मंगलवार, 13 सितंबर 2022

साहित्त फुर कहा थै

साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। । ''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही , पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। । उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। । रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। । हेमराज हंस --9575287490

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