रविवार, 28 अप्रैल 2024

गरीबन के खातिर सब मनसेरुआ हें।

 गरीबन  के  खातिर  सब  मनसेरुआ  हें।
बपुरे  के खटिआ  मा  तीन ठे पेरूआ हें। ।

चाह  एक  तंत्र   हो  या  कि   लोक  तंत्र 
कबहुं पकड़ी कालर गै कबहूं चेरुआ  हें।।

उइ  कहा  थें  भेद  भाव  काहू   से  नहीं 
पै कोठी का चुकंदर कुटिआ का रेरुआ हें।। 

राबन का सीता मइया चिन्हती  हैं नीक के 
तउ देती हइ भीख ओखे तन मा गेरूआ हें।। 

गरमी  कै छुटटी भै ता हंस  चहल पहल ही 
मामा के घरे बहिनी औ भइने बछेरुआ हें।।
हेमराज हंस 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें