शनिवार, 6 अप्रैल 2024

जब परछन भै अबध कै,

जब परछन भै अबध कै, ता उइ रहें रिसान। 
अब सत्ता  का स्वाद है,  खट्टा करू कसान।।  
जे जनता  के  भाबना, केर  करी  तउहीन। 
ता फुर माना राम दै, रही  न कउनव दीन।।  
हेमराज हँस  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें