सोमवार, 10 अप्रैल 2023

जबा देबारे बोबरि गा होय हूम अस्थान।

 नवरात्रि 

जबा देबारे बोबरि गा होय हूम अस्थान।
संझा से लै रात तक मढ़ई भगत कै तान।।
 
पण्डा बइठ देवार मा बजै नगरिया झांझ।
हांक परी ओच्छा मोरी गूँजे नौ दिन साँझ।।

गूजै मइहर धाम मा स्वस्ति ऋचा श्लोक।
गद्गद ही माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। ।

पावन मइहर धाम मा नव रातर का पर्व।
शप्तशती बांचै लगे सामवेद गन्धर्व। ।

हम आपन पूजा करी औ उइ पढ़ै नमाज।
ईश्वर कै आराधना अलग अलग अंदाज।। 

गाँव  -गाँव   बोबा  जबा  पंडा  दे थें हूम।
लोक धरम कै देस  मा चारिव कईती धूम। ।

बाना  खप्पड़  कालका  जबा  देवारे हांक।
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। ।  


आठैं   अठमाइन   चढ़ै  खेर  खूंट  का   भोग।
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।

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