रविवार, 5 मई 2024

तब ईस्वर का लें परा, फरस राम अबतार

शासक जब कीन्हिन बहुत, सोसन अत्याचार। 
तब ईस्वर   का  लें परा, फरस  राम  अबतार।। 
 
दुस्टन काही काल अस, औ सज्जन का संत ।
श्री भृगु नंदन परसुधर , स्वाभिमान  भगमंत  ।।

भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।
एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।। 

जुग नायक ता भे नहीं, कबौं जात  मा कैद। 
उइं  बीमार समाज के, हें सुभ चिंतक बैद।।  
हेमराज हंस 

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