शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

दस दुष्कर्मिन का टिकस

 दियना  कहिस  अगस्त  से,  दादा  राम जोहार।
तुम पी लिहा समुद्र का, हम पी ल्याब अधिआर। । 


दस दुष्कर्मिन का टिकस, हत्तियार का बीस।
लोक तंत्र के सदन के, उचै हिदय मा टीस। ।

 
केतू  घिनही  लग  रही,  राजनीत  कै चाल।
टुकुर टुकुर जनता लखै, दइके नाक रुमाल। । 


दहसत माही कलम ही, कागद करै रिपोट।
राजनीत कब तक करी, गुंडन केर सपोट। । 

नेता  जी  के  नाव  से , उभरै  चित्र   सुभाष।
अब के नेता लागि रहें, जइसा नहा मा फास।।

 
गांव गांव मदिरा बिकै , दबा शहर के पार।
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार। ।

सुनिस घोसना कापि गा, थर थर बपुरा पेण्ट।
खीसा  का  बीमा  करी , जेब  कतरा  एजेण्ट।।  


सरबर मा चाकी परै, जब देखा तब जाम।
ओखे बिन सब अरझ गें , बड़े जरुरी काम। । 

भूखों  की ए  बस्तियाँ  , औ  फूलों के जश्न।
ओ माली तेरी नियत पर ,क्यों न उठेंगे प्रश्न। । 

अपने छाती  हाथ  धर ,  खुदै  करा    महसूस।
अइसन कउन किसान है, जे नहि दीन्हिस घूस। ।

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