दुइ औ दुइ सब दिन चार नहीं होय।
भ्रस्टाचार कबहूँ गभुआर नहीं होय।।
बपुरे निरदोस जब मराथें अकाल मउत
दरबारी कहाथें जुर्मी सरकार नहीं होय।।
भुंइ हमार मंदिर आय भूत का चउरा न होय।
या पुरखन कै थाती, धन्ना सेठ का कउरा न होय।।
हमहीं या धरती माता से कम नहीं
लिलारे का चन्दन आय देह का खउरा न होय । ।
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