हर जांघा उनहिन का पट्टा बना है।
औ हमरे खातिर सिंगट्टा बना है।।
कुआं के पाट मा जाके देख्या तू कबहूँ
पाथर मा रसरी का घट्टा बना है।।
उनहिन के खातिर ही रेशम अउ मलमल
हमरे निता केबल लठ्ठा बना है। ।
उइ चाह भले दिन भर टपकाये लार बागैं
वा गोमा बना लइस ता हले चठ्ठा बना है।।
कबहूं ता हमरिव समय बहुरी निकहा
लगाये अड़ाउसा या पट्ठा बना है। ।
अनर्गल करैं का उइ टोकिन ही जब से
तबहिन से संबंध खट्टा बना है।।
पीरा का अपने गुहे 'हंस' बइठ हें
भितर गुल्ल धंधकत एक भट्ठा बना है।।
हेमराज हंस
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