दियना कहिस अगस्त से, दादा राम जोहार।
तुम पी लिहा समुद्र का, हम पी ल्याब अधिआर। ।
दस दुष्कर्मिन का टिकस, हत्तियार का बीस।
लोक तंत्र के सदन के, उचै हिदय मा टीस। ।
केतू घिनही लग रही, राजनीत कै चाल।
टुकुर टुकुर जनता लखै, दइके नाक रुमाल। ।
दहसत माही कलम ही, कागद करै रिपोट।
राजनीत कब तक करी, गुंडन केर सपोट। ।
नेता जी के नाव से , उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लागि रहें, जइसा नहा मा फास।।
गांव गांव मदिरा बिकै , दबा शहर के पार।
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार। ।
सुनिस घोसना कापि गा, थर थर बपुरा पेण्ट।
खीसा का बीमा करी , जेब कतरा एजेण्ट।।
सरबर मा चाकी परै, जब देखा तब जाम।
ओखे बिन सब अरझ गें , बड़े जरुरी काम। ।
भूखों की ए बस्तियाँ , औ फूलों के जश्न।
ओ माली तेरी नियत पर ,क्यों न उठेंगे प्रश्न। ।
अपने छाती हाथ धर , खुदै करा महसूस।
अइसन कउन किसान है, जे नहि दीन्हिस घूस। ।
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