गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।

मजदूर 

श्रम सीकर का शोषण करके शोषक रहा विहँस। 
हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। । 

हमने अपने श्रम से सींचा उनका वैभव खेत। 
स्वयं का जीवन ऊसर वंजर उष्ण मरू ज्यो रेत। । 
घुट घुट पीती घूंट घृणा की घुटकी मेहनत कस। 
……………… 
हेमराज हंस 

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