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गुरुवार, 14 मार्च 2024

या जउन हमी तकमा मिला है। कवि होय के शक मा मिला है।।

या  जउन  हमी   तकमा  मिला है। 
सभ्भ   होय  के  शक मा  मिला है।।
 
होरी   के  फगुहार   बताउथें   कि 
या  बम   चका  चक मा  मिला  है। । 

 कोउ  ता  अजल्याम   बताउत  थै 
कोउ  कहा  थै  हक  मा  मिला है। । 

उइ  रोज सकारे मंदिर मा मिला थें 
जब से मालदार मोहकमा मिला है।। 

अब प्याज बोये मा  अफीम जमा थी 
बीज राजनीत  के चकमा मा मिला है। ।
 
 वा हंस गा तै रोजी रोटी के तलाश मा 
जेखर आधार काड काल्ह ट्रक मा  मिला है 
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 

जात  फलाने 

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होथी  सड़क जब तात फलाने। 
जराथें    तरबा   लात   फलाने।। 
 
को   को   ओखे   ऊपर  हींठा 
वा   नहि  पूंछय   जात  फैलाने।। 
 
करज  लेत  मा  खूब सराहिन 
देत मा टूट गा  भात फलाने। ।  
 
खूब किहिन स्वहबत अटकी मा 
अब नहि पूंछय बात फलाने। ।  
   
चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 
आमय जब कोउ नात फलाने। ।
    
वा  बाप  फिफियात  फिरा थै 
बांट दइस जरजात फलाने। । 
      
सबसे   जबर  गद्दार  वा  है 
जे करय नून मा घात फलाने। ।  
 
 सचेत रहा  हितुअन से हंस
जे बइठाथें दिन रात फलाने। ।
  

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

पहिले ता खासा आदर भा

पहिले ता खासा आदर भा। 
पुन  फेर  मादर   फादर भा।। 
 
आधी रात तक चली पालटी
 भाई   चारा   सादर  भा।।
 
जब से मुर्रा भइंसी आयी 
झरहा दुखी बिरादर भा। ।
 
पहिले तउ कुछु पता नही,
भरी दुपहरी बादर भा ।
 
धूर्त कला मा फस्ट डिबीजन 
पका पका मन गादर भा। ।
 
मेर मेर के मनइ जग मा 
मान ता कहौं निरादर भा। ।
 
मची हिबै नफरत कै चहदर
अरुआ तक चमगादर भा।।
 
उनखे सहर मा नाच पतुरिया 
हंस के गाँव मा दादर भा। ।
 
 
 
 
 

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

साहित्त फुर कहा थै

साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। । ''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही , पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। । उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। । रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। । हेमराज हंस --9575287490

रविवार, 12 जनवरी 2020

     दरबारन  मा  चर्चा है 

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दरबारन  मा  चरचा ही कम्प्यूटर  इंटरनेट के । 
खरिहानन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। । 


केत्तव  निकहा बीज होय पै पनपै नहीं छह्याला मा। 
उनही दइ द्या ठयाव सुरिज का दउरैं न सरसेट के। । 


करब टंटपाली  अउ टोरइली कब का उइ ता भुलि चुकें 
बपुरे  ध्रुब  प्रहलाद हें  दूरी  पोथी  अउर  सलेट  के। । 


अइसा घिनही आँधी आई बिथरि गा सब भाई चारा। 
पुरखा जेही बड़े जतन से सउपिन रहा सहेज के। । 


मंदिर मसजिद से समाज के  मिल्लस कै  न आस करा 
धरम के ठेकेदारन का  ई  आही  साधन पेट के। 

प्रेमचंद के होरी का उइ उगरी  धरे बताऊथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के। । 

                  @हेमराज हंस  भेड़ा  


गुरुवार, 30 जून 2016

जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। हेमराज हंस ===9575287490

बघेली लोक साहित्य 

जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। 
अशगुन लये बऊआ बइठ है। । 
 इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है। । 
पर साल चार थे दाना नहीं भा 
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है। । 
छै महिना से मजूरी नहीं मिली 
वा कखरी मा दाबे झउआ बइठ है। । 
उइ कहा थें देस भ्रष्टाचार मुक्त है 
कुर्सी मा जहां देखा तहां खउआ बइठ है। । 
गरीबी से बोलिआय का अंदाज अलग है 
उई हंस का बताउथे भतखउआ बइठ है। । 
हेमराज हंस ===9575287490     

शनिवार, 26 मार्च 2016

चाहे भले कल्लात है पै कुतकुती तो ही हेमराज हंस ==मैहर =9575287490

                ✱  बघेली गजल✱

अब रोज़ी  कै बात कर रोटी कै बात कर। 
गरीब हें निपर्दा लगोटी कै बात कर। । 

त्राहि त्राहि मची ही पानी कै देस मा 
नाहक बहैं न पाबै टोंटी कै बात कर। । 

मुँह मा भरे बिक्ख भले 'नीलकण्ठ 'बन 
समाज माही शीला सपोटी कै बात कर। । 

चाहे भले कल्लात है पै कुतकुती तो ही
 भउजाई केर चींथी चिकोटी कै बात कर। । 

जे आने का गडबा खनिस ता खुद सकाय गा 
अच्छाई हेर निन्दा न खोटी कै बात कर। । 

बिलार के गरे मा घंटी अब न बांध हँस 
पिंजरा म बंद मिठठू चित्रकोटी कै बात क़र। । 
हेमराज हंस ==मैहर =9575287490   

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।

पकडे रहा मुरेठी भाई। 
चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।। 
आन के बहिनी बिटिया कही 
उइं मारा थें सेटी भाई। । 
जो जोरई कै दबा न डरिहा 
सब खा ल्या है घेटी भाई। । 
नेता हार लगाबै ल्याखा 
को को लइ गा पेटी भाई। । 
 खूब किहिन्  मस्ती कलेज मा
आय गें एटी केटी भाई। । 
तुम सब आपन दुःख कहि डॉरय 
ओही लाग पुनेठी भाई। । 
सबै पालटी हइ दगाहिल 
को लहुरी को जेठी भाई। । 
हेमराज हँस 
   

मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

bagheli kavita सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।

बघेली 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। । 

क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं 
दबी मुदी औ तबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें 
अहा !मेनका परी हिबै  मोबाइल मा। । 

नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन 
जाति गीध कै मरी हिबै  मोबाइल मा। । 

कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं 
कहू कै खुश खबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं 
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
हेमराज हँस