सोमवार, 14 नवंबर 2022

राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी

जब कबहूं द्याखा थी ता वा आधा द्याखा थी। 
राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी।।   
कोऊ बइठय  सिंघासन के गरू पालकी मा 
जनता लहकत लोकतंत्र का कांधा द्याखा थी। । 
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टेक्टर जब से आबा ता बरदा हेराय गा।
गाँव   के  रीढ़   का   गरदा    हेराय गा।।
अब चाल चेहरा चरित्र कै चरचा नहीं चलै
घिनहा पानी निकरैं का नरदा हेराय गा। । 

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