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शनिवार, 24 अगस्त 2024

हरछठ केर उपास

 चुकनी  मा चुकरी धरे ,भरे  सतनजा  भूंज। 

 दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।। 


छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।  

हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। । 


दादू केर भभिस्य हो , उज्जर  संच  सुपास। 

अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।  


मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।

महतारी  के  हाथ  कै,  जइसा  परसी  थाल।।