उइं का भला उसासी द्याहैं।
झरहा कबों सब्बासी द्याहैं।।
जेखे परी हिबय अठ्ठासी
उइं का रोटी बासी द्याहैं।।
हें बिचार जेखे अटर्र
उइं आसा नहीं उदासी द्याहैं।।
जे पूजी भारत माता का
उइं ओहिन फाँसी द्याहैं।।
अबय मिली ही अबध नगरिया
ओइन मथुरा कासी द्याहैं।।
हंस ग्यान के हमैं अमाबस
आने का पुनमासी द्याहैं।।
हेमराज हंस
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