सोमवार, 29 अगस्त 2016

bagheli kavita मिलब सांझ के hemraj hans

बघेली कविता 

हम सरबरिया बांम्‍हन आह्‌यन
मिलब सांझ के हउली मां।
मरजादा औ धरम क ब्‍वारब,
नदिया नरबा बउली मां॥
होन मेल जोल भाईचारा कै,
साक्षात्‌ हिबै तस्‍वीर।
मंदिर मसजिद असम समस्‍या,
नहि आय झंझटिया कश्‍मीर॥
अंगड़ा पिछड़ा आरक्षण का,
लफड़ा बाला नहि आय भेद।
जात पांत औ छुआछूत के,
उंचनीच का नहि आय खेद॥
समता मिलै हंसत बोलत होन,
पैग भजिया लपकउरी मां।
हम...................................
एक भाव एक नाव मां बइठे,
मिलिहैं राजा रंक औ फक्‍कड़।
बड़े बड़े परदूषन प्रेमी,मिलिहैं,
सुलगाये धुंआ औ धक्‍कड़॥
रक्‍शा बाले नक्‍शा बाले,
शिक्षा स्‍वास्‍थ सुरक्षा बाले।
बने पुजारी सरस्‍वती के,
अद्यी पउवा बोतल घाले॥
बड़े शान से भांसन झरिहैं,
मद्य निषेध के रइली मां।
हम...................................
भले भभिस्‍स देस का जाथै,
बस्‍ता लादे कोसन दूरी।
भला होय सरकार का भाई,
घर नेरे ब्‍यांचै अंगूरी॥
पै कुछ जने खूब हें झरहा,
देखि न सकैं हमार सुखउटा।
अंगूरी का डींठ न लागी,
शासन नेरे हय कजरउटा॥
ईं समाज सेवक पगलान हें,
आचरन चरित्र पिछउरी मां।
हम......................................
भले दये अदहन चुल्‍हबा मा,
ताकै टोरबन कै महतारी।
औ हमार य अमल सोबाबै,
राति के लड़िका बिना बिआरी॥
हमही चाही रोज सांझ के,
मुर्ग मुसल्‍लम पउआ अद्यी।
फेर नंगदांय द्‌याखा हमार,
कइ देयी ढ़ील कनून कै बद्यी॥
वा बिन सून ही नेतागीरी,
जस खरिहान कुरइली मां।
हम...........................................
महुआ रानी पानी दै दै,
हमही बनै दइस लतखोर।
कउली अपने से दूगुन का,
भले हबै अंतस कमजोर॥
बीस बेमारी चढ़ी ही तन मां,
तउ नही य छूटै ट्‌यांव।
मदिरा माने माहुर भाई,
डिग्‍गी पीटा गांॅव गांॅव॥
नही पी जइ य समाज का,
बगाइ कउरी कउरी मां।
चला करी प्रन अबहिन भाई,
कोउ जाय न हउली मां॥
@हेमराज हंस  9575287490 

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