विंध्य कै पीरा
हमरे बिंध्य मा भरा खजाना, खनिजन के भण्डार का।
तउ हिआं के लड़िका ललकैं रोटी औ रोज़गार का !!
चारिव कइती खुली फैकटरी उडै गुंग औ धूर।
बपुरे बेरोजगार के सपना तउ हें चकना चूर। ।
रोज भगा थें बम्बई सूरत दादू राजू झल्ला।
पै सिंघासन करै न एकव उइ बपुरेन का तल्ला। ।
जे उद्योगन के निता सजाइस मन के स्वागत द्वार का।
तउ हिआं के लड़िका बागैं रोटी औ रोज़गार का !!
जय जबान औ जय किसान का कइसा निकरै नारा।
बेरोजगार बागैं जमान औ खेतिहर फिरै निकारा।।
अउने - -पउने दाम चली गै खेती केर जघा।
मीठ - मीठ बातन मा परिके बागै ठगा --ठगा। ।
उद्योगन के निता दइस जे पेटे के आधार का।
तउ हिआं के लड़िका बागैं रोटी औ रोज़गार का !!
हेमराज हंस ===मैहर 9575287490
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