रही  धरती पुत्र किसान की। 
हाय !विधाता क्या दुर्गति है मेरे हिन्दुस्तान की। । 
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । हेमराज हंस

गोस्वामी तुलसी दास 

हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद  श्री संत। 

हे भारतीय संस्कृति के रक्षक चिरनवीन अनंत। । 

धन्य धरा वह राजा पर की बहती जहां कालिंदी। 

धन्य प्रेरणा रत्नावलि की महिमा मंडित हिंदी। । 

धन्य कलम जिसने दिये मानस से सद्ग्रन्थ। 

जो सदाचार मर्यादा का बतलाते नित पंथ। । 

जिसके पठन से आत्म शांति होती अनुभूति तुरंत।

हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद  श्री संत।।

शैव शाक्त औ वैष्णव जन को एक सूत्र में बांधा। 

मुक्तक से मानव मुक्ति की दूर करी है बाधा। । 

लौकिक सगुणोपासक बन कर अलौकिक दिया प्रकाश। 

शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । 

सहज समन्वय कारी पंथ  केरहे जीवन पर्यन्त। 

हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद  श्री संत।।

 गंगोत्री के पावन जल से जलाभिषेक कर रमेश्वरम् का। 

ईश भक्ति में राष्ट्र भक्ति का देश प्रेम भारतीय धरम का। । 

रामचरित मानस के जैसा कर्तव्य बोध शोध उत्कर्ष। 

विश्व के किसी ग्रन्थ में ढूढे मिलेगा यह न पुनीत आदर्श। । 

सात समंदर पार  भी शाश्वत सनातन है अटल वंत।    

हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद  श्री संत।।

हे भाषा के अमर भाष्कर किया  राष्ट्र भाषा उत्थान। 

स्वयं विनायकऔ  माँ वाणी गाते जिसका यशो गान। । 

चित्रकूट की तपो भूमि के हे तपस्वी संत महान। 

महा प्रलय तक ऋणी रहेंगे हिन्दू हिंदी हिन्दुस्थान। । 

जनम महोत्स्व मना रहा है आज भारतीयता का संत। 

हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद  श्री संत।।

हेमराज हंस

 

 

 

 

 

 

 


गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।

मजदूर 

श्रम सीकर का शोषण करके शोषक रहा विहँस। 
हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। । 

हमने अपने श्रम से सींचा उनका वैभव खेत। 
स्वयं का जीवन ऊसर वंजर उष्ण मरू ज्यो रेत। । 
घुट घुट पीती घूंट घृणा की घुटकी मेहनत कस। 
……………… 
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

तुम हमार आँसू देखा हम तोर

तुम हमार आँसू देखा हम तोर बिदुरखी देखीथे। 
हाथे मा रिमोट लये हम आपन कुरकी देखीथे। ।
कोउ नहि आय दूध का धोबा राजनीत के धंधा मा 
साँझ सकारे चाय पिअत हम खबर कै सुरखी देखीथे। ।