रविवार, 20 नवंबर 2022

धन्न हे ! बानी पूत


किहिन  बघेली  का  सुघर , हस्ट पुस्ट दिढ़बार।  
आंखर आंखर मा अमर ,लछिमन सिंह परिहार। ।
 
अपने बोली का दिहिन, जिवभर खूब दुलार।
पयसुन्नी  रेबा कहै ,  जय   महराज   कुमार  । । 
 
समय लिखी इतिहार जब , कबौ  बघेली सूत। 
बांच  बांच  बिंध्या  कही , धन्न  हे ! बानी पूत। ।

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