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रविवार, 19 मई 2024

अहिबाती का बिधबा पेंसन,

 अपरोजिक  के  भरे पेट, औ  उनहिन  निता  सुपास   हबै।  
औ  जेही   अगरासन  निकरै,  वा  निरजला  उपास   हबै।। 
अहिबाती   का  बिधबा पेंसन,   बाँटय कै योजना  अइ अबै  
काजर आंज के कहिस फलनिया देस का बड़ा बिकास हबै।। 
हेमराज हंस

मंगलवार, 7 मई 2024

कनमा होइगें हुम्मी मा।।

 शुक्राचार  घुसें  तुम्मी मा। 
कनमा  होइगें  हुम्मी  मा।। 
जबसे उइं खजुराहो देखिन  
ग्यान  दइ  रहें  चुम्मी  मा।।
हेमराज हंस   

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

बनाथै नाती पवार हाउस ।।

 हाथे माही पकडे माउस। 

पूरी दुनिया हमी देखाउस।।  

मरिगा बाबा अंधियारे मा 

बनाथै नाती पवार हाउस ।।  

हेमराज हंस 

रविवार, 17 मार्च 2024

भीड़ टंटपालिन कै पोस्टर तमीच का

भीड़  टंटपालिन  कै पोस्टर तमीच का । 

छहेला का सराही की सराही बीज का। । 

अरे !  कूकूर   भले   वफादार   हो  थै 

पै ओहू के जक्शन लगा थै रेबीज़ का। । 

हेमराज हंस  

शनिवार, 11 नवंबर 2023

नेतन मा वात्सायन देखा

 प्रगतिशील का आयन देखा।

राजनीत मा रसायन देखा।।
बेशरमी तक शरमिंदा ही
नेतन मा वात्सायन देखा।।

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

 गरीबन के दिल है 

 गरीबन के दिल है  दल नही होय।
ओखे समिस्या का हल नही होय। ।
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

सोमवार, 21 नवंबर 2022

गिलास अपने आप का बाल्टी बताउथें।।

 उइ अपने  का रास्टीय  पाल्टी बताउथें।  
गिलास  अपने आप का बाल्टी बताउथें।।
देस भर मा उनखर जब खासा बिज मरी भै
ता उइ नकली बीज कै  क्वालटी  बताउथें। । 

सोमवार, 14 नवंबर 2022

राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी

जब कबहूं द्याखा थी ता वा आधा द्याखा थी। 
राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी।।   
कोऊ बइठय  सिंघासन के गरू पालकी मा 
जनता लहकत लोकतंत्र का कांधा द्याखा थी। । 
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टेक्टर जब से आबा ता बरदा हेराय गा।
गाँव   के  रीढ़   का   गरदा    हेराय गा।।
अब चाल चेहरा चरित्र कै चरचा नहीं चलै
घिनहा पानी निकरैं का नरदा हेराय गा। । 

मंगलवार, 8 नवंबर 2022

असली घिउ नहीं मिलै

 
हेमराज हंस
6 APR 2021 AT 2:28

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 अब बजार मा असली घिउ नहीं मिलै। 

हलाहल पिअय बाला सिउ  नहीं मिलय।। 

खड़ी ही पिलर के माथे ऊंच भीती 

पै ओखे खाले निउ  नहीं मिलै  ।।

 

रविवार, 6 नवंबर 2022

जुर्मी सरकार नहीं होय

 दुइ  औ  दुइ  सब  दिन  चार नहीं होय। 
भ्रस्टाचार  कबहूँ  गभुआर  नहीं होय।। 
बपुरे निरदोस जब मराथें  अकाल मउत 
दरबारी कहाथें जुर्मी  सरकार नहीं होय।  
 
भुंइ  हमार  मंदिर  आय  भूत  का  चउरा  न होय। 
या पुरखन कै थाती, धन्ना सेठ का कउरा न होय।
हमहीं    या   धरती     माता    से      कम      नहीं 
लिलारे का चन्दन आय देह का खउरा  न होय ।  । 
 
हेमराज हंस
8 MAR 2020 AT 0:44

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रविवार, 30 अक्तूबर 2022

इंदिरा गाँधी

जे बदल दइस भुंगोल, नमन वा इंदिरा गाँधी  का। 
इतिहास के पल  अनमोल ,नमन वा इंदिरा गाँधी का।।  
बान्नाबे हजार पकिस्तानिन से , कनबुड्ढ़ी  लगबाइन 
जे कबौ न खाइन  झोल , नमन वा इंदिरा गाँधी का। ।  

