सोमवार, 11 मई 2015

मुक्तक 

------------------------------------------
अपना के तेल मा खरी अस जना थी। 
संवेदना मसखरी अस जना थी। । 
जे डबल रोटी का कलेबा करा थें 
उनही अगाकर जरी अस जना थी। । 
हेमराज हंस -- 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें