सोमवार, 7 मार्च 2016

बघेली मुक्तक
भले अपने देस मा प्रदूषण खूब हें। 
समाज मा बिराध औ बिदूषक खूब हें। । 
पै जब तक छत्रसाल अस करेजा बाले हें 
तब तक समाज मा भूषन खूब हें। । 
हेमराज हंस ===9575287490

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