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

नंगई से नहीं

नंगई      से      नहीं          बड़प्पन     से         नापा।
फेर   तुहूं   अपने    सीना    का   छप्पन  से     नापा।।
य  देस    देखे  बइठ   है राजा  नहुष  के  अच्छे   दिन  पै ,
वाखर मतलब या नहीं तुम बाल्मीक का बिरप्पन से नापा। ।  
                 @ हेमराज हंस -भेड़ा मैहर 
 
 
 

बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

बिक्ख उइ देथें

बिक्ख उइ देथें महिपर मा घोर के। 
औ रहपट जड़ रहे हें हाथ जोर के। । 
हंस 

गाँधी जी अमर हें

अब  अउर  येसे  केतू निकहा सीन चाही। 
उनखर धड़कन नापै का नई मशीन चाही।। 
चश्मा  के  मथरे  अब   काम   न    चली   
उनखर चरित्त द्याखैं  का अब दूरबीन चाही। । 
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 गाँधी  जी  अमर  हें गंगा  के धारा अस। 
देस के माटी  मा जन जन के नारा अस। ।  
गाँधी जी पढ़ाये जइहै सब दिन इस्कूल मा 
भारत के बचपन का गिनती औ पहारा अस। । 
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हम   दयन    नये   साल  कै   बधाई।  
फलाने कहिन तोहइ लाज नहीं आई।
कुटिया के खुटिया का कलेण्डर बदला है 
पै अबहूँ   धरी   ही    टुटही   चारपाई। ।   
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कोऊ अमीरी से ता कोउ गरीबी से दुःखी है। 
कोउ दुसमन से ता कोउ करीबी से दुःखी है। । 
या   दुनिया   मा   सुख   संच  हे रे नहीं  मिलै  
कोउ मियाँ  से ता  कोउ  बीबी  से  दुःखी  है। ।     
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वा भले जीभ दार है पै मकुना मउना है। 
एहिन से ओखे हीसा मा अउना पउना  है। । 
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी 
दुधारू लोकतंत्र के पडउना  का थम्हाउना है। । 
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मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें

उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ  थें। 
सामाजिक   जहर   का   टानिक   बताऊ थें।। 
जब  जब   राजनीत   का   हांका   परा   थै   
ता फलाने   नास्तिक का  पुरानिक बताऊ थें। । 
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काहू का पिसान से ता काहू का चोकर से चला थै। 
काहू का एक्का से ता काहू  का जोकर से चला थै।।   
वा  महतारी  के  हाथ  कै  रोटी  भला  का जानै 
ज्याखर    रसोई    घर  नोकर    से    चला    थै। ।  

रविवार, 9 अक्तूबर 2022

चाहे करैं जहां मुँह काला। ।

उनहूँ  का  पहिराबा   माला। 
काहे लागिगा जीभ मा ताला। । 
उइ ता  इंद्रा  के बंसज आही 
चाहे  करैं जहां  मुँह  काला। ।
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उइ कइथा फ्वारैं का अमकटना ह्यारा  थें। 
आपन चरित्त चमकामै का घटना ह्यारा थें।। 
टिकस देथें हेर हेर के खुद अपराधिन का 
आपन दाग मूंदय के निता उपटना ह्यारा थें।
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गुंडा का न मारा काल्ह नेता बन जई। 
पाथर जब  खिअइ ता रेता  बन  जई। । 
कानून  बनाई वा सदन मा बइठ के    
हमरे समाज का बिधि बेत्ता बन जई। । 
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शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

लुच्चा अस लागा थें

 उइ बड़े सभ्भदार हें पै गुच्चा अस लगाथें। 
राम दै ! केमाच  के  गुच्छा  अस लगाथें।। 
तुलसी उखाड़ के जब बेसरम लगाइअन ता 
फलाने कहा थें हमीं लुच्चा अस लागा थें।   


बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

राबन का फूफा बताउथें


 उइ राबन  का आपन फूफा बताउथें। 
चलनी अस चरित्त का सूपा बताउथें।। 
पाखंड  के बेशर्मी कै  उदारता तो देखा  
कुलच्छनी सूर्पनखा का सतरूपा बताउथें। । 

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

बाप बताउथें।

उइ   भैसासुर  का  आपन   बाप   बताउथें।

दुर्गा मइया कै  पूजा का परल्याप बताउथें। । 

कइसा  मारी के  ही मती हे शारद मैय्या ज्ञान द्या 

अकिल के  ओछाहिल बुद्धी कै नाप बताउथें।।

 

 

 

शनिवार, 24 सितंबर 2022

उनखे नजर मा

उनखे नजर मा दुइ देस भक्त असली ।
एक ता अतंकबादी दूसर नक्कसली। ।
दूनव के मरे उंइ कपार धरे रोबा थें
जइसा उजरिगा होय खेत दुइ फसली।।