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बुधवार, 30 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।: पकडे रहा मुरेठी भाई। चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई। । आन के बहिनी बिटिया कही उइं मारा थें सेटी भाई। । जो जोरई कै दबा न डरिहा सब खा ल्या ह...
चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।
पकडे रहा मुरेठी भाई।
चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।
आन के बहिनी बिटिया कही
उइं मारा थें सेटी भाई। ।
जो जोरई कै दबा न डरिहा
सब खा ल्या है घेटी भाई। ।
नेता हार लगाबै ल्याखा
को को लइ गा पेटी भाई। ।
खूब किहिन् मस्ती कलेज मा
आय गें एटी केटी भाई। ।
तुम सब आपन दुःख कहि डॉरय
ओही लाग पुनेठी भाई। ।
सबै पालटी हइ दगाहिल
को लहुरी को जेठी भाई। ।
हेमराज हँस
चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।
आन के बहिनी बिटिया कही
उइं मारा थें सेटी भाई। ।
जो जोरई कै दबा न डरिहा
सब खा ल्या है घेटी भाई। ।
नेता हार लगाबै ल्याखा
को को लइ गा पेटी भाई। ।
खूब किहिन् मस्ती कलेज मा
आय गें एटी केटी भाई। ।
तुम सब आपन दुःख कहि डॉरय
ओही लाग पुनेठी भाई। ।
सबै पालटी हइ दगाहिल
को लहुरी को जेठी भाई। ।
हेमराज हँस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।: बघेली दोहा बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान। उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान। । । । हेमराज हँस । ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस: कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। । उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। । हेमराज हँस...
कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस
कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय।
चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। ।
उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है
मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। ।
हेमराज हँस
चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। ।
उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है
मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। ।
हेमराज हँस
सोमवार, 28 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।: बघेली दोहा बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान। उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान। । । । हेमराज हँस । ।
बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
बघेली दोहा
बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान।।
। । हेमराज हँस । ।
बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान।।
। । हेमराज हँस । ।
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शनिवार, 19 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा...: बघेली मुक्तक पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा। ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा। । गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी देस...
bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।
बघेली मुक्तक
पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।
ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा।।
गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी
देस का पाखण्डी पण्डन से बचाबा। ।
हेमराज हँस
पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।
ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा।।
गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी
देस का पाखण्डी पण्डन से बचाबा। ।
हेमराज हँस
मंगलवार, 15 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।: बघेली सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। । क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं दबी मुदी औ तबरी हिबै ...
bagheli kavita सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
बघेली
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
सोमवार, 14 दिसंबर 2015
bagheli sahitya
उइ ठेगरी लगबा रहें मार मार के ख्वाँग।
औ जनता बिदुराथी देखि देखि के स्वाँग। ।
हेमराज हंस
औ जनता बिदुराथी देखि देखि के स्वाँग। ।
हेमराज हंस
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दोहा
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रविवार, 13 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।: मुक्तक कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। जनता कुरसी कै चाकर नही होय।। उई बहुरूपियन का जाके बता द्या समय के केमार मा सॉकर नही हो...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।: उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें। परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। । दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं आज काल्ह केमरा से घुआ ख...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया: बिटिया ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । खेलै...
बिटिया
बिटिया
ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती ।
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
बुधवार, 9 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।: ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध। वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद। । हेमराज हंस 9575287490
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध।
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
हेमराज हंस 9575287490
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
हेमराज हंस 9575287490
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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015
उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। ।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें। ।
हेमराज हंस
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। ।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।: बघेली दोहा जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध । ओखे डब्बा म मिला सबसे पनछर दूध। । हेमराज हंस ==
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।: 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के। देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । ''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै ओख...
हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।
हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।
काहू का लिहाज औ आकरन नही बाँची। ।
हम देखी थे समाज के आँसू औ पीरा
छंद लिखय का गण चरण नही बाँची। ।
हेमराज हंस ===
जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।
बघेली दोहा
जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध।
ओखे डब्बा म मिला सबसे पनछर दूध।।
हेमराज हंस ==
गुरुवार, 3 दिसंबर 2015
'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।
'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। ।
''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै
ओखे बस्ता म हें किस्सा हीर राँझ के।।
पूंछी अपना बपुरी से कि कइसा जी रही
जेही कोऊ गारी दइस होय बाँझ के। ।
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बैल बेंच दइन काजर आंज के। ।
हंस य कवित्त भर से काम न चली
चरित्त का चमकाबा पहिले माँज माँज के। ।
हेमराज हंस ---
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। ।
''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै
ओखे बस्ता म हें किस्सा हीर राँझ के।।
पूंछी अपना बपुरी से कि कइसा जी रही
जेही कोऊ गारी दइस होय बाँझ के। ।
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बैल बेंच दइन काजर आंज के। ।
हंस य कवित्त भर से काम न चली
चरित्त का चमकाबा पहिले माँज माँज के। ।
हेमराज हंस ---
बुधवार, 2 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।: योजना के तलबा म घूँस का उबटन लगाये , भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी। चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे मानउता का मूरी अस ...
लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।
योजना के तलबा म घूँस का उबटन लगाये ,
भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी।
चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे
मानउता का मूरी अस खाये रहा नेता जी।।
गरीबन के खून काही पानी अस बहाये रहा
टेंटुआ लोकतंत्र का दबाये रहा नेता जी।
को जानी भभिस्स माही मौका पउत्या है कि धोखा
लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।
हेमराज हंस ======
भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी।
चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे
मानउता का मूरी अस खाये रहा नेता जी।।
गरीबन के खून काही पानी अस बहाये रहा
टेंटुआ लोकतंत्र का दबाये रहा नेता जी।
को जानी भभिस्स माही मौका पउत्या है कि धोखा
लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।
हेमराज हंस ======
मंगलवार, 1 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।: हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही। छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। । भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे हमी...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।: उइ कहा थें देस से गरीबी हम भगाय देब गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी। गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा वा तोहई पालै निता बाप माई ...
वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।
उइ कहा थें देस से गरीबी हम भगाय देब
गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी।
गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा
वा तोहई पालै निता बाप माई आय नेता जी। ।
गरीबी के पेड़ का मँहगाई से तुम सींचे रहा
तोहरे निता कल्प वृक्ष नाइ आय नेता जी।
भाषन के कवीर से अस्वासन के अवीर से
वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।
हेमराज हंस
गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी।
गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा
वा तोहई पालै निता बाप माई आय नेता जी। ।
गरीबी के पेड़ का मँहगाई से तुम सींचे रहा
तोहरे निता कल्प वृक्ष नाइ आय नेता जी।
भाषन के कवीर से अस्वासन के अवीर से
वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 19 नवंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।: जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। । नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन जे...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।: जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। । नब्बे हजार पाकिस्तानिन कनबुड्ढी लगबाइन जे कबौ...
जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन
जे कबौ न खाइन झोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
हेमराज हंस
इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन
जे कबौ न खाइन झोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।: हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही। छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। । भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे हमी...
हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। ।
भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे
हमीं गर्व है कि बेईमानी हमरे तनिक नगीच नही। ।
हेमराज हंस----- 9575287490
छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। ।
भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे
हमीं गर्व है कि बेईमानी हमरे तनिक नगीच नही। ।
हेमराज हंस----- 9575287490
मंगलवार, 10 नवंबर 2015
आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के।
आबा हो लछमी
आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के।
स्वागत म देस ठाढ़ है दियना लेस के। ।
मुड़हर से ओसारी तक बड़की सजाये घर का।
स्वस्तिक औ रंगोली से गोदना गोदये फरका। ।
डेहरी सुदिन निकारे तोहरे गृह प्रवेश के।
अाबा हो -लछमी ------------
दुअरा म बँधनबार औ शुभ लाभ भीत म।
गोबर से महकै माटी जस लोक गीत म। ।
अगमानू म अजोर थिरकेँ भेष भेष के।
अाबा हो लछमी ------------
जब से 'भृगु जी 'मारिन श्री हरि का लातें।
तब से दलिद्रता कै अंधियारी कारी रातें। ।
भारत कै सगली माया लई गें विदेश के।
अाबा हो लछमी आबा ----------
गाँवव म अहिरा बाबा का भारी हूंन ही।
होती हैं गऊ कै हत्या सब सार सून ही। ।
मुरइला का छाहुर रोय गा बिन गाय भैस के।
अाबा हो लछ्मी अाबा साथै गनेस के। ।
हेमराज हंस मैहर
बुधवार, 28 अक्तूबर 2015
धूं धूं कर के लाश जल रही धरती पुत्र किसान की।
धूं धूं कर के लाश जल रही धरती पुत्र किसान की।
हाय !विधाता क्या दुर्गति है मेरे हिन्दुस्तान की। ।
हेमराज हंस
हाय !विधाता क्या दुर्गति है मेरे हिन्दुस्तान की। ।
हेमराज हंस
सोमवार, 26 अक्तूबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। । हमरी ब...
ओ से वोट के अलाबा बेउहार नही होय। ।
गरीबन का तीज तेउहार नही होय।
ओ से वोट के अलाबा बेउहार नही होय। ।
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद बोलय
पै 'रित 'के बिना राम जोहर नही होय। ।
हेमराज हंस
ओ से वोट के अलाबा बेउहार नही होय। ।
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद बोलय
पै 'रित 'के बिना राम जोहर नही होय। ।
हेमराज हंस
गरीबन से खूब चेरउरी बिनती हो थी।
गरीबन से खूब चेरउरी बिनती हो थी।
जब वोट मा बपुरे कै गिनती हो थी। ।
हेमराज हंस
जब वोट मा बपुरे कै गिनती हो थी। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा। अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। । हमरी ...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।: जब समाज में अराजकता होती है। तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। । सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं पश्चाताप के बियावान में सत्त...
मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015
शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।
शौचालय बनवाबा
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा।
अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। ।
हमरी बहिनी बिटिया बहुअय बपुरी जांय बगारे।
यहैं तकै झुकमुक ब्यारा का वहै उचै भिनसारे। ।
घर के मरजादा का भाई अब न यतर सताबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
फिरंय लुकाये लोटिया बपुरी मन मा डेरातीं आप।
निगडउरे मा बीछी चाबै चाह खाय ले सांप। ।
सबसे जादा चउमासे मा हो थें जिव के क्याबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
तजी सउख मोबाइल कै औ भले न देखी टीबी।
शौचालय बनवाई घर मा अपना हन बुधजीबी। ।
सरकारव कइ रही मदद औ कुछ अपने से लगाबा।
जब घर मा शौचालय होइ ता ही घर कै सज्जा।
तब न खेत बगारे बागी अपने घर कै लज्जा। ।
करा कटौती अउर खर्च कै निर्मल घर बनवाबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
शौचालय बनवाय घरे मा चला गंदगी पहटी।
पाई साँस जब शुद्ध हबा हरहजा रोग न लहटी। ।
चला 'हंस 'सब जन कोऊ मिल के य संकल्प उछाबा।
शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा। ।
मंगलवार, 29 सितंबर 2015
लगा थै पुनि के चुनाव आमै बाला है। ।
आज काल्ह बिकत खूब माली का माला है।
'हंस 'कहा थें दार मा क़ुछ काला है। ।
उइ बड़े शील सोहबत से बोला थें
लगा थै पुनि के चुनाव आमै बाला है। ।
हेमराज हंस
रविवार, 27 सितंबर 2015
रविवार, 20 सितंबर 2015
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
जब समाज में अराजकता होती है।
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं
पश्चाताप के बियावान में सत्ता सोती है। ।
हेमराज हंस
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं
पश्चाताप के बियावान में सत्ता सोती है। ।
हेमराज हंस
जनता मिल्लस प्रेम के सपना देखा थी। । हेमराज हंस
मुक्तक
जनता सब उनखर करदसना देखा थी।
आपन खोतड़ी उनखर गोफना देखा थी। ।
उइ नफरत के बीज भरे हें पेटे मा
जनता मिल्लस प्रेम के सपना देखा थी। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 17 सितंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : गमकै बासमती अस चाउर। ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : गमकै बासमती अस चाउर। ।: मुक्तक हाँथे मेहदी पाँव महाउर। गमकै बासमती अस चाउर। । ओंठे माही लगी लिपस्टिक नैना देख भें बाउर बाउर। । हेमराज हंस
गमकै बासमती अस चाउर। ।
मुक्तक
हाँथे मेहदी पाँव महाउर।
गमकै बासमती अस चाउर। ।
ओंठे माही लगी लिपस्टिक
नैना देख भें बाउर बाउर। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।: दोहा सुक्ख संच औ शांति का होय अब सिरी गनेश। हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। । हेमराज हंस
सोमवार, 14 सितंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।: हिन्दी वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी। कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै ...
लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
हिन्दी
वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी।
कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै हिन्दी। ।
हाथे परी 'सतसय्या 'के ता वा 'सागर मा गागर 'भराय गै हिन्दी।
बुढ़की लगाइस 'सूर 'के सागर ता ममता मया मा नहाय गै हिन्दी। ।
'रसखान 'के क्वामर क्वामर छन्द औ मीरा के पद काही ढार गै हिन्दी।
भक्ति के रंग मा लागी रंगै तब भाषा लोलार पिआर भै हिन्दी। ।
बीजक साखी कबीर के व्यंग्य पाखण्डिन का फटकार गै हिन्दी।
औ मासियानी मा तुलसी के आई ता 'मानस 'अगम दहार भै हिन्दी। ।
हिंठै लगी जब 'पंत 'के गाँव ता केत्ती लगै सुकुमार य हिन्दी।
हरिचंद ,महावीर ,हजारी ,के त्याग से पुष्ट बनी दिढ़वार य हिन्दी। ।
निराला ,नागार्जुन ,के लेखनी मा भै पीरा कै भ्याटकमार य हिन्दी।
रात जगी जब ''मुंशी ''के साथ ता हरिया का भै भिनसार य हिन्दी। ।
भारत माता के कण्ठ कै कण्ठी औ देस कै भाषा लोलार हिन्दी।
लोक कै बोली औ भाषा सकेल के लागै विंध्य पहार य हिन्दी। ।
छंद ,निबंध ,कहानी,औ कविता से लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
अपने नबऊ रस औ गण शक्ति से कीन्हिस सोरहव सिगार य हिन्दी। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै। बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। । जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से औ नेतन के मुँह से भाख...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल ठोंका तुहू सलामी भाई। भले देखा थी खामी भाई। । केत्तव मूसर जबर होय पै वमै लगा थी सामी भाई। । सत्तर साल के लोक तंत्...
सोमवार, 7 सितंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै। बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। । जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से औ नेतन के मुँह से भाख...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा दे...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा दे...: मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा देखा। । ''डेंगू'' का उपचार कइ रहा मन मा सुलगत करसा देखा हेम...
सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
मुक्तक
सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। ।
जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से
औ नेतन के मुँह से भाख नही निकरै। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
महाभारत मा शिखण्डी से काम परा थै। ।
मुक्तक
राज पथ का पगडण्डिव से काम परा थै।
महाभारत मा शिखण्डिव से काम परा थै। ।
तुम हमरे टटबा कै तउहीनी न करा
गाँव मा बोट के मंडीव से काम परा थै। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।: मुक्तक कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। जनता कुरसी कै चाकर नही होय।। उई बहुरूपियन का जाके बता द्या समय के केमार मा सॉकर नही हो...
hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
मुक्तक
कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
जनता कुरसी कै चाकर नही होय।।
उई बहुरूपियन का जाके बता द्या
समय के केमार मा सॉकर नही होय। ।
हेमराज हंस
शनिवार, 29 अगस्त 2015
सामर सामर हाथ मा जइसा गदिया गोर।।
दोहा
मन मेहदी अस जब रचा आँखिन काजर कोर ।
सामर सामर हाथ मा जइसा गदिया गोर।।
हेमराज हंस 9575287490
खजुलइया लइके मिला जब बचपन का प्रेम।
दोहा
खजुलइया लइके मिला जब बचपन का प्रेम।
आँखिन से झांके लगा समय चित्र का फ्रेम। ।
हेमराज हँस
अपने तिथ तिउहार का गाँव समेटे गर्व। ।
दोहा
गदिअय खजुलइया धरे कजरी गाबै पर्व।
अपने तिथ तिउहार का गाँव समेटे गर्व। ।
हेमराज हँस
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दोहा
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। । हेमराज हंस --...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। । हेमराज हंस --...: दोहा साहब सलाम औ पैलगी गूंजै राम जोहर। अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। । हेमराज हंस --9575287490
अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। । हेमराज हंस --9575287490
दोहा
साहब सलाम औ पैलगी गूंजै राम जोहर।
अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। ।
हेमराज हंस --9575287490
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।: दोहा भाई चारा प्रेम का खजुलइयां तिउहार। बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। । हेमराज हंस 9575287490
hemraj hans बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।
दोहा
भाई चारा प्रेम का खजुलइयां तिउहार।
बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।
हेमराज हंस 9575287490
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दोहा
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मंगलवार, 25 अगस्त 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans ---रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans ---रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार...: बघेली दोहा राखी टठिया मा धरे बहिनी तकै दुआर। रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार। । हेमराज हंस ---9575287490
hemraj hans ---रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार। ।
बघेली दोहा
राखी टठिया मा धरे बहिनी तकै दुआर।
रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार। ।
हेमराज हंस ---9575287490
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दोहा
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सोमवार, 24 अगस्त 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : नाच रही ही दुलदुल घोड़ी नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। मँ...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : नाच रही ही दुलदुल घोड़ी नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। मँ...: नाच रही ही दुलदुल घोड़ी नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । अच्छे दिन केत्ती दूरी हें पूछ रही पापा से मोड़ी। । ...
रविवार, 23 अगस्त 2015
बघेली साहित्य हेमराज हंस : hemraj hans अब उल्लुओं की पालकी हंस ढोने वाला है। ...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : hemraj hans अब उल्लुओं की पालकी हंस ढोने वाला है। ...: मुक्तक ये न समझो कि बड़ा बदलाव होने वाला है। नैतिकता का और नीचे भाव होने वाला है। । राजनीत गिरती तो साहित्य थाम लेता था अब उ...
hemraj hans अब उल्लुओं की पालकी हंस ढोने वाला है। ।
मुक्तक
ये न समझो कि बड़ा बदलाव होने वाला है।
नैतिकता का और नीचे भाव होने वाला है। ।
राजनीत गिरती तो साहित्य थाम लेता था
अब उल्लुओं की पालकी हंस ढोने वाला है। ।
हेमराज हंस --9575287490
शुक्रवार, 21 अगस्त 2015
बघेली साहित्य हेमराज हंस : शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । हेमराज...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । हेमराज...: गोस्वामी तुलसी दास हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत। हे भारतीय संस्कृति के रक्षक चिरनवीन अनंत। । धन्य धरा वह राजा पर की बहत...
शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। । हेमराज हंस
गोस्वामी तुलसी दास
हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत।
हे भारतीय संस्कृति के रक्षक चिरनवीन अनंत। ।
धन्य धरा वह राजा पर की बहती जहां कालिंदी।
धन्य प्रेरणा रत्नावलि की महिमा मंडित हिंदी। ।
धन्य कलम जिसने दिये मानस से सद्ग्रन्थ।
जो सदाचार मर्यादा का बतलाते नित पंथ। ।
जिसके पठन से आत्म शांति होती अनुभूति तुरंत।
हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत।।
शैव शाक्त औ वैष्णव जन को एक सूत्र में बांधा।
मुक्तक से मानव मुक्ति की दूर करी है बाधा। ।
लौकिक सगुणोपासक बन कर अलौकिक दिया प्रकाश।
शत शत बंदन अभिनन्दन गोस्वामी तुलसी दास। ।
सहज समन्वय कारी पंथ केरहे जीवन पर्यन्त।
हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत।।
गंगोत्री के पावन जल से जलाभिषेक कर रमेश्वरम् का।
ईश भक्ति में राष्ट्र भक्ति का देश प्रेम भारतीय धरम का। ।
रामचरित मानस के जैसा कर्तव्य बोध शोध उत्कर्ष।
विश्व के किसी ग्रन्थ में ढूढे मिलेगा यह न पुनीत आदर्श। ।
सात समंदर पार भी शाश्वत सनातन है अटल वंत।
हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत।।
हे भाषा के अमर भाष्कर किया राष्ट्र भाषा उत्थान।
स्वयं विनायकऔ माँ वाणी गाते जिसका यशो गान। ।
चित्रकूट की तपो भूमि के हे तपस्वी संत महान।
महा प्रलय तक ऋणी रहेंगे हिन्दू हिंदी हिन्दुस्थान। ।
जनम महोत्स्व मना रहा है आज भारतीयता का संत।
हे तुलसी हुलसी नंदन पूज्यपाद श्री संत।।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य हेमराज हंस : छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। हेमराज हंस
बघेली साहित्य हेमराज हंस : छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। हेमराज हंस: दोहा छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। जैसे लेखनी पूजता हो कोई जल्लाद। । हेमराज हंस --9575287490
बघेली साहित्य हेमराज हंस : हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -
बघेली साहित्य हेमराज हंस : हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -: दोहा धर फूलों के बीच में जिसने ठोकी फ़ांस। हमने देखा आँख से उसका होते नाश। । हेमराज हंस --9575287490
छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। हेमराज हंस
दोहा
छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद।
जैसे लेखनी पूजता हो कोई जल्लाद। ।
हेमराज हंस --9575287490
हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -
दोहा
धर फूलों के बीच में जिसने ठोकी फ़ांस।
हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।
हेमराज हंस --9575287490
बघेली साहित्य हेमराज हंस : kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।...: दोहा हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव। सावन मा गामै लगा कजरी सगला गाँव। । हेमराज हंस -9575287490
kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।
दोहा
हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।
सावन मा गामै लगा कजरी सगला गाँव। ।
हेमराज हंस -9575287490
बुधवार, 19 अगस्त 2015
बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाक...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाक...: मुक्तक जन सेवक चाही सुभाव से गभुआर अस। जे सबका देखै संबिधान के सरकार अस। । उई '' सभ्भदारन ''का जाके बता द्या ...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरख...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरख...: पावस कै रित आई रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै , थिरकि रही पुरवाई। धरती ओडिस हरियर चुनरी पावस कै रित आई। । भरे दबादब ताल तलैया कहूँ चढ़ी...
bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरखै , थिरकि रही पुरवाई।
पावस कै रित आई
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै , थिरकि रही पुरवाई।
धरती ओडिस हरियर चुनरी पावस कै रित आई। ।
भरे दबादब ताल तलैया कहूँ चढ़ी ही बाढ़।
एकव वात न लेय किसनमा जब से लगा असाढ़। ।
बोबै बिदाहै रोंपै नीदै करै नीक खेतवाई। ।
भउजी बइठे कजरी गौती भाई आल्हा बाँचै।
टिहुनी भर ब्वदा मा गाँवन की चौपालै नाचैं। ।
करै पपीहा गोइड़हरे मा स्वाती केर तकाई। ।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
गऊ चरनी सब जोतर गईं ही रखड़उनी मा बखरी।
धधी सार मा गइया रोमै खूब बमाती बपुरी। ।
''मैया धेनु चरामै जइहव ''मचले किशन कन्हाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
चउगानन का अतिक्रमन लील गा लगी गली मा बारी।
मुड़हर तक जब पानी भरिगा रोमै लाग ओसारी। ।
हंस कहिन की खूब फली सरपंचन केर मिताई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
चुअय लाग छत स्कूलन कै दइव बजाबै ढोल।
एक दउगरै मा लागत कै खुल गै सगली पोल। ।
विदया के मंदिर मा टोरबा भींजत करैं पढ़ाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
जब उई पउलै लगें मेंड़ त ख्यात का लगिगा सदमा।
दोउ परोसी लपटें झपटें हिंठै लाग मुकदमा। ।
सर सेवाद ता कुछू न निकला करिन वकील लुटाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई।
हेमराज हंस --9575287490
गऊ चरनी सब जोतर गईं ही रखड़उनी मा बखरी।
धधी सार मा गइया रोमै खूब बमाती बपुरी। ।
''मैया धेनु चरामै जइहव ''मचले किशन कन्हाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
चउगानन का अतिक्रमन लील गा लगी गली मा बारी।
मुड़हर तक जब पानी भरिगा रोमै लाग ओसारी। ।
हंस कहिन की खूब फली सरपंचन केर मिताई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
चुअय लाग छत स्कूलन कै दइव बजाबै ढोल।
एक दउगरै मा लागत कै खुल गै सगली पोल। ।
विदया के मंदिर मा टोरबा भींजत करैं पढ़ाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।
जब उई पउलै लगें मेंड़ त ख्यात का लगिगा सदमा।
दोउ परोसी लपटें झपटें हिंठै लाग मुकदमा। ।
सर सेवाद ता कुछू न निकला करिन वकील लुटाई।
रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई।
हेमराज हंस --9575287490
शनिवार, 15 अगस्त 2015
bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाके बता द्या
मुक्तक
जन सेवक चाही सुभाव से गभुआर अस।
जे सबका देखै संबिधान के सरकार अस। ।
उई '' सभ्भदारन ''का जाके बता द्या
सदन माही रहबा करैं गाँव के भुइयार अस। ।
हेमराज हंस 9575287490
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
मंगलवार, 11 अगस्त 2015
त्राहिमाम जनता
त्राहिमाम जनता करय गुंडा हाकै राज।
मुड़धारियन के कण्ठ से निकरै नही अबाज। ।
हेमराज हंस ---9575287490
Labels:
दोहा
Location:
Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
मंगलवार, 4 अगस्त 2015
सोमवार, 3 अगस्त 2015
रविवार, 2 अगस्त 2015
बघेली साहित्य हेमराज हंस : बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्व...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्व...: बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस... : बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग। शोषण करते जाति का स्...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस...: बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग। शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस
शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस
बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग।
शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। ।
हेमराज हंस
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दोहा
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
बघेली साहित्य हेमराज हंस : कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता क...
बघेली साहित्य हेमराज हंस : कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता क...: जिसने कभी विकास पर दिया तनिक न ध्यान। जाति वाद उनके लिए सत्ता का सोपान। । हेमराज हंस 9575287490
कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता का सोपान। ।
जिसने कभी विकास पर दिया तनिक न ध्यान।
जाति वाद उनके लिए सत्ता का सोपान। ।
हेमराज हंस 9575287490
बुधवार, 29 जुलाई 2015
शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA: by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष...
BAGHELI SAHITYA: by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष...: दोहा 'हंस ' योग्यता का सदा रहा सुखद परिणाम। अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। । हेमराज हंस 9575287490
by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। ।
दोहा
'हंस ' योग्यता का सदा रहा सुखद परिणाम।
अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। ।
हेमराज हंस 9575287490
बुधवार, 22 जुलाई 2015
जो खेलने के आदी है रोटियों के कौर से।
मुक्तक
जो खेलने के आदी है रोटियों के कौर से।
अपने जिगर के टुकड़े को देखा है गौर से। ।
अपने अपने पेट के साहब बने हुये
वो स्वार्थी परमार्थी बनते है और से। ।
हेमराज हंस 9575287490
BAGHELI SAHITYA: kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर म...
BAGHELI SAHITYA: kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर म...: मुक्तक जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ। वृक्ष कटे जिन अरमानों के तू उस नंदनवन से पूंछ। । सुविधाओ से लवारेज है फिर भी च...
kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ।
मुक्तक
जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ।
वृक्ष कटे जिन अरमानों के तू उस नंदनवन से पूंछ। ।
सुविधाओ से लवारेज है फिर भी चैन नदारत है
सुखा दिया है क्यों तेरा सुख उत्तर अपने धन से पूंछ। ।
हेमराज हंस 9575287490
बुधवार, 8 जुलाई 2015
hemraj hans सेवा रूपी दलों को गिरोह न बनाइये। ।
मुक्तक
घर को कंदरा खोह न बनाइये।
सामंजस्य को विद्रोह न बनाइये। ।
चरित्र से ही देश की पहचान होती है
सेवा रूपी दलों को गिरोह न बनाइये। ।
हेमराज हंस --9575287490
hemraj hans भले अभावों से सदा रहे जूझते जंग।
भले अभावों से सदा रहे जूझते जंग।
पर जीवन के चित्र में हो ईमान का रंग। ।
हेमराज हंस --9575287490
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दोहा
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
रविवार, 5 जुलाई 2015
hemraj hans जे बैभव से भरे हें संवेदना से छूछ। ।
दोहा
उनखर हिबै समाज मा सबसे लम्बी पूछ।
जे बैभव से भरे हें संवेदना से छूछ। ।
हेमराज हंस 9575287490
शनिवार, 4 जुलाई 2015
hemraj hans मदरसों की बात करते हैं। ।
वे आदर्शों की बात करते हैं।
बीते वर्षों की बात करते हैं। ।
जिनके बच्चे वहां नही पढ़ते
वे सरकारी स्कूल औ
मदरसों की बात करते हैं। ।
हेमराज हंस --9575287490
गुरुवार, 4 जून 2015
BAGHELI SAHITYA: ये मेरे देश में आज के कवि का चरित्र है।
BAGHELI SAHITYA: ये मेरे देश में आज के कवि का चरित्र है।: ये मेरे देश में आज के कवि का चरित्र है। जिसकी कविता का निमित्त मात्र वित्त है। । वह देश भक्त सा दिखता है मंच में पैसे के लिए वह लिखता...
ये मेरे देश में आज के कवि का चरित्र है।
ये मेरे देश में आज के कवि का चरित्र है।
जिसकी कविता का निमित्त मात्र वित्त है। ।
वह देश भक्त सा दिखता है मंच में
पैसे के लिए वह लिखता कवित्र है। ।
हेमराज हंस
जिसकी कविता का निमित्त मात्र वित्त है। ।
वह देश भक्त सा दिखता है मंच में
पैसे के लिए वह लिखता कवित्र है। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 2 जून 2015
BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्...
BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्...: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। : दोहा गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों ल...
BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्...
BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्...: BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। : दोहा गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों ल...
BAGHELI SAHITYA: व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग।
BAGHELI SAHITYA: व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग।: मुक्तक व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग। दूर करेंगे खाक वे भ्रष्टाचार का रोग। । भ्रष्टाचार का रोग पनपता गहरी जड़ में। ...
व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग।
मुक्तक
व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग।
दूर करेंगे खाक वे भ्रष्टाचार का रोग। ।
भ्रष्टाचार का रोग पनपता गहरी जड़ में।
जैसे लगता जंग बन्धु लोहे के छड़ में। ।
नाटक देखो कोस रहे वो पकड़ के माइक।
सिद्धान्तों की बलि लेता है हित व्यवसायिक। ।
हेमराज हंस --9575287490
शनिवार, 30 मई 2015
BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।
BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।: दोहा गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। । हेमराज हंस ---9575287490
BAGHELI SAHITYA: मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।
BAGHELI SAHITYA: मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।: ---------- दोहा जिनके अथक प्रयास से स्वप्न हुआ साकार। मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। । हेमराज हंस --9575287490
मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।
----------
दोहा
जिनके अथक प्रयास से स्वप्न हुआ साकार।
मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।
हेमराज हंस --9575287490
दोहा
जिनके अथक प्रयास से स्वप्न हुआ साकार।
मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।
हेमराज हंस --9575287490
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।
दोहा
गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।
गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। ।
हेमराज हंस ---9575287490
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
पवन मैहर धाम का एक धवल सोपान।
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पवन मैहर धाम का एक धवल सोपान।
विद्यालय श्री वेद का वाणी का यश गान। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 28 मई 2015
गद्दार का साहब देस भक्त का हिटलर
बघेली
गद्दार का साहब देस भक्त का हिटलर
वाह फलाने वाह।
अपना कै या चमचागिरी
कर देई देस तबाह। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: दोहा लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। ब्रह्म शब्द...
