उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ थें।
सामाजिक जहर का टानिक बताऊ थें।।
जब जब राजनीत का हांका परा थै
ता फलाने नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें। ।
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काहू का पिसान से ता काहू का चोकर से चला थै।
काहू का एक्का से ता काहू का जोकर से चला थै।।
वा महतारी के हाथ कै रोटी भला का जानै
ज्याखर रसोई घर नोकर से चला थै। ।
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