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बुधवार, 28 अगस्त 2024

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

संकट मा भारत दइस

संकट मा भारत दइस, सरना गत का टेक। 

तस्लीमा  नसरीन  हों, चाह  हसीना  सेख।। 

हेमराज हंस   

शनिवार, 10 अगस्त 2024

सोमवार, 1 जुलाई 2024

लिपटिस पीपर से कहिस

लिपटिस पीपर से कहिस, है उपयोग हमार। 
पै  भारत मा  हर  जघा,  पूजा  होय   तुम्हार।। 

पीपर बोला  सुन सखा,  हम  भारत   के बीज।
हम हन मंदिर अस हिया, औ तुम जस टाकीज।। 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 6 जून 2024

लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।

 लेत  रहें  जे थान  के,  लम्बाई  कै नाप।

अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।



भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।

अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।

न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।

 न मात्रा  का  ज्ञान  है, न हम  जानी वर्ण। 

पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।। 

रविवार, 2 जून 2024

मानो मोहनिया घाट

 तुम रहत्या जब साथ ता , पता चलय न बाट। 
औ रस्ता छोह्गर लगै, मानो मोहनिया घाट।। 
हेमराज हंस 

गुरुवार, 30 मई 2024

मंगलवार, 21 मई 2024

राजमार्ग मा चल रहें ,

 राजमार्ग   मा  चल  रहें ,  बड़े  बेढंगे   यान। 

चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।। 

हेमराज हंस  

सोमवार, 20 मई 2024

शुक्रवार, 17 मई 2024

गुरुवार, 9 मई 2024

सोमवार, 6 मई 2024

धनानन्द सैलून मा, लगें बनामय बार

 भ्रस्टाचार मा डूब गा, जब मगधी दरबार।

धनानन्द  सैलून मा,  लगें  बनामय   बार।।


कहिन फलाने हम हयन, पढ़े लिखे भर पूर।

पै अब तक आई नहीं, बोलय केर सहूर।।


भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।

एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।।

शनिवार, 4 मई 2024

सोमवार, 29 अप्रैल 2024

पइ महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।।

सब दिन लड़ें गरीब हेन लोक धरम का जुद्ध।
पइ  महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।।

भारत के पहिचान हें राम बुद्ध औ कृष्न।
इन माही स्वीकार नहि कउनौं क्षेपक प्रश्न।।

पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट।

 पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट। 
केतने  दुष्कर्मी  निता, है आरक्षित सींट।।
हेमराज हंस  

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

तब धरती बन के गऊ

 बढ़य लाग जब धरा मा, अधरम अत्याचार।

तब धरती बन के गऊ, प्रभु कै करिस पुकार।।
हेमराज हंस

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

केबल हबै चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग

 केबल  हबै  चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग। 

जनता ही उनखे निता , चेचर अउर चिपोंग।।  

अपने   छाती   हाथ  धर,  खुदै   करा  महसूस। 

को ठीहा मा बइठ के, लिहिस न जात से  घूंस।। 

हेमराज हंस

सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।

 सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।

पै उल्लू  गरिआ रहें, उनही  रात  पिआर।।  

हेमराज हंस