बघेली कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बघेली कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

अपना के हाथ उघन्नी ही।

 अपना के हाथ उघन्नी ही। 

औ  हमरे  नेरे  नहन्नी ही।।

 

गारा  मा  है   रेतय  रेता  

परबस बपुरी  कन्नी ही।।  


बैतरनी के खातिर गइया 

कूकुर का पोहकन्नी ही।। 


सड़ुआइन का धोती पोलका 

बहिनी  निता  दुअन्नी  ही।।  


चउमासे मा सुटुर पुटुर जिउ 

घर  कै   टूटी    धन्नी    ही।।

 

लाल किला बोलिआय देख के 

हंस  के  छाई  पन्नी   ही। । 

हेमराज हंस 

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

आबा मुखिया जी स्वागत है

 आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 

 शारद मइया कै धर्म भूमि। 

य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 

भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 

सम्पत तेली बलिदानी कै। । 

मुड़िया बाबा के धूनी मा 

बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 

आबा मुखिया जी स्वागत है। । 

हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 

पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 

औ रामपुर के राधा किशना। 

दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 

बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 

कै पयस्वनी निकरत है। । 

आबा ---------------------

या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 

पानी लये कलकल बहै टमस। । 

जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 

ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 

गुरू अगस्त के निता झुका  

या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 

आबा मुखिया ----------------

भे सोम दत्त साहित्यकार।

आल्हा कीन्हिनभक्तीअपार।

जे ह्यन आवा वा पावत है।

आवा मुखिया जी स्वागत है।

शनिवार, 27 जुलाई 2024

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से। 
 घोपा का न तउली अपना  जकीरा से।। 

जब रइदास  के  साथ  मा  भजन गाइन
ता केतू क्याबा भें  पूँछी अपना मीरा से।।

खने के हाथ का  ठेठा नहीं देखय  केउ 
दुनिया मोहित हिबय चमचमात हीरा से।। 

काहू का छोट जान के न तउहीनी करा 
सबसे महँग ओन्हा रेसम बना थै कीरा से।। 

बांसुरी केर सुर पिआर लगय काने मा 
हंस केतू पीरा हिबै पूँछी अपना भीरा से।। 
हेमराज हंस   

सोमवार, 8 जुलाई 2024

जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है

जबसे मूड़े  मा  कउआ बइठ है। 
असगुन का लये बउआ बइठ है।। 

पी यम अबास  कै किस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ  बइठ है।। 

होइगै    येतू    मंहग     तरकारी 
टठिया मा  हमरे लउआ बइठ है।। 

पर  साल  चार  ठे  दाना  नहीं  भा
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है।।

घूंस  मा  जात  बाद  नही    लागय 
तिबारी कहिन की परउहा  बइठ है।।

रोजी     कै   कहूँ    आड़   ना  अद्धत 
सब हंस का कहैं भतखउआ बइठ है।।
 हेमराज हंस -भेड़ा  मइहर 
 

सोमवार, 1 जुलाई 2024

ना आकरन लिहाज राम दै।

 ना आकरन    लिहाज   राम दै। 
कहाँ    गिरी  या   गाज  राम दै।। 

सुन्यन   सभ्भदारन    की  बातैं
मूड़   गड़ा   के आज   राम दै।।

कहिन गऊ का जब  हत्त्यारिन  
लाग ना  एकव  लाज  राम दै।।

बरात मा काहू के देखेन होइहा 
भले  नहीं  भा  काज  राम दै। ।

तुलुर  तुलुर  कइ  लहके  गे पै  
नेत  का  भा  अंदाज  राम दै। ।

कइ ल्या भूंभुर खूब  हंस   तुम 
है पद का यहै रिबाज  राम दै। ।
हेमराज हंस  --मैहर 

रविवार, 23 जून 2024

उइं का भला उसासी द्याहैं।

 उइं  का  भला  उसासी  द्याहैं। 
झरहा  कबों  सब्बासी   द्याहैं।।

जेखे    परी     हिबय  अठ्ठासी 
उइं   का  रोटी  बासी  द्याहैं।।

हें    बिचार     जेखे    अटर्र
उइं आसा नहीं उदासी  द्याहैं।।

जे   पूजी   भारत  माता  का
उइं   ओहिन  फाँसी  द्याहैं।।

अबय मिली ही अबध नगरिया 
ओइन  मथुरा  कासी  द्याहैं।।

हंस ग्यान के हमैं अमाबस 
आने  का  पुनमासी  द्याहैं।।
हेमराज हंस 

मंगलवार, 18 जून 2024

जब से य मन मोहित होइगा,

            जब  से य मन मोहित होइगा,    
जब  से य मन मोहित होइगा,  तोहरे निरछल रूप मां।
एकव    अंतर  नही  जनातै,  चलनी  मां  औ  सूप  मां॥

सनकिन सनकी बातैं होइ गईं,लखे न पाइस पलकौ तक।
मन  निकार  के उंइ धइ दीन्हिन ,हमरे दोनिआ दूब   मां॥

ओंठ पिआसे से न कउनौं, एक आंखर पनघट बोलिस।
पता  नही  धौं  केतू  वाठर,  निकराथें   नलकूप   मां॥

रात  रात  भर लिख के   कीरी  , नींद  न आई नैनन  का।
औ मन बाउर ध्यान लगाबै ,  जस  भिच्छुक  स्तूप  मां॥

जब से फुरा  जमोखी होइगै, तन औ  मन के ओरहन कै,
तब  से  महकय  लगें हंस , हो   जइसा   मंदिर  धूप मां॥
हेमराज हंस 

मंगलवार, 11 जून 2024

कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।

 कुच्छ न पूछा हाल तिवारी। 

निगबर लइ डारिन पटबारी।


आपन खसरा बताइन घर मा। 

कब्ज़ा कर लइन बीडी शर्मा।।

वासर भइंस लिहिस बइठान 

उइ अब मार रहें  सिस कारी। 

कुच्छ न ---------------------


यम पी  मा चला न खटाखट्ट ।

होइगे  निगबर   सफाचट्ट।।

उनहिन का  भा चित्त  पट्ट। 

इनखर  चली न लम्मरदारी।  

कुच्छ न ---------------- 


अइसा  बजा जुझारू  बाजा। 

पुनि के निपट गें दिग्गी राजा।।

बिंध  मालबा औ निमाड़ तक 

परे  उतान  हमय  दरबारी। 

 कुच्छ न ---------------- 

गहकी    बागैं     बिल्लिआन। 

कहाँ ही मुहाब्बत केर दुकान। । 

शटर बंद  जनता कइ दीन्हिस 

पुन पलुहाई पुन पुचकारी। 

कुच्छ न पूछा हाल तिवारी। 

हेमराज हंस   

गुरुवार, 6 जून 2024

गाड़ी का पंचर भा चक्का।

 गाड़ी का पंचर भा  चक्का। 

नाचय लागें चोर उचक्का।।


कहूं पायगें गें एकठे टोरबा 

लगें सबूत देखामय छक्का। ।


जे हें  फेल  उइ  हे उराव मा 

भा जे पास वा हक्का बक्का।। 


अजिआउरे का थाका पाइन 

थरह  रहें थइली  मा मक्का।।

 

उनखी   बातैं  आला  टप्पू 

सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।


देखि  रहें  जे   कबरे सपना

हंस  खुली उनहूँ का जक्का। ।

हेमराज हंस

***************************** 

 टोरबा = बालक 

अजिआउरे = दादी का मायका 

थाका  = निःसंतान की संपत्ति 

थरह = पौधशाला 

आला टप्पू =  बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे, 

कबरे = रंगीन 

जक्का = विवेकशून्य स्थिति, 


गुरुवार, 30 मई 2024

छठ सातैं की भमरी देखा

  छठ सातैं  की भमरी देखा।

तोहसे  या  न थम्हरी देखा।। 

 

एक  बाल्टी  पानी  खातिर 

उचत  भरे कै जमरी देखा।। 


सउंज  उतार रही तुलसी कै 

या   गंधइली   ममरी   देखा। ।


पसगइयत  मा  परगा पादन

चिलकत चरमुठ चमरी देखा।। 


कांखय लगिहा चुनुन दार मा 

कामड़ेरा  औ  कमरी  देखा।।


हंस अबरदा जब तक वाखर 

रोये   गीध   के  ना  मरी देखा।। 

हेमराज हंस 

--------------------------------

ममरी= तुलसी जैसे दिखने बाली झाड़ी    

पसगइयत=आसपास

 परगा पादन= तिकड़मी  दंदी फन्दी  

 चिलकत=चमकती हुई 

चरमुट= स्वस्थ्य एवं शक्तिवान, शरीर हृष्ट  पुष्ट, 

चुनुन दार = शीघ्र 

अबरदा= आयु 

सोमवार, 27 मई 2024

होइगै सड़क जब तात राम दै ।

 होइगै  सड़क जब तात राम दै । 

जराथें    तरबा    लात   राम दै।। 

 

को   को   ओखे   ऊपर  हींठा 

वा   नहि  पूंछय   जात  राम दै।। 

 

रिन काढ़त  मा  खूब सराहिन 

देत मा टूट गा  भात राम दै। ।  

 

खूब किहिन सोहबत अटकी मा 

अब नहि  पूंछय  बात राम दै । ।  

   

चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 

जब  कोउ आमय नात राम दै। ।

    

 सचेत रहा  हितुअन से हंस

जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।

हेमराज हंस 

शनिवार, 25 मई 2024

जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।

जे दसा  सुधारय  गे रहे,  गरीब  सुदामा कै। 

उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।

 

अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ    

घर  घर मा  पूजा  होथी  बसामान  मामा कै।। 


उइ   कहा  थे  दोस्ती  का   हाथ  बढ़ा  ल्या 

करतूति  नहीं  बिसरय हमीं  पुलबामा  कै।।

 

धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे 

बांच  बांच  कबिता  इकबाल अल्लामा कै। । 


सीला सपोटी खुब किहिन इतिहासकार हंस

खोजाबर कै पोलपट्टी  खुलगै कारनामा कै।। 

हेमराज हंस    

बुधवार, 22 मई 2024

उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 
उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 

 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 
हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 

आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 
भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 

प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
 
कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 
जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।
हेमराज हंस 

साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 

उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 


 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 

हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 


आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 

भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 


प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 

सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।

 

कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 

जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।

हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 मई 2024

उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।

 उइं  बड़े   'धरमराज ' हें जुआ  खेला थें। 

परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।। 


दुआर  से  कहि  द्या  कि  सचेत  रहैं 

आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।। 


अपना उनखे साहुत से  सेंतै डेरइत थे 

रंगे  सिआर आहीं  हुआ हुआ खेला थें।।


अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है

पपड़िआन  नरबा नाइ दुआ खेला थें।।


परीबा का पूजय कै तयारी  ही हंस 

आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।। 

हेमराज हंस 

सोमवार, 20 मई 2024

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

 खाता बचा है करंसी चली गै।

मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।

जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

*लोकगीत *

  दार महँगी  है  खा ल्या सजन  सुसका। दार महँगी  ।   

भाव   सुनत  मा लागय गरे   ठुसका।। दार महँगी  ।। 

  

किधनव  बनाउब  पानी  पातर। 

एक दुइ दिन का दइ के आंतर।। 

लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार   महँगी । 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

   

गुजर करब खा लपटा मीजा।

दार  बनी  जब अइहैं  जीजा।। 

करंय का मजूरी कहूं खसका। ।  दार महँगी।    

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।


कइसा  चलय  अटाला  घर का। 

अइसा   पाली  पोसी  लरिका  ।।

जइसा सीता मइया लउकुस का।   दार  महँगी।

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

रविवार, 19 मई 2024

बाप के फोटो मा थूँकी।

 हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर  भरी हमिन हूंकी। 

हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।। 


नित परभाती  औ  सँझबाती, करत  देस  का  पूजीथे

द्रश्टिदोख  मा उदवबत्ती  अपना  का  लागय  लूकी।।


हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे 

हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा  जबान  चूकी ।।


जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय  भाव सदा 

हम ओहू  का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।


जेखर  उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस 

उइ भंडारा का जानैं  जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।

हेमराज हंस   

शुक्रवार, 17 मई 2024

वहै है शक के घेरे मा

वहै है शक  के  घेरे  मा, जे  नेम   प्रेम   का  आदी   है। 
जे  घर  फूंक  तमासा देखय, वा  कबीर  का गादी   है।। 
 
उनही फिकर ही युबा बर्ग कै, एहिन से सब सुबिधा ही  
कोउ अमलासन रहय  न पाबै  नशा से गाड़ी  लादी है।।  

निकरी  भूंख जब अलगा  मारे उड़ी उड़न्की खोरन मा
कोउ  उसाँसी  नहीं  देबइया  अपजस केर मुनादी  है।। 
 
अनचिन्हार  तक से जे राखय  बड़ा अपनपौ अंतस से   
कहिस  अमाबस  चंदा  काही  बहुतै  जाती  बादी है।।   

चाहे कहय  अनूतर  कोऊ  चाह कुलांच अगाध  कहै 
हंस  देस के संबिधान मा बोलय केर  आजादी   है। ।
हेमराज हंस  

गुरुवार, 16 मई 2024

लगथै उनखर उतरिगा जादू।

 लगथै  उनखर उतरिगा  जादू।
हेरा  आन  गुनिया  अब   दादू।।

कब तक सूख   पेड़ का द्याहा  
पुन  पुन पानी  पुन  पुन खादू।।

बजरंगी का  कब तक छलिहै
कालनेम   बनि   ज्ञानी  साधू ।।

एक न मानिस हिरना कश्यप
खुब  समझा के हार कयाधू।।

हेन  जन  जन के  कंठहार हें 
ओछी  जात  के आल्हा  धांधू।। 
✍️हेमराज हंस ✍️