BAGHELI SAHITYA: दोहा लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। ब्रह्म शब्द...: दोहा लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। । हेमराज हंस --9575287490
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hemraj hans -जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। ।
कुण्डलियाँ
जनता से बड़ कर नही लोकतंत्र में धाक।
जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। ।
फिर रगड़ोगे नाक घूमते रैली रैली।
एक बार छवि यदि हो जाये मटमैली।।
''हंस'' खेलने लगती है फिर वह गुड़गंता।
लोकतंत्र में सर्वोपरि होती है जनता।।
हेमराज हंस --9575287490
काहू के है गहगड्डव ता काहू केर बरसी ही।
मुक्तक
काहू के है गहगड्डव ता काहू केर बरसी ही।
कोउ धांधर खलाये है काहू कै टाठी परसी ही। ।
कक्का हक्का बक्का हें उनखर देख करदसना
जनता के निता गुंडई औ मंहगाई कै बरछी ही। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: आज अब जनता के मयारू बने बगत्या है
BAGHELI SAHITYA: आज अब जनता के मयारू बने बगत्या है: मुक्तक देस देखे बइठ है रामलीला चउगान का । अपना के घमण्ड औ सत्ता अभिमान का। । आज अब जनता के मयारू बने बगत्या है २६ रुपिया मा त...
आज अब जनता के मयारू बने बगत्या है
मुक्तक
देस देखे बइठ है रामलीला चउगान का ।
अपना के घमण्ड औ सत्ता अभिमान का। ।
आज अब जनता के मयारू बने बगत्या है
२६ रुपिया मा तउल्या तै गरीब खानदान का। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 26 मई 2015
BY HEMRAJ HANS अपना का आँसै नही वा भर मुंह कहै हजूर। ।
दोहा
बपुरा सुविधा संच का तरसै हिंया मजूर।
अपना का आँसै नही वा भर मुंह कहै हजूर। ।
हेमराज हंस --9575287490
उनखे कई 'जयन्त ' औ हमरे कई ''दुष्यंत "। ।
दोहा
सत्ता अउर साहित्त कै बस येतू बिरदन्त।
उनखे कई 'जयन्त ' औ हमरे ठई ''दुष्यंत "। ।
हेमराज हंस ---9575287490
भूखों की ये बस्तियां औ फूलों के जश्न।
दोहा
भूखों की ये बस्तियां औ फूलों के जश्न।
ओ ! माली तेरी नियति में क्यों न उठेंगे प्रश्न। ।
हेमराज हंस --9575287490
भूखों की ये बस्तियां औ फूलों के जश्न।
ओ ! माली तेरी नियति में क्यों न उठेंगे प्रश्न। ।
हेमराज हंस --9575287490
सोमवार, 25 मई 2015
यहै सब खैरियत ही सरकारी पेज़ मा
मुक्तक
दवाई से ज्यादा है फायदा परहेज मा।
नौ कै ही लकड़ी नब्बे बंधेज मा। ।
वहै उई आंसू का व्यापर करइ बाले हें
यहै सब खैरियत ही सरकारी पेज़ मा
हेमराज हंस 9575287490
दवाई से ज्यादा है फायदा परहेज मा।
नौ कै ही लकड़ी नब्बे बंधेज मा। ।
वहै उई आंसू का व्यापर करइ बाले हें
यहै सब खैरियत ही सरकारी पेज़ मा
हेमराज हंस 9575287490
hemraj hans by यहाँ पसीना देश को देता पूरी क़िस्त।
दोहा
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यहाँ पसीना देश को देता पूरी क़िस्त।
पता करो क्यों आज भी वो है पड़ा सिकिस्त। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद। by hemraj han...
BAGHELI SAHITYA: दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद। by hemraj han...: दोहा ------------------------------------------------------- दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद। पीड़ा में मावाद है मुंह म...
दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद। by hemraj hans
दोहा
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दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद।
पीड़ा में मावाद है मुंह में जिन्दावाद। ।
हेमराज हंस ---9575287490
शुक्रवार, 22 मई 2015
मेरे रिश्तों से कभी आये न दुर्गन्ध। ।
दोहा
ऐसा जीवन दीजिये हे राम तुम्हें सौगन्ध।
मेरे रिश्तों से कभी आये न दुर्गन्ध। ।
हेमराज हंस --9575287490
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गुरुवार, 21 मई 2015
खड़ा हुआ ये ताज है वो हो गये तवाह। ।
दोहा
है प्रत्यक्ष प्रमाण सा श्रम साधक आह।
खड़ा हुआ ये ताज है वो हो गये तवाह। ।
हेमराज हंस ९५७५२८७४९०
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BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से...
BAGHELI SAHITYA: BAGHELI SAHITYA: baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से...: BAGHELI SAHITYA: baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।... : दोहा घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर। करते है ये देश का तन मन ...
bagheli sahitya-हमरे हिआ गरीब कै सब दिन आँखी भींज।
दोहा
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हमरे हिआ गरीब कै सब दिन आँखी भींज।
धन्ना सेठ कै आत्मा कबहूँ नही पसीझ। ।
हेमराज हंस
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
BAGHELI SAHITYA: baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।...
BAGHELI SAHITYA: baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।...: दोहा घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर। करते है ये देश का तन मन धन कमजोर। । हेमराज हंस http;//hemrajbagheli.blogspot.com
baghelisahitya-घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।
दोहा
घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।
करते है ये देश का तन मन धन कमजोर। ।
हेमराज हंस http;//hemrajbagheli.blogspot.com
घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।
करते है ये देश का तन मन धन कमजोर। ।
हेमराज हंस http;//hemrajbagheli.blogspot.com
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बुधवार, 20 मई 2015
BAGHELI SAHITYA: लोकल गुण्डों की यहाँ चलती है सरकार। ।
BAGHELI SAHITYA: लोकल गुण्डों की यहाँ चलती है सरकार। ।: दोहा -------------------------------------------- बड़े अदब से बोलिये उनकी जय जय कार। लोकल गुण्डों की यहाँ चलती है सरकार। । हेमरा...
