मजदूर
श्रम सीकर का शोषण करके शोषक रहा विहँस।
हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।
हमने अपने श्रम से सींचा उनका वैभव खेत।
स्वयं का जीवन ऊसर वंजर उष्ण मरू ज्यो रेत। ।
घुट घुट पीती घूंट घृणा की घुटकी मेहनत कस।
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हेमराज हंस
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