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रविवार, 11 अगस्त 2024

जन कवि तुलसीदास

कोऊ संकराचार भा, कोऊ रामाचार्य।
तुलसी सबका जोर के, बन गें परमाचार्य।।
जे जनता के हिदय मा, करै जुगन से बास।
सादर अपना का नमन, जन कवि तुलसीदास।।
धन्न बिंध कै भूमि ही, धन्न राजापुर ग्राम।
जहाँ के मानस मा रमय, साक्षात श्री राम। ।  

हे हुलसी नंदन तुलसी

 हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत। 
हे भारतीयता   के रक्षक चिरनवीन अनंत। । 

धन्य धरा वह राजा पुर की बहती जहां कालिंदी। 
धन्य प्रेरणा रत्नावलि की महिमा मंडित हिंदी। । 
धन्य कलम जिसने दिये मानस से सद्ग्रन्थ। 
जो सदाचार मर्यादा का बतलाते नित पंथ। । 
जिसके पठन से आत्म शांति होती अनुभूति तुरंत।
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत।।

शैव शाक्त औ वैष्णव जन को एक सूत्र में बांधा। 
मुक्तक से मानव मुक्ति की दूर करी है बाधा। । 
लौकिक सगुणोपासक बन कर अलौकिक दिया प्रकाश। 
शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । 
सहज समन्वय कारी पंथ  केरहे जीवन पर्यन्त। 
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत ।।

 गंगोत्री के पावन जल से जलाभिषेक कर रमेश्वरम् का। 
ईश भक्ति में राष्ट्र भक्ति का देश प्रेम भारतीय धरम का। । 
रामचरित मानस के जैसा कर्तव्य बोध शोध उत्कर्ष। 
विश्व के किसी ग्रन्थ में ढूढे मिलेगा यह न पुनीत आदर्श। । 
सात समंदर पार  भी शाश्वत सनातन है अटल वंत।    
हे  हुलसी नंदन तुलसी, पूज्यपाद  श्री संत।।

हे भाषा के अमर भाष्कर किया  राष्ट्र भाषा उत्थान। 
स्वयं विनायकऔ  माँ वाणी गाते जिसका यशो गान। । 
चित्रकूट की तपो भूमि के हे तपस्वी संत महान। 
महा प्रलय तक ऋणी रहेंगे हिन्दू हिंदी हिन्दुस्थान। । 
जनम महोत्स्व मना रहा है आज भारतीयता का संत। 
हे  हुलसी   नंदन   तुलसी,   पूज्यपाद    श्री संत। ।
हेमराज हंस