बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस
BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
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शुक्रवार, 20 सितंबर 2024
पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,
बुधवार, 28 अगस्त 2024
शनिवार, 24 अगस्त 2024
हरछठ केर उपास
चुकनी मा चुकरी धरे ,भरे सतनजा भूंज।
दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।।
छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।
हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। ।
दादू केर भभिस्य हो , उज्जर संच सुपास।
अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।
मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै, जइसा परसी थाल।।
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
अपना के हाथ उघन्नी ही।
अपना के हाथ उघन्नी ही।
औ हमरे नेरे नहन्नी ही।।
गारा मा है रेतय रेता
परबस बपुरी कन्नी ही।।
बैतरनी के खातिर गइया
कूकुर का पोहकन्नी ही।।
सड़ुआइन का धोती पोलका
बहिनी निता दुअन्नी ही।।
चउमासे मा सुटुर पुटुर जिउ
घर कै टूटी धन्नी ही।।
लाल किला बोलिआय देख के
हंस के छाई पन्नी ही। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 20 अगस्त 2024
सलेंडर परा भुसहरा मा।
सलेंडर परा भुसहरा मा।
खजुलैयां
खजुलैयां कै सुभकामना, सादर राम जोहार।
नेम- प्रेम से सब रहैं , समता का तेउहार। ।
अपने रीत रिबाज का, गांव समेटे गर्व ।
पुरखन कै थाती धरे, मना रहा है पर्व ।।
खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम।
द्यखतै जिव हरिआय गा, परिपाटी का प्रेम।।
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बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
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जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...