सोमवार, 13 अप्रैल 2015

करुणा क्रंदन !!गूंज रहा है खेतों से घर द्वार से। ।

मुक्तक 

हे !गिरधारी पुनः बचाओ !!इन्द्र के अत्याचार से। 
माना कि हम अपराधी हैं  अपने ही व्योहार से। । 
त्राहिमाम् कर रहा देश तरसेगा दाने- दाने को 
करुणा क्रंदन !!गूंज रहा है खेतों से घर द्वार से। । 
 हेमराज हंस -----------9575287490 

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