BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
उइ चाहा थें देस मा बाउर पइदा होंय।
औ हमरे नेरे जनाउर पइदा होंय।।
एक बूंद पानी न बरखै खेत मा
अउ धान नहीं सीधे चाउर पइदा होय। ।
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