चुकनी मा चुकरी धरे ,भरे सतनजा भूंज।
दाऊ कै मइया चलीं , अगना हरछठ पूज।।
छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।
हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। ।
दादू केर भभिस्य हो , उज्जर संच सुपास।
अम्मा कै सुभकामना, हरछठ केर उपास।।
मघा नखत बदरी करय, धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै, जइसा परसी थाल।।