बुधवार, 8 मई 2024

प्रेम काहू से ता पैपखरी कहूं अउर ही।।

या  ता अहरी आय  बखरी  कहूं  अउर  ही। 
मन तउलय के निता तखरी कहूं अउर ही। 
अब ता  कायलिव रचाये ओंठ   बागा थी 
प्रेम  काहू से  ता  पैपखरी  कहूं  अउर  ही।। 

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