गुरुवार, 28 मई 2015

hemraj hans -जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। ।

कुण्डलियाँ 

जनता से बड़ कर नही लोकतंत्र में धाक। 
जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। । 
फिर  रगड़ोगे   नाक   घूमते   रैली  रैली। 
एक  बार  छवि यदि  हो  जाये  मटमैली।।
''हंस'' खेलने लगती है फिर वह गुड़गंता। 
लोकतंत्र  में  सर्वोपरि  होती  है  जनता।।
हेमराज हंस --9575287490   

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