छंद के लिखइया नारा लिखय लगें ।
समुद्र का उदुआन इंदारा लिखय लगें ।।
अँगना मा रोप जेखर करी थे आरती
घर के बैद तुलसी का चारा लिखय लगें ।।
भें जबसे प्रगतिशील औ सभ्भ नागरिक
ता अपने परंपरा का टारा लिखय लगें।।
नफरत का बिजहा जेखे बिचार मा भरा
रगे सिआर भाई चारा लिखय लगें।।
उइ जानकार पांड़े जहिया से बने हें
तब से आठ चार का ग्यारा लिखय लगें।।
भूंखा कलेउहा गातै हंस बिनिया बिनै का
उइ ओही टंटपाली आबारा लिखय लगें।।
हेमराज हंस
हेमराज हंस
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