शनिवार, 16 मई 2015

कविता मेरी मानस पुत्री है

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कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर 
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ। 
'केदारनाथ अग्रवाल ''

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