BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
खाता बचा है करंसी चली गै।
मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।
जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा
तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।
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