शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

अउलाद का तरसा थै

किसान बिचारा   खाद     का    तरसा   थै।
निर्बल  बपुरा  फरिआद    का   तरसा थै।।  
कोऊ जीबन  काटा रहा है  बृद्धाआश्रम मा
औ कोऊ आंसू ढारत 
अउलाद का तरसा थै।। 
 
हम समाज के मिल्लस कै आसा  करी  थे। 
ता अपना हमरे ऊपर इस्तगांसा  करी थे।। 
बहुरुपियव लजाय जाय अपना का देख के 
निकहा नाटक नेरुआ  औ  तमासा करी थे। ।  
 

       

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