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शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

हे सारद माई करउँ चेरउरी

हे  सारद माई  करउँ चेरउरी। 
तोही चढ़ाइहौ नरिअर रेउरी।

नहीं जानव मैं छन्द ब्याकरन ।
कबि अस  मोरे नहीं आचरन।  ।
अइगुन करत बीत मोरी अउरी। 

हमूं का आसिरबाद दे  मइय्या। 
बुद्धि बिबेक से लाद दे मइय्या।। 
हे हँसबाहिनी ग्यान कै  गउरी । 

सब काही तैं   दिहे बुद्धि बर।  
मोर  तोरे  चरनन  मा  है  घर। । 
तउअव  मोर मती ही बउरी। 

कर दे ग्यान अच्छर कै बरखा। 
धोबर जाय  पाखण्ड औ  इरखा।।  
हंस के  हिदय  बना ले चउरी। 
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

तहिन रखइया लाज।

हे जग जननी शारदे, तहिन रखइया लाज।   
तोरे क्वारा सकार हो, औ अंचरा मा सांझ ।।  

गूंजय मइहर धाम मा भगत ऋचा श्लोक।
हरतीं मइया सारदा भक्त के संकट सोक।।
दुनिआ मा हो शान्ती, हे ! माता स्कंद।
हे ! दुरगा दुरगति हरा, बाढ़य प्रेम आनंद।।
हंस -भेड़ा  

रविवार, 29 सितंबर 2024

बहिनी बिटिआ पी रहीं,

 भइंसासुर का पाप है, देस मा चारिव खूंट।

बहिनी बिटिआ पी रहीं, नित अपमान का घूंट।।

हे महिसासुर मर्दनी, अपनै से एक आस।
अत्याचारिन का करा, तुक तुक हरबी नास।।
नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ।
वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।।

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

बचगें मानस पूत

 कुंभ निकुंभ ता निपट गें, बचगें मानस पूत। 
हे ! दुर्गा  उनही  हता,  है  बिनती  कहनूत।। 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 11 अप्रैल 2024

भक्ती माही लीन है, नगर देस औ गांव

 लोक  पर्ब नवरातरी, सक्ति आराधन   केर। 

बहिनी बिटिआ चल दिहिन, पूजैं देबी  खेर।।

पुजहाई  टठिया  लये, मन  मा  भरे  उराव। 

भक्ती  माही  लीन है,  नगर  देस औ  गांव। ।

हेमराज हंस 


पाबन मइहर धाम

 कोऊ बदना बदि रहा, सिद्ध काहु का काम। 

कलसा लै  जलसा चला,  पाबन मइहर धाम।। 

हेमराज हंस  

सोमवार, 8 अप्रैल 2024

भारत का नवरात

 अचरा मां ममता धरे, नयनन धरे सनेह।

माँ शारद आशीश दे,शक्‍ति समावे देह। । 

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नारी के सम्मान से,सम्बत कै सुरुआत। 

दुनिआ का संदेस है, भारत का नवरात। । 


हे ! माता आसीस दे हम बालक हन तोर। 

सबके जीबन मा रहै, बुद्धी केर अजोर। ।  


सोमवार, 10 अप्रैल 2023

जबा देबारे बोबरि गा होय हूम अस्थान।

 नवरात्रि 

जबा देबारे बोबरि गा होय हूम अस्थान।
संझा से लै रात तक मढ़ई भगत कै तान।।
 
पण्डा बइठ देवार मा बजै नगरिया झांझ।
हांक परी ओच्छा मोरी गूँजे नौ दिन साँझ।।

गूजै मइहर धाम मा स्वस्ति ऋचा श्लोक।
गद्गद ही माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। ।

पावन मइहर धाम मा नव रातर का पर्व।
शप्तशती बांचै लगे सामवेद गन्धर्व। ।

हम आपन पूजा करी औ उइ पढ़ै नमाज।
ईश्वर कै आराधना अलग अलग अंदाज।। 

गाँव  -गाँव   बोबा  जबा  पंडा  दे थें हूम।
लोक धरम कै देस  मा चारिव कईती धूम। ।

बाना  खप्पड़  कालका  जबा  देवारे हांक।
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। ।  


आठैं   अठमाइन   चढ़ै  खेर  खूंट  का   भोग।
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।