✱ बघेली गजल✱
अब रोज़ी कै बात कर रोटी कै बात कर।
गरीब हें निपर्दा लगोटी कै बात कर। ।
त्राहि त्राहि मची ही पानी कै देस मा
नाहक बहैं न पाबै टोंटी कै बात कर। ।
मुँह मा भरे बिक्ख भले 'नीलकण्ठ 'बन
समाज माही शीला सपोटी कै बात कर। ।
चाहे भले कल्लात है पै कुतकुती तो ही
भउजाई केर चींथी चिकोटी कै बात कर। ।
जे आने का गडबा खनिस ता खुद सकाय गा
अच्छाई हेर निन्दा न खोटी कै बात कर। ।
बिलार के गरे मा घंटी अब न बांध हँस
पिंजरा म बंद मिठठू चित्रकोटी कै बात क़र। ।
हेमराज हंस ==मैहर =9575287490
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