गुरुवार, 20 जून 2024

कवि रवि शंकर चौबे

 पीपरबाह  से  देस तक,  गूंज  रहा  साहित्य। 

कोट  बधाई  जनम  कै,  रविशंकर आदित्य।। 


सहज सरल निरछल हिदय, जय हो बानी पूत। 

देस  बिदेस प्रदेस  मा, जस खुब मिलै अकूत।। 


जब  मंचन  मा  बंटत  है, सब्दन  केर  गड़ास। 

खिलखिलात बांटत फिरैं, रबिशंकर जी हास। ।  

हंस   


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