मंगलवार, 30 अगस्त 2016

bagheli kavita अम्‍मा!हमहूं करब पढाई। kavi hemraj hans

अम्मा !हमहूँ करब पढ़ाई 

अम्‍मा!हमहूं करब पढाई।
हम न करब घर कै गोरूआरू
औ न चराउब गइया।
कह दद्‌दा से जांय ख्‍यात
औ ताकै खुदै चिरइया॥
हम न करब खेतबाई।
अम्‍मा.........................
आज गुरूजी कहिगें हमसे
तु आपन नाव लिखा लया।
पढ लिख के हुशिआर बना
औ किस्‍मत खुदै बना ल्‍या॥
येहिन मां हिबै भलाई।
अम्‍मा..........................
गिनती पढबै पढब दूनिया
बाकी जोड़ ककहरा।
अच्‍छर अच्‍छर जोड़.जोड़ के
बांचब ठहरा ठहरा॥
औ हम सिखब इकाई दहाई।
अम्‍मा.............................
हम न खेलब आंटी डंडा
औ न चिरंगा धूर।
पढब लिखब त विद्या माई
द्‌याहैं हमी शहूर॥
करब देस केर सेवकाई।
अम्‍मा ......................
बहुटा गहन कइ अंउठा
लगा के दद्‌दा कढैं खीस।
देंय बयालिस रूपिया बेउहर
लिखै चार सौ बीस ॥
ल्‍याखा ल्‍याबै पाई पाई।
अम्‍मा हमहूं करब पढाई॥
@कवि हेमराज हंस  9575287490 

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