मंगलवार, 19 मई 2015
लोकल गुण्डों की यहाँ चलती है सरकार। ।
दोहा
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बड़े अदब से बोलिये उनकी जय जय कार।
लोकल गुण्डों की यहाँ चलती है सरकार। ।
हेमराज हंस ---------9575287490
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
देश को नेता नही अब तो मेहतर चाहिये। ।
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ये क्या इससे और भी ब्यवस्था बेहतर चाहिये।
देश को नेता नही अब तो मेहतर चाहिये। ।
जो उठा सके भ्रष्टाचार जैसी गन्दगी
जनता के साथ चलने वाला सहचर चाहिये
ये क्या इससे और भी ब्यवस्था बेहतर चाहिये।
देश को नेता नही अब तो मेहतर चाहिये। ।
जो उठा सके भ्रष्टाचार जैसी गन्दगी
जनता के साथ चलने वाला सहचर चाहिये
शनिवार, 16 मई 2015
कविता मेरी मानस पुत्री है
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कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ।
'केदारनाथ अग्रवाल ''
कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ।
'केदारनाथ अग्रवाल ''
शुक्रवार, 15 मई 2015
परीक्षा मा फेल पप्पू जना थें।
मुक्तक
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परीक्षा मा फेल पप्पू जना थें।
फलाने का आला टप्पू जना थें। ।
पुरखा घी खाइन उँगरी आपन सुघाउथें
पुन्नेठी बतांय का गप्पू जना थें। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 14 मई 2015
जब बादल को खतरा वे बताते है मोर से। ।
मुक्तक
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टीस उठती है तन के पोर पोर से।
जब बादल को खतरा वे बताते है मोर से। ।
ये मेरे देश की विडंबना है दोस्तो
हम देश भक्ति सीखते है भष्टों से चोर से।।
हेमराज हंस ----9575287490
बुधवार, 13 मई 2015
घंटाघर कस घडी नसान रहत्या है। ।
मुक्तक
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जब देखा तब रिसान रहत्या है।
घंटाघर कस घडी नसान रहत्या है। ।
पहिले अस प्रेम अपना का फसफसाय नही
घुटकी भर पी के बसान रहत्या है। ।
हेमराज हंस
पंडित दीनदयाल का बिखरे न अभियान। ।
दोहा
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चाहे ये सत्ता रहे या कि और विधान।
पंडित दीनदयाल का बिखरे न अभियान। ।
हेमराज हंस
आंसू क्रंदन का यहां मत कीजै व्यापार।
दोहा
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आंसू क्रंदन का यहां मत कीजै व्यापार।
अन्य दिशा में मोड़िये राजनीति की धार। ।
हेमराज हंस
लकड़ी से दीमक की सहानुभूति देखिये
मुक्तक
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कोठी मढ़ैया से यारी कर रही है।
लगता है चुनाव की तैयारी कर रही है। ।
लकड़ी से दीमक की सहानुभूति देखिये
खोखला कर के चित्रकारी कर रही है। ।
हेमराज हंस 9575287490 baghelisahitya
मंगलवार, 12 मई 2015
पेटे मा दाना नही मुंह मा दाबे पान। ।
दोहा
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हमरे हियाँ गरीब कै अजब निराली शान।
पेटे मा दाना नही मुंह मा दाबे पान। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।
BAGHELI SAHITYA: ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।: मुक्तक -------------------------------------- ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है। घोटालों के फरार जुर्मी सलेण्डर हो रहे है। ...
ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।
मुक्तक
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ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।
घोटालों के फरार जुर्मी सलेण्डर हो रहे है। ।
लगता है प्रगति की टांग तोड़ी जायेगी
देश में बैसाखियों के टेण्डर हो रहे है। ।
हेमराज हंस ---9575287490
BAGHELI SAHITYA: पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। ।
BAGHELI SAHITYA: पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। ।: दोहा सदा गरीबों ने लड़ा लोकधर्म का युद्ध। पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। । हेमराज हंस
पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। ।
दोहा
सदा गरीबों ने लड़ा लोकधर्म का युद्ध।
पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। ।
हेमराज हंस
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दोहा
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Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
सोमवार, 11 मई 2015
गुरुवार, 7 मई 2015
जनमेजय को डस रहे नाप नाप कर पाप। ।
दोहा
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वैचारिक सी वामियां सिद्धांतों के पाप ।
जनमेजय को डस रहे नाप नाप कर सांप । ।
हेमराज हंस ------9575287490
BAGHELI SAHITYA: पसीना के पूत का गैती देखाउथे। ।
BAGHELI SAHITYA: पसीना के पूत का गैती देखाउथे। ।: मुक्तक ------------------------------------------------------------------- उई अउठा मा पहिर के पैती देखाउथें। पसीना के पूत का गैती द...
पसीना के पूत का गैती देखाउथे। ।
मुक्तक
-------------------------------------------------------------------उई अउठा मा पहिर के पैती देखाउथें।
पसीना के पूत का गैती देखाउथे। ।
ज्याखर धधे हें मंत्री जी जेल मा
ओऊ सदाचार कै तैती देखाउथे। ।
हेमराज हंस ---9575287490
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बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
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जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...