गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

य कइसा छब्बिस जनबरी।

य कइसा छब्बिस जनबरी। 
मरै पेंटागन गनी गरीब 
जिअय देह नंगी उघरी। । 
 
पंचाइत  से  संसद  तक  डाकू  गुंडन  का  पहरा है।
शासन की हैं हियव की फूटी  अउर प्रशासन बहिरा है। । 
एक न सुनै एक नहीं द्याखै कासे भइलो  बात करी। 
 
उई पीरा का पाठ पढ़ामै जेखे लगी न फांस। 
भूंखा सोबइ घर का मालिक चाकर चाटय चमन प्रास। । 
ई सेबक खा ल्याहै देस का इन खे नहि आय नरी गरी। 
 
ऐसी कै बइहर का जानै कइसा ज्याठ बड्यारा। 
का जानै डनलप कै गद्दी कइसन ह्वा थै द्यारा। । 
महलन माही पले गलइचा जानै कइसा टाट दरी। 
 
छल प्रपंच के पहिया माही लोकतंत्र कै गाड़ी। 
केतू जगै रात भर हरिया खेत खा थी बारी। । 
दरबारन से चउपालन तक चारि रहें सांड वसरा पहरी। 
 
करजा लइके खाय रहेन घी अर्थ ब्यबस्था परी उतान। 
भुखमरी बेकारी बोल रही है जय जबान औ जै किसान। । 
गभुआरन कै भूंख खाय आंगनवाड़ी पगुरात खड़ी। 
 
कउने मुँह से स्वाहर गाई गणतंत्र पर्व के बास्कट के। 
हम  कब तकअभिनन्दन गाई डाकू गुंडा चोरकट के। । 
सत्य अहिंसा अउर त्याग कै हमरे देश मा लहास परी। 
 
चला मिटाई भष्टाचार ता लिख जइ नई इबारत। 
अपने देस के भभिस्य का सउपी  साफ इबारत। । 
गाँधी पटेल के लउलितियन  के संकल्पन का पूर करी। 
 
हेमराज या हमरे देस कै करुना भरी कहानी आय। 
मदारी के रहत बंदरिया का दोख द्याब बेइमानी आय। । 
तबहिन ही छब्बिस जनबरी। य कइसा छब्बिस जनबरी। 
  
 

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