सोमवार, 10 जून 2024

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।

 जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।


शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान । 

जिनखे  हाथे  मा पहुँच, सम्मानित सम्मान। 


पयसुन्नी  अस सब्द का, जे पूजय  दिनरात। 

कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।   

 

गीत ग़ज़ल कै आरती ,  दोहा कविता छंद।

आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।

 

शब्द  ब्रह्म  का  रुप है,  वर्ण  धरै जब भेष।

मइहर  मा  एक  संत  हैं, पंडित रामनरेश।।


लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य। 

मैहर मा  चमकत रहैं,  राम नरेश आदित्य।। 

 


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