रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आयुर्बेद का बाप।

जब सागर का मथा गा ,कढ़े रतन दस चार।
ओहिन मा धन्वन्तरी , मिलें हमी उपहार। 
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दुनिआ भर कै औषधी , रोग बिथा संताप। 
धनबन्तरि का सब कहै , आयुर्बेद का बाप। 
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तिली मूंग उर्दा सरा , भा यतरन  झरियार। 
बरा मुगउरा के निता , परी कहाँ से दार। 
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