मंगलवार, 7 मई 2024

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : ओही नव ठे कजरउटा है।

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : ओही नव ठे कजरउटा है।:   जेखे  आँखी  कान नही, ओही नव ठे  कजरउटा  है। जे ऊमर केर फूल हमा, वाखर खासा अदरउटा है।।  लादे साकिल  मा डब्बा वा   पानी  हेरत  बागा थै,  रजध...

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