जब सागर का मथा गा ,कढ़े रतन दस चार।
ओहिन मा धन्वन्तरी , मिलें हमी उपहार। ।
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दुनिआ भर कै औषधी , रोग बिथा संताप।
धनबन्तरि का सब कहै , आयुर्बेद का बाप। ।
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तिली मूंग उर्दा सरा , भा यतरन झरियार।
बरा मुगउरा के निता , परी कहाँ से दार। ।
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