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कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ।
'केदारनाथ अग्रवाल ''
कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ।
'केदारनाथ अग्रवाल ''
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