रविवार, 19 मई 2024

बाप के फोटो मा थूँकी।

 हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर  भरी हमिन हूंकी। 

हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।। 


नित परभाती  औ  सँझबाती, करत  देस  का  पूजीथे

द्रश्टिदोख  मा उदवबत्ती  अपना  का  लागय  लूकी।।


हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे 

हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा  जबान  चूकी ।।


जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय  भाव सदा 

हम ओहू  का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।


जेखर  उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस 

उइ भंडारा का जानैं  जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।

हेमराज हंस   

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