मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल।।
ऊपर दउअय रुठि गा औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै को अब सुनै गोहर। ।
मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल।।
ऊपर दउअय रुठि गा औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै को अब सुनै गोहर। ।
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