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रविवार, 30 अक्तूबर 2022
इंदिरा गाँधी
भारत रतन पटेल
शनिवार, 22 अक्तूबर 2022
गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022
आचार्य रामसखा नामदेव जी
हमारी ग्राम गिरा रिमही बघेली के "दुष्यंत" आचार्य रामसखा नामदेव जी को "विश्वनाथ सिंह जूदेव स्मृति पुरस्कार" मिलने पर हार्दिक अभिनंदन सादर बधाई। मै व्यक्तिगत रूप से मैं दादा नामदेव जी के लेखन से प्रभावित हूँ। और उनका प्रशंसक हूँ। उनके विवाद और एजेंडा रहित काव्य शैली का मै कायल हूँ। वे बघेली के उन विरले साहित्यकारों में हैं, जो केवल समाज के लिए लिखते हैं,किसी को खुश करने के लिये नहीं। वे किसी सड़ांध बदबूदार विचारधरा के पोषक और पिछलग्गू नहीं हैं।उनके साहित्य में सामाजिक सरोकार , लोक संस्कृति और अपनी माटी की सोंधी सुगंध है। विंध्य और बघेली को ऐसे महान सपूत पर गर्व है। कोटि कोटि बधाई.
नंगई से नहीं
बुधवार, 19 अक्तूबर 2022
अब ता सगले पुन्न धरें अपना के हीसा मा।
गाँधी जी अमर हें
मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022
नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें
सोमवार, 17 अक्तूबर 2022
हिन्दी पढ़ डाक्दरी रही
पै अंगरेजी से लड़ै , हाई कोट मा केस।।
रविवार, 16 अक्तूबर 2022
आयुर्बेद का बाप।
हे लछिमी जू आइये
बन गय दुइज लोलर।
अइसा निर्मल गाँव।
मुँह मा दाबे पान। BAGHELI KAVITA
मालिक नामक हराम।
सजी सनातन नार
आबा हे गनराज।
सिउ जी के परिवार, अस सुखी रहय य देस।।
कबहूँ कुरुआ मा नपयन
महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल।।
शनिवार, 15 अक्तूबर 2022
रीत काल का छंद।
बिन इस्नु बिन पाउडर, फागुन गमकै गंध।
द्यांह धरे बगै जना , रीत काल का छंद।।
अस कागद के फूल मा, महकैं लाग बसंत।
जस पियरी पहिरे छलय , पंचबटी का संत।।
फगुनहटी बइहर चली ,गंध थथ्वालत फूल।
भमरा पुन पुन खुइ करै, तितली पीठे गूल। ।
मन मेहदी अस जब रचा, आँखिन काजर कोर।
सामर सामर हाथ मा, जइसन गदिया गोर। ।
असमव उनखे बाग, मा नहीं कोयलिया कूंक।
मन मसोस रहि जाय औ, उचय हदय मा हूक। ।
सड़क छाप हम आदमी, उइ दरबारी लोग।
हम ता बिदुर के साग अस अपना छप्पन भोग। ।
भेद भाव बाली रही , ज्याखर क्रिया कलाप।
हर चुनाव के बाद वा, बइठे करी बिलाप। ।
नेतन काही फ्री मिलै , ता लागै खूब उराव।
जनता के दारी उन्ही , लागै मिरची घाव। ।
पुरखन के सम्मान का,
जेखे आपन बिछुरिगें, सुधि म भीजै आँख।
उनही है श्रद्धांजली, के दिन पीतर पाख।।
पुरखन के सम्मान का, पितर पाख है सार।
जे हमका जीबन दयिन,उनखे प्रति आभार। ।
जिआ सौ बरिस पार तक,
ताकी हम पंचे करी, अपने आप मा गर्व। ।
हे ! पुरुषोत्तम राम जू ,हती दशानन मार।
ताकी कुछ हलुकाय अब, भू मइया का भार। ।
गाँधी वाद है बिस्व मा एक बिचार अजोर।
जिनखे बल आई हिआ, आजादी कै भोर। ।
जिआ सौ बरिस पार तक, जननायक परधान।
भारत के खातिर हयन, अपना शुभ बरदान। ।
दस दुष्कर्मिन का टिकस
दियना कहिस अगस्त से, दादा राम जोहार।
तुम पी लिहा समुद्र का, हम पी ल्याब अधिआर। ।
दस दुष्कर्मिन का टिकस, हत्तियार का बीस।
लोक तंत्र के सदन के, उचै हिदय मा टीस। ।
केतू घिनही लग रही, राजनीत कै चाल।
टुकुर टुकुर जनता लखै, दइके नाक रुमाल। ।
दहसत माही कलम ही, कागद करै रिपोट।
राजनीत कब तक करी, गुंडन केर सपोट। ।
नेता जी के नाव से , उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लागि रहें, जइसा नहा मा फास।।
गांव गांव मदिरा बिकै , दबा शहर के पार।
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार। ।
सुनिस घोसना कापि गा, थर थर बपुरा पेण्ट।
खीसा का बीमा करी , जेब कतरा एजेण्ट।।
सरबर मा चाकी परै, जब देखा तब जाम।
ओखे बिन सब अरझ गें , बड़े जरुरी काम। ।
भूखों की ए बस्तियाँ , औ फूलों के जश्न।
ओ माली तेरी नियत पर ,क्यों न उठेंगे प्रश्न। ।
अपने छाती हाथ धर , खुदै करा महसूस।
अइसन कउन किसान है, जे नहि दीन्हिस घूस। ।
करोना
मिली करोना कै दबा, बरियत्तन हे राम।
अब ता चीन के पाप का, होई काम तमाम।।
परी करोना रोग कै, दुनिया भर मा हाक।
मुँह मा मुसका बांध के, दुइ गज रखी फराक।।
सिसकै बपुरा मुल्क।
कासी पुनि के सजी ही,दुइ सौ सालन बाद।
गुंजै डमरू शंख औ, हर हर भोले नाद। ।
भारत माता ही बिकल,सुन के दुःख सन्देश।
सेना पति का खोय के, शोकाकुल है देस।।
टूटी फूटी सड़क मा, टोल बरिअ र शुल्क।
जय हो नेता आप कै, सिसकै बपुरा मुल्क। ।
अपना कहि के चल दिहन, टी बी मा दुइ टूक।
कोउ भरा उराव मा, उचै काहु के हूक । ।
मॅहगी जबक चीज भै, महग तेल पिटरोल।
तउ रजधानी मउन ही, कढ़ै न एकव बोल। ।
जनता काही बजट या, लागा थै या मेर।
जइसा क़्वामर पान मा, ब्याड़ै लउग चरेर। ।
सम्पाती के दंभ कै, द्याखा ऊंच उड़ान।
जो जटायु अस उड़त ता, करत देस गुनगान। ।
गौरव शाली कुर्सियां, बदमिजाज आसीन।
समझ रहे वे स्वयं की, मेघा दक्ष प्रवीन। ।
शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022
नहीं बनाबै बार
सदा गरीबों ने लड़ा लोक धर्म का युद्ध।
पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध।।
मॅहगाई मा एक सम ही सब कै सरकार।
कउन गड़ारी गड़ारै नहीं बनाबै बार। ।
जे आफत मा कइ रहें आपन उल्लू सीध।
उइ दानव से नीक हें हमरे देस के गीध।।
शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार।
ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। ।
मिला सदा इस देश को बिप्र का आशीर्वाद।
चाहे परसुराम हों य मंगल अटल अजाद।।
देख रहा है देस या उनहूँ कै करतूत।
माओ बदिन के निता जे हैं साहुल सूत। ।
बहुत सहि चुका देस या नक्सल अत्याचार।
अब ता ओखे रीढ़ मा हरबी कारी प्रहार। ।
सिंघासन बिदुराथै दइ म्याछन मा ताव।
जनता सिसकै देस मा महगाई के घाव। ।
बहिनी से नरकजी तक जे न करैं लिहाज।
नारी के सम्मान कै ओऊ देंय अबाज। ।
घ्वान्घा मा तइती बधी मुदरी नव ग्रह केर।
बगैं पीर मजार तउ लिहिस सनीचर गेर।।
बेमतलब के बहस मा दहकैं ठोंकैं ताल।
महगाई मा मीडिआ पूँछै नहीं सबाल। ।
महगाई जब जब किहिस जनता का हलकान।
हष्ट पुष्ट सरकार तक लइ लीन्हिन बइठान। ।
दारू बंद बिहार मा, लागू कड़क अदेस।
भर धांधर जो पिअय खय ,आबा मध्यप्रदेश।।
आबा मध्य प्रदेश ,हिया ता खुली ही हउली।
पानी कै ही त्रास खुली मदिरा कै बउली। ।
पी के चह जेतू मता ,कउनव नहीं कलेस।
कबहूँ पाबन्दी नहीं अपने मध्य प्रदेश। ।
सोमवार, 10 अक्तूबर 2022
आबा बिकास का गड़बा देखाई थे। BAGHELI KAVITA
रविवार, 9 अक्तूबर 2022
चाहे करैं जहां मुँह काला। ।
अपना का सेतै लगै अब माख
रात रात भर किहन तरोगा
बड़े सकारे मरे मिले उंइ एक चुल्लू भर पानी मां॥
नंच नंच आँखिन से झांकै बड्डे जबर सपन,
बोली बड़ी पिआर लगाथी तोतली बानी मां॥
‘सरमन' सब दिन मारे गे हें सत्ता के मनमानी मां॥
शक के नजर से देखे जाथें जब साधू संन्नासी तक,
कइसा हमहीं रिस न चढी हो लुच्चन के मेहमानी मां॥
भला जात मा बंट के कउनव महाशक्ति का देस बनी,
जेखर जनता बाम्हन ठाकुर दलित औ बानी मां॥
सगला देस सुनिस ‘अन्ना' का जब बोलिन रजधानी मां॥
खूब पैलगी होथी जेखर औ समाज मां मान है हंस
उनही सांझ के हम देखे हन गिरत भंजत रसदानी मां॥
शनिवार, 8 अक्तूबर 2022
लुच्चा अस लागा थें
सगली दुनिया हिबै अचंभित
सगली दुनिया हिबै अचंभित
शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022
उनखेे कइ शरद् अस पूनू
हमरे कइ्र्र अमउसा है।
रदगदग द्यांह फलाने कै,
हमरे तन मां खउसा है॥
उंइ गमला कै हरिअरी देख,
खेती कै गणित लगउथे,
काकू कहाथे चुप रहु दादू भउसा है॥
जब से य मन मोहित होइगा
तोहरे निरछल रूप मां।
एकव अंतर नही जनातै,
चलनी मां औ सूप मां॥
रात रात भर लिहन कराउंटा,
नीद न आई आंॅखिन का।
औ मन बाउर बइकल बागै,
ओ!गोरी तोरे उूब मां॥
सनकिन सनकी बातैं होइ गईं,
लखे न पाइस पलकौ तक।
मन निकार के उंइ धइ दीन्हन,
हमरे दोनिया दूब मां॥
ओंठ पिआसे से न कउनौं,
एक आंखर पनघट बोलिस।
पता नही धौं केतू वाठर,
निकराथें नलकूप मां॥
सातक्षात् तुम पे्रम कै मुरत,
होइ के निठमोहिल न बना।
द्याखा केतू करूना होथी,
ईंटा के ‘स्तूप' मां॥
जब से फुरा जमोखी होइगै,
तन औ मन के ओरहन कै,
तब से फलाने महकै ंलागें,
जइसा मंदिर धूप मां॥
शरद कै रात
चितवाथी चरिउ कइ चरकी चमक चंद,
चपल चोचाल अस चोंख चोंख चांॅदनी।
काहू केर जिव करै पपीहा अस पिउ पिउ,
नेह स्वाति बूंद का लगाबै दोख चांॅदनी॥
सुकवा जो अस्त भा ता उआ है अगस्त जी मां,
प्रेम पंथ पानी काही सोख सोख चांॅदनी॥
चकई के ओरहन राहू केर गिरहन,
रहि रहि जाय मन का मसोस चांॅदनी॥
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पोखरी का पानी जब से थिराय दरपन भा,
तब से जोंधइया रूप राग का सराहा थी।
ठुमुक ठुमुक चलै लहर जो रसे रसे,
देख देख के तलइया भाग का सराहा थी॥
चांॅदनी से रीझ रीझ पत्ता पानी मां पसीझ,
पुरइन पावन अनुराग का सराहा थी।
जे निहारै एक टक सांझ से सकार तक,
जोंधइया चकोर के वा त्याग का सराहाथी॥
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झेंगुर कै तान सुन नाचै लाग जुगनूं ता,
अस लाग जना दीप राग तान सेन का।
भितिया मां चढि के शिकार करै घिनघोरी,
जइसन ‘लदेन' कांही मारा थै अमेरका॥
ओस कै बूंद जस गिरत देखाय नही,
सनकी से बात करैं जइसा पे्रमी प्रेमका॥
तन केर मन से जो ताल मेल टूटिगा है,
तब से चरित्र होइगा विश्वामित्र मेनका॥
शरद कै रात
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022
य कइसा छब्बिस जनबरी।
गाँधी जी औ मायावती
बुधवार, 5 अक्तूबर 2022
राबन का फूफा बताउथें
मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022
11राम 11 सनातन
दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।
वसुधैव कुटुम्बं भावना , जिनका पावन लक्ष।।
लछमी जी रिसिआय के, पेल भगीं गुजरात।।
बिजय दसमी कै सादर बधाई।
फेसबुक मा द्याखत रही , निल कण्ठ के चित्र। ।
नील कंठ औ शमी मा ,देखा गा देवत्व।
दसराहा का शुभ हबै ,दरसन करब महत्त्व। ।
बंदेमातरं
जिव से है अधिक पियार बंदेमातरं।
रूपसी के देंह से ही स्वारा आना सुंदर य,
आपन माटी देश कै सिंगार बंदेमातरं॥
बहै नदी कलकल पानी करै छलछल,
टेराथें पहार औ कछार बंदेमातरं।
जहां बीर बलिदानी भारत का बचामै पानी,
सूली माही टगिगे पुकार बंदेमातरं॥
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बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
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जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...