हाथे मा मेंहदी रची , कर स्वारा सिगार।
गउरी पूजैं का चली ,सजी सनातन नार। ।
खूब फलिहाइस रात भर, दिन निर्जला उपास।
देखा भारतीय प्रेम के , अंतस केर मिठास ।।
जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं , छूट हिबय सरफूंद ।
हमरे जीबन के दिहिन , सगले अबगुन मूंद।।
हेमराज